महासमुंद। वनमंडल महासमुंद के अंतर्गत सड़क किनारे वृक्षारोपण के लिए वर्ष 2021-22 में स्वीकृत करोड़ों रुपये की राशि का गबन होने का मामला सामने आया है। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि स्वीकृत कार्यों में से दो कार्य हुए ही नहीं, जबकि एक कार्य केवल आंशिक रूप से किया गया है। इसके बावजूद संपूर्ण राशि निकाल ली गई, जिससे करीब 1 करोड़ 80 हजार रुपये के घोटाले की आशंका जताई जा रही है।

स्वीकृत वृक्षारोपण कार्य और अनियमितताएं
- पिथौरा परिक्षेत्र – डिपोपारा से कंतरा नाला तक 5 किमी वृक्षारोपण के लिए 50.40 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन निरीक्षण में सामने आया कि यह कार्य हुआ ही नहीं।
- बागबाहरा परिक्षेत्र – घोयनाबाहरा से जोंक नदी (NH 353 के किनारे) 3 किमी वृक्षारोपण के लिए 30.24 लाख रुपये स्वीकृत थे, परंतु यह कार्य भी आंशिक रूप से ही हुआ।
- महासमुंद परिक्षेत्र – जिला चिकित्सालय खरोरा से घोड़ारी मार्ग के बीच 2 किमी वृक्षारोपण के लिए 20.16 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन यह कार्य भी हुआ ही नहीं।
फोटो-वीडियो में उजागर हुई सच्चाई


निरीक्षण दल ने मौके पर पहुंचकर जब इन स्थानों की जांच की तो पाया कि जिन स्थानों पर वृक्षारोपण किया जाना था, वहां कोई पौधे ही नहीं लगाए गए हैं। फोटो और वीडियो साक्ष्य से यह स्पष्ट हुआ कि कार्य केवल कागजों पर ही पूरा कर दिया गया और राशि का गबन कर लिया गया।
मेंटेनेंस की राशि पर भी संदेह
विशेषज्ञों के अनुसार, वृक्षारोपण कार्यों के लिए केवल पौधे लगाने तक ही नहीं, बल्कि उनके संरक्षण और देखभाल के लिए हर वर्ष लाखों रुपये का मेंटेनेंस बजट भी स्वीकृत होता है। अगर वृक्षारोपण हुआ ही नहीं, तो यह साफ है कि मेंटेनेंस की राशि भी इसी तरह हड़प ली गई होगी ।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जब इस मामले में वनमंडल अधिकारी (DFO) पंकज राजपूत से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे अभी छुट्टी पर हैं और लौटने के बाद ही इस पर कुछ बता पाएंगे।
वहीं, रायपुर CCF श्री राजू अगासीमनी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन वे जांच कराएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर इस तरह की गड़बड़ी पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जांच की मांग
वन विभाग के इस कथित घोटाले को लेकर स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इसी तरह सरकारी योजनाओं की राशि का दुरुपयोग होता रहेगा।
अब देखना होगा कि वन विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई की जाती है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।