जंगलों को बचाने के बजाय भ्रष्ट IFS अफसर बना रहे अपना साम्राज्य!
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का दलदल इतना गहरा हो चुका है कि अब अधिकारी अपने पद और कर्तव्यों को ही भूल चुके हैं। वन संरक्षण के नाम पर भारी-भरकम बजट स्वीकृत किया जाता है, लेकिन वह पैसा जंगलों तक पहुंचने के बजाय अधिकारियों की जेबों में चला जाता है। स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि अब IFS अधिकारी अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल और अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए सरकारी धन को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

वन विभाग का जो मकसद जंगलों का संरक्षण और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना था, वह अब महज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने वाले अधिकारी ही उसे बेचने और बर्बाद करने में लगे हुए हैं।
बिना वृक्षारोपण के ही मेंटेनेंस का पैसा हड़प लिया गया!
छत्तीसगढ़ के कोरबा वनमंडल में एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसमें वर्ष 2018-19-2023-24 के लिए 5 वें, 9 वें और 10 वें वर्ष के वृक्षारोपण मेंटेनेंस के नाम पर 12627264 रुपये खर्च दिखा दिए गए, जबकि धरातल पर वृक्षारोपण हैं ही नही तो मेंटेनेन्स किसका !


सबसे बड़ा सवाल – जब पेड़ ही नहीं लगाए गए, तो उनका मेंटेनेंस कैसे हो गया ?
सरकार ने लाखों-करोड़ों रुपये वृक्षारोपण और उसके रखरखाव के लिए जारी किए, लेकिन जब मौके पर जाकर देखा गया तो पता चला कि न वहां कोई पेड़ लगाए गए और न ही कोई रखरखाव हुआ। फिर भी कागजों पर सब कुछ फर्जी तरीके से पूरा दिखा दिया गया।
IFS अधिकारियों का भ्रष्टाचार का खेल – कमीशन लिए बिना साइन नहीं करते!

वन मुख्यालय में भ्रष्टाचार इस हद तक पहुंच चुका है कि बिना कमीशन के कोई भी फाइल पास नहीं की जाती।
- कुछ अधिकारी एडवांस में रिश्वत लेकर दस्तखत करते हैं।
- कुछ “एक हाथ ले, एक हाथ दे” की नीति पर काम करते हैं।
- कुछ अधिकारी काम के बाद कमीशन मांगते हैं और कुछ काम सही से कराने के बहाने पैसा वसूलते हैं।
- कुछ अधिकारी बची हुई रकम भी ऐंठने के लिए काम अच्छा कराने की बात करते हैं।
वन मुख्यालय में ऐसे अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त है, जो सिर्फ नोट गिनने में व्यस्त हैं। अफसरों को जंगलों की चिंता नहीं, उन्हें सिर्फ अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने की फिक्र है।
IFS अफसरों की ईमानदारी भी संदिग्ध – कौन कितना पाक-साफ?
हालांकि, कुछ गिने-चुने अधिकारी भी हैं, जो इस भ्रष्टाचार से खुद को दूर रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि अगर वे इतने ईमानदार हैं, तो इस गड़बड़ी को उजागर करने के लिए अब तक चुप क्यों हैं?
IFS सतोवीसा, वरुण जैन और शालिनी रैना जैसे अधिकारी अपनी ईमानदारी का दावा करते हैं, लेकिन क्या उन्होंने इस भ्रष्टाचार को रोकने की कोई कोशिश की? अगर वे ईमानदार होते, तो क्या करोड़ों रुपये का यह खेल इतनी आसानी से हो पाता ?
घोटाले की पूरी लिस्ट – कहां कितना पैसा लूटा गया?
कोरबा वनमंडल में भ्रष्टाचार की ये लूट एक सूची के जरिए सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि कहां-कहां वृक्षारोपण का मेंटेनेंस दिखाया गया और कितने लाख रुपये गबन कर लिए गए:साइट का नामआदेश संख्या/तिथिसंस्तुत विवरणवित्तीय राशि (लाखों में) ओए 1504 नोनबिर्रा भाग – 1 44/24.05.2023 20,000 2.94 लाख ओए 972 जुनवानीभाठा 44/24.05.2023 50,000 1.50 लाख ओए 1243 सोनपुरी 44/24.05.2023 40,000 1.20 लाख ओए 1203 नेवारीडांड 44/24.05.2023 30,000 90,000 पी 1135 धौराभाठा 44/24.05.2023 50,000 1.50 लाख इत्यादि कुल मिलाकर घोटाले की राशि 12627264 रूपये हैं (लगभग 1.26 करोड़ रुपये) विस्तृत विवरण के लिए पत्र देखें।

आखिर कौन लेगा जिम्मेदारी?
- क्या सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएगी?
- क्या दोषी अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा?
- या फिर हमेशा की तरह फाइलों में घोटाला दबा दिया जाएगा?
छत्तीसगढ़ की जनता को इस घोटाले पर जवाब चाहिए! जब पेड़ ही नहीं हैं या लगाए ही नहीं गए, तो मेंटेनेंस का पैसा किसकी जेब में गया ?
अगर सरकार और प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते, तो यह साफ हो जाएगा कि पूरा सिस्टम ही भ्रष्टाचार में लिप्त है और आम जनता के टैक्स के पैसे को लूटने के लिए बनाया गया है।
जनता को जागरूक होना होगा!
अब समय आ गया है कि जनता अपनी आवाज बुलंद करे और इस लूट के खिलाफ आवाज उठाए। अगर अब भी हम चुप रहे, तो आने वाले समय में हमारे जंगल, हमारा पर्यावरण और हमारी आने वाली पीढ़ियां इस भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएंगी।
सरकार को चाहिए कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी इस तरह का खेल करने से पहले सौ बार सोचे।