कटघोरा: छत्तीसगढ़ के कटघोरा वन मंडल में वृक्षारोपण परियोजनाओं में अनियमितता का एक गंभीर मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, आईएफएस अधिकारी पुष्प लता यादव, जो पूर्व में कटघोरा की वन मंडलाधिकारी (DFO) रह चुकी हैं, उनके कार्यकाल में किए गए वृक्षारोपण में भारी वित्तीय हानि का खुलासा हुआ है। नियमानुसार, असफल वृक्षारोपण से होने वाली हानि का 5% संबंधित DFO से वसूला जाना चाहिए, लेकिन शासन स्तर पर इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
10 लाख से अधिक की वसूली प्रस्तावित, लेकिन शासन मौन
सूत्रों के अनुसार, असफल वृक्षारोपण से ₹10,42,426 की वसूली की जानी थी, जिसकी फाइलें शासन में प्रस्तावित हैं। लेकिन प्रभावशाली अधिकारियों की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि वे अपनी फाइलों को लंबे समय तक दफ्तरों में दबाकर रखते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि जब तक अधिकारी सेवानिवृत्त नहीं हो जाते, तब तक उनकी फाइलों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, और रिटायरमेंट के बाद उन्हें निरस्त कर दिया जाता है। यही कारण है कि करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि होने के बावजूद शासन स्तर पर किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई देखने को नहीं मिलती।
असफल वृक्षारोपण और भ्रष्टाचार का गहरा रिश्ता
वृक्षारोपण में होने वाली वित्तीय अनियमितताओं का मूल कारण वन विभाग की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की मनमानी बताई जा रही है। वृक्षारोपण के लिए फेंसिंग, पोल, चेनलिंक जाली, बार्ब्ड वायर जैसी सामग्री की खरीदारी होती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि वन विभाग के अधिकारियों द्वारा 50% सामग्री का ही उपयोग किया जाता है, जबकि पूरा बजट खर्च दिखा दिया जाता है। इस वजह से वृक्षारोपण टिक नहीं पाते और करोड़ों रुपये की योजनाएं फाइलों में ही सिमट कर रह जाती हैं।
छत्तीसगढ़ में अन्य वन मंडलों में भी कई अनियमितताएं छिपी हुईं
कटघोरा वन मंडल का यह मामला अकेला नहीं है। प्रदेश के कई अन्य वन मंडलों में भी ऐसी ही अनियमितताएं देखने को मिली हैं। विशेष रूप से, कई IFS अधिकारी जो अगले 5-7 महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनकी भी फाइलें शासन स्तर पर लंबित पड़ी हैं। अगर समय रहते इन फाइलों का निपटारा नहीं किया गया, तो करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि सरकार के खजाने में वापस नहीं आ पाएगी।
वित्तीय हानि की भरपाई से विकास कार्यों को मिलेगा बढ़ावा
अगर शासन इन लंबित वसूली मामलों पर गंभीरता से कदम उठाए, तो सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है, जिसका उपयोग विभिन्न विकास योजनाओं में किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या शासन इन प्रभावशाली अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह सरकारी दफ्तरों में दबकर रह जाएगा?
क्या करें शासन?
- लंबित फाइलों का निपटारा: शासन को जल्द से जल्द लंबित फाइलों की समीक्षा कर कार्रवाई करनी चाहिए।
- जिन IFS कि वसूली हैं उनसे कड़ाई से वसूली कि जाए, जिससे वे वृक्षारोपण में मन लगाकर कार्य करेंगे, भ्रष्टाचार में अंकुश लगेगा।
- IFS आपने जवाबदेही के प्रति सजग रहेंगे तो छोटे कर्मचारी भी कामों में ईमानदारी रखेंगे, जिससे पर्यावरण कि समस्या खत्म होगी।
अब देखना यह होगा कि सरकार इन वित्तीय अनियमितताओं पर क्या कदम उठाती है या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दफन होकर रह जाएगा।