बिलासपुर /कटघोरा: सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी को लेकर कटघोरा वनमंडलाधिकारी (DFO) कुमार निशांत और मुख्य वन संरक्षक (CCF) प्रभात मिश्रा के आदेशों ने प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां सीनियर IFS प्रभात मिश्रा के आदेश को नजरअंदाज करने का मामला सामने आया है, वहीं अब यह भी संदेह जताया जा रहा है कि क्या CCF और DFO के बीच कोई सांठगांठ है, जिसके तहत RTI आवेदनों को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है?



क्या यह एक सोची-समझी रणनीति है?
RTI कार्यकर्ताओं का मानना है कि CCF और DFO मिलकर एक खेल खेलते हैं, जिससे ऐसा लगे कि सूचना देने का आदेश दिया गया है, लेकिन असल में आवेदक को जानकारी नहीं मिलती।

RTI में खेल कैसे होता है?
- CCF यानी अपील अधिकारी ऐसा आदेश जारी करता है जिससे आवेदक को लगे कि उसे न्याय मिलने वाला है।
- लेकिन DFO यानी जनसूचना अधिकारी तुरंत एक चिट्ठी निकाल देता है कि जानकारी 100 पेज या 1000 पेज से ज्यादा है, इसलिए कार्यालय में उपस्थित होकर अवलोकन करें। विदित हो यह 50 पेज से ज्यादा कि जानकारी होने पर कार्यालय में बुलाए जाने का प्रावधान सिर्फ गरीबी रेखा में जीवन यापन वाले आवेदको के लिए हैं पर CCF एवं DFO दोनों कि मिली भगत से इस प्रावधान को सामान्य के ऊपर लागु कर 400 – 500 KM से बुलाने का चिट्ठी निकालतें हैं जिससे आवेदक न आए और इन्हे जानकारी देना न पड़े, साथ ही अपील कि स्थिति में ये बात रखा जा सके कि हमने आवेदक को अवलोकन के लिए बुलाया था, ये नहीं आए।
- आवेदक अगर 400 किमी दूर बैठा है, तो वह इतनी दूरी तय कर जानकारी लेने नहीं आ सकता।
- CCF यह कहकर बच जाता है कि उसने जानकारी देने का आदेश दिया था।
- DFO यह कहकर बच जाता है कि उसने जानकारी देने से मना नहीं किया, बल्कि कार्यालय में आकर देखने को कहा था।
क्या अपील अधिकारी भी जनसूचना अधिकारी की तरह व्यवहार कर रहे हैं?

RTI कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि अपील अधिकारी (CCF) भी जनसूचना अधिकारी (DFO) की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
- अपील की सुनवाई के दौरान, अपील अधिकारी खुद जनसूचना अधिकारी की तरह सवाल-जवाब करने लगते हैं।
- जब उनसे पूछा जाता है कि आप अपील अधिकारी हैं, फिर इस तरह क्यों डिफेंड कर रहे हैं? तो वे जवाब देते हैं कि “हम सिर्फ अपनी समझ बढ़ाने के लिए पूछ रहे हैं।”
- शासन भी इस खेल को नजरअंदाज कर रहा है, जिससे पारदर्शिता पर और भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या RTI को कमजोर किया जा रहा है?
बैकुंठपुर के एक RTI कार्यकर्ता ने बताया कि “अब अपील अधिकारी भी वही भाषा बोलने लगे हैं, जो जनसूचना अधिकारी बोलते हैं।”
- इससे यह साफ जाहिर होता है कि सूचना देने के बजाय उसे दबाने की साजिश रची जा रही है।
- लोगों को सामने आना होगा, नहीं तो RTI अधिनियम का धीरे-धीरे ह्रास होता जाएगा।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में सूचना के अधिकार को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। RTI कार्यकर्ताओं का दावा है कि CCF और DFO मिलकर एक ऐसी प्रणाली बना रहे हैं, जिससे जानकारी बाहर न आए। वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को नजरअंदाज करना, गोलमोल आदेश जारी करना और फिर जानकारी देने से इनकार करने जैसी रणनीतियां प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं। अगर इस मामले में कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में RTI कार्यकर्ताओं के लिए सूचना पाना और भी मुश्किल हो जाएगा।