सुकमा। सत्ता और पद का घमंड इंसान को अक्सर अंधा बना देता है, लेकिन जब छोटे कर्मचारी एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ खड़े हो जाते हैं, तो बड़े से बड़ा अधिकारी भी धराशायी हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ छत्तीसगढ़ के सुकमा वन मंडल में, जहाँ IFS अधिकारी अशोक पटेल को उनके ही कार्यालय के कर्मचारियों ने निलंबन तक पहुंचा दिया।

IFS अधिकारी अशोक पटेल का तानाशाही रवैया पड़ा भारी
अशोक पटेल अगस्त-सितंबर 2023 में सुकमा वन मंडल का चार्ज लेने के बाद से ही अपने कर्मचारियों पर रौब झाड़ने लगे थे।
- कर्मचारियों को अपशब्द कहना, गाली-गलौच करना और उनका वेतन रोक देना उनकी आदत बन गई थी।
- यदि कोई कर्मचारी एक दिन भी छुट्टी पर चला जाता, तो उसका वेतन रोक दिया जाता, और गरीब कर्मचारी अगर मिन्नतें करता, तो बदले में कई दिनों की रोज़ी काट दी जाती।
- छोटे कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में शामिल करने का दबाव भी बनाया गया, और जब उन्होंने मना किया, तो उन्हें बेवजह सस्पेंड कर दिया गया।
- वन रक्षक, वनपाल, बाबू और लिपिक जैसे 6-7 कर्मचारियों पर एक के बाद एक कार्रवाई की गई, ताकि बाकी सभी को डराया जा सके।
चौकीदार, बाबू और वनकर्मियों ने एकजुट होकर बजाई बिगुल
जब छोटे कर्मचारियों पर अन्याय की सारी हदें पार हो गईं, तो चौकीदारों, वन रक्षकों और बाबुओं ने ठान लिया कि अब अत्याचार सहन नहीं किया जाएगा।
- ऑफिस और बंगले में रोज गाली सुनने वाले कर्मचारियों ने ही अशोक पटेल की पोल खोलने की रणनीति बनाई।
- उनकी कार्यशैली, भ्रष्टाचार और दमनकारी रवैये को लेकर एकजुट होकर गुमनाम शिकायतें दर्ज कराईं गईं और पत्रकारों सहित जनप्रतिनिधि को आला अधिकारियों तक उनकी करतूतें पहुंचाई गईं।
- नतीजा? उच्च अधिकारियों को आखिरकार कदम उठाना पड़ा और जाँच छत्तीसगढ़ शासन तक भेजना पड़ा, और IFS अशोक पटेल का निलंबन आदेश जारी कर दिया गया।
सुकमा में जश्न का माहौल, छोटे कर्मचारियों ने मनाई खुशी

जैसे ही अशोक पटेल के निलंबन की खबर फैली, सुकमा अंचल में खुशी की लहर दौड़ गई।
- छोटे कर्मचारियों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई, नारियल फोड़े और देवस्थानों में धन्यवाद अर्पित किया।
- कई कर्मचारियों का कहना था कि अब जाकर उनके साथ हुए अन्याय का बदला पूरा हुआ।
IFS अफसरों के लिए सबक – घमंड और तानाशाही ज्यादा दिन नहीं चलती
इस घटना ने साबित कर दिया कि चाहे कोई IFS अधिकारी कितना भी ताकतवर क्यों न हो, जब छोटे कर्मचारी एकजुट होते हैं, तो उसे भी झुकना पड़ता है।
- रबर को जितना भी खींचो, एक दिन टूटता जरूर है – और जब टूटता है, तो ज़ोर से लगता है।
- यह घटना उन सभी अधिकारियों के लिए चेतावनी है जो छोटे कर्मचारियों को अपने पैरों की धूल समझते हैं और उनके हक मारते हैं।
अब आगे क्या? शासन से और सुधार की उम्मीद!
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या अशोक पटेल की निलंबन की घटना से बाकी अधिकारियों को सबक मिलेगा?
- क्या सरकार वन विभाग के बाकी अधिकारियों के व्यवहार पर भी निगरानी रखेगी?
- या फिर कोई और अधिकारी आने के बाद वही तानाशाही रवैया अपनाएगा?
छोटे कर्मचारियों की यह ऐतिहासिक जीत यह साबित करती है कि जब अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई जाती है, तो बदलाव जरूर आता है। IFS अधिकारियों को अब समझना होगा कि वे केवल अधिकारी हैं, शासक नहीं।