छत्तीसगढ़: क्या वन विभाग में बाहरी अधिकारियों और कंपनियों को दिया जा रहा है प्राथमिकता?

स्थानीय अधिकारियों की अनदेखी पर उठे सवाल, भ्रष्टाचार की जांच के नाम पर ईमानदार अफसरों पर दबाव!

रायपुर। छत्तीसगढ़ का वन विभाग इन दिनों विवादों में है। राज्य में जहां वन संपदा और प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं, वहीं विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों प्रदेश के स्थानीय अधिकारियों और संसाधनों की उपेक्षा कर बाहरी अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जा रहा है? क्यों विभागीय कामों के लिए प्रदेश की संस्थाओं की बजाय दक्षिण भारत की कंपनियों को प्राथमिकता दी जा रही है?

बाहरी कंपनियों और अधिकारियों को तवज्जो, लोकल को नजरअंदाज

वन विभाग के हाल के फैसले यह दर्शाते हैं कि विभागीय कार्यों में स्थानीय लोगों की भागीदारी नगण्य हो गई है। उदाहरण के लिए—

  • दुर्ग CCF एवं APCCF कैम्पा रहते टॉल पौधे का वृक्षारोपण कराया गया तो उसका भी खरीदी छत्तीसगढ़ से बाहर से कि गई थी।
  • वन बल प्रमुख के द्वारा वनमण्डलधिकारी धमतरी रहते हुए उन्होंने 2001-04 के दौरान बिना किसी काम के, बिना जांच के लाखों रुपये के वाउचर पास किए गए।
  • हरियाली प्रसार योजना और मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत पौधों की आपूर्ति स्थानीय संसाधनों से करने के बजाय दक्षिण भारत से कराई गई, जबकि ये पौधे छत्तीसगढ़ में भी उपलब्ध थे।
  • दुर्ग एवं जगदलपुर मुख्य वन संरक्षक रहते क्लोनल नीलगिरि के पौधे खरीदी कि गई तो छत्तीसगढ़ से बाहर से।
  • वनरक्षक भर्ती के लिए आवश्यक शारीरिक दक्षता जांच और अन्य प्रक्रियाओं के लिए भी बाहरी संस्थाओं को ठेका दिया गया जिनके पास पर्याप्त मशीनरी तक नहीं थी।

ऐसे मामलों से साफ झलकता है कि विभागीय फैसलों में वनबल प्रमुख लोकल व्यापारियों और संसाधनों की उपेक्षा कर रहें है।

क्या ईमानदार अधिकारियों को किया जा रहा है टारगेट?

इससे भी बड़ा सवाल यह है कि ईमानदार अधिकारियों का उपयोग भ्रष्टाचारियों की फाइलें साफ करने या फिर व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के लिए किया जा रहा है।

  • दो साल पहले बस्तर वन मंडल में जांच टीम भेजी गई थी, लेकिन कोई ठोस भ्रष्टाचार नहीं मिला।
  • हाल ही में महासमुंद वन मंडल में भी जांच टीम भेजी गई, परंतु वहां भी कुछ खास नहीं मिला।

जांच के नाम पर बार-बार ईमानदार अधिकारियों पर दबाव बनाकर क्या भ्रष्ट अधिकारी खुद को बचाने का खेल खेल रहे हैं?

बाहरी अधिकारियों की पोस्टिंग का खेल!

महत्वपूर्ण वन मंडलों में बाहरी अधिकारियों को तैनात करने का ट्रेंड देखने को मिल रहा है। उदाहरण के तौर पर—

  • CCF अनुसंधान एवं विस्तार वन मुख्यालय – श्रीवेंकटचलम
  • बीजापुर DFO – श्रीरंगनाथन
  • सरगुजा CCF – श्री माथेश्वरन
  • अचानकमार टाइगर रिजर्व लोरमी – श्री यू. आर. गणेश
  • CF हाथी रिजर्व सरगुजा – श्री टेंननिटी

छत्तीसगढ़ के इतने सक्षम अधिकारी होने के बावजूद, इन महत्वपूर्ण पदों पर बाहरी अफसरों की नियुक्ति आखिर क्यों की जा रही है?

क्या यह छत्तीसगढ़ के संसाधनों और अधिकारियों की अवहेलना नहीं?

यह सवाल आम जनता के मन में उठना लाजिमी है कि क्या हमारे राज्य में काबिल अफसरों की कमी है? क्यों सरकार और विभाग प्रमुख स्थानीय अधिकारियों और व्यापारियों पर भरोसा नहीं जता रहे? अगर यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है, तो यह राज्य के विकास के लिए घातक साबित हो सकता है।

अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इन सवालों का जवाब देने के लिए क्या कदम उठाते हैं। क्या छत्तीसगढ़ के हितों को सुरक्षित रखने के लिए कोई ठोस नीति बनेगी, या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Post

कैम्पा में 2.35 करोड़ का घोटाला? कोरबा के इन नालों में पानी से ज्यादा बहा भ्रष्टाचार, ज़ब चाचा कोतवाल तो डर काहे का की तर्ज में भ्रष्टाचार ! भ्रष्टाचार से DFO, SDO लाल, सुकमा की तरह 95 न सही 50 जमीन के पेपर मिलने के पक्का आसार।

Live Cricket Update

You May Like This

कैम्पा में 2.35 करोड़ का घोटाला? कोरबा के इन नालों में पानी से ज्यादा बहा भ्रष्टाचार, ज़ब चाचा कोतवाल तो डर काहे का की तर्ज में भ्रष्टाचार ! भ्रष्टाचार से DFO, SDO लाल, सुकमा की तरह 95 न सही 50 जमीन के पेपर मिलने के पक्का आसार।

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786

× How can I help you?