सीनियर IFS प्रभात मिश्रा के आदेश को जूनियर IFS कुमार निशांत ने दिखाया ठेंगा, RTI जानकारी देने से किया इंकार।

कटघोरा: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 2016 बैच के आईएफएस अधिकारी कुमार निशांत ने 2006 बैच के सीनियर आईएफएस प्रभात मिश्रा के आदेश को मानने से इनकार कर दिया। यह घटना सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी से जुड़ी है, जिसमें अपील अधिकारी द्वारा स्पष्ट आदेश दिए जाने के बावजूद कटघोरा वन मंडल अधिकारी (DFO) कुमार निशांत ने जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।

अपील आदेश हो जाने के बाद कौन अधिकारी अवलोकन के लिए बुलाता हैं ? अपिलीय अधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखता यह आदेश, फिर भी गूंगा बहरा हमारा सिस्टम जिसे ये नहीं दिखता।

वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को क्यों ठुकराया गया?

आईएफएस प्रभात मिश्रा सात महीने में रिटायर होने वाले वरिष्ठ अधिकारी हैं। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत एक अपील प्रकरण में जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन जूनियर अधिकारी कुमार निशांत ने इस आदेश का पालन करने से मना कर दिया।

DFO कुमार निशांत ने अपने पत्र में तर्क दिया कि मांगी गई जानकारी की मात्रा 100 पेज से अधिक है और इसे तैयार करना कठिन है। इस आधार पर उन्होंने सूचना देने से इनकार कर दिया।

प्रभात मिश्रा का अस्पष्ट आदेश बना विवाद का कारण

अपिलीय अधिकारी का गोल मोल आदेश

इस पूरे मामले में मुख्य वन संरक्षक (CCF) प्रभात मिश्रा की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। उन्होंने सूचना देने को लेकर गोलमोल आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट निर्देश नहीं था कि जानकारी कैसे और किस रूप में उपलब्ध कराई जाए।

प्रभात मिश्रा ने आदेश में केवल यह लिखा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की मार्गदर्शिका के पैरा 4 के 12 एवं 17 के अनुसार निजी जानकारी को छुपाकर सूचना दी जानी चाहिए। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि संबंधित जानकारी CD, DVD या ईमेल के माध्यम से दी जा सकती है।

क्या यह भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश है?

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2024 के बीच विभागीय और कैम्पा मद के फॉर्म-14 की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी से जुड़ी थी। लेकिन जब अपील अधिकारी ने स्पष्ट आदेश नहीं दिया तो DFO कुमार निशांत ने उसे नजरअंदाज कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, कटघोरा वन मंडल में कैम्पा मद से जुड़ी कई वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। तालाब निर्माण और अन्य कार्यों में बिना निर्माण के भुगतान जारी होने के मामले पहले भी उजागर हुए थे, जिसके कारण वन अधिकारियों पर सवाल उठे थे और तबादले भी हुए थे। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि कुमार निशांत RTI के तहत जानकारी साझा करने से बचना चाहते हैं, ताकि पिछले भ्रष्टाचार के मामले उजागर न हो जाएं।

क्या प्रशासनिक तानाशाही बढ़ रही है?

इस घटना से यह स्पष्ट हो रहा है कि छत्तीसगढ़ में जूनियर अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अनदेखी करने लगे हैं। वरिष्ठ आईएफएस प्रभात मिश्रा के आदेशों को कटघोरा के डीएफओ कुमार निशांत द्वारा ठुकराया जाना दर्शाता है कि अब अधिकारी अपने अनुसार नियमों की व्याख्या कर रहे हैं और सूचना देने से बचने के लिए नित नए बहाने बनाए जा रहे हैं।

समाप्ति

इस प्रकरण से यह साफ जाहिर होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी है और RTI के तहत जानकारी को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं। अगर उच्च प्रशासनिक स्तर पर इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आगे भी इसी तरह के मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अनदेखी होती रहेगी, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही की प्रक्रिया कमजोर होगी।

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