छत्तीसगढ़ के वन विभाग में वृक्षारोपण घोटाला: भ्रष्टाचार की आग में जलते जंगल
मनेन्द्रगढ़ और सरगुजा में करोड़ों की हेराफेरी
छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ और सरगुजा वनमंडल में वृक्षारोपण योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सरकारी कागजों में हरे-भरे जंगल उगाए जा चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। करोड़ों रुपये की लागत से किए गए वृक्षारोपण के नाम पर केवल फर्जीवाड़ा हुआ। जब इस घोटाले की भनक मीडिया को लगी और इसकी पड़ताल शुरू हुई, तो अधिकारियों ने मामले को दबाने के लिए घोटाले के सुबूतों को ही जलाकर खाक कर दिया।

रेंजर का खुलासा: “ऊपर तक पैसा जाता है”
मनेन्द्रगढ़ के एक रेंजर ने खुलेआम स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार केवल निचले स्तर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऊपर से नीचे तक सभी लोग शामिल हैं। उसने कहा, “हम लोग अगर 1 रुपया चोरी करते हैं, तो ऊपर तक 80-90 पैसे बांटने पड़ते हैं। चाहे जितनी भी खबरें चला लो, हमारा कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता।”
मनेन्द्रगढ़ के ही एक दूसरे रेंजर ने कहा कि “ये 1 रूपये की चोरी करने के लिए भी ऊपर से ही दबाव आता हैं।”
इस बयान के सामने आने के बाद भ्रष्टाचार को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि खबर प्रकाशित होते ही CCF माथेस्वरम और DFO मनीष कश्यप ने संबंधित अधिकारियों को फोन कर मामले को रफा-दफा करने की हिदायत दी। इसके बाद आनन-फानन में P-704 वृक्षारोपण स्थल में आग लगा दी गई, ताकि भ्रष्टाचार के सबूत जलकर राख हो जाएं और किसी भी तरह की जांच एवं वसूली से बचा जा सके।
नदी तट वृक्षारोपण: करोड़ों की हेराफेरी



मनेन्द्रगढ़ वन मंडल में नदी तट वृक्षारोपण के लिए 125 हेक्टेयर भूमि पर पौधे लगाने का दावा किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत में अधिकांश स्थानों पर एक भी पौधा नजर नहीं आया।


RTI में जब इस योजना से जुड़े दस्तावेज मांगे गए, तो अधिकारियों ने यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया कि “ऑफिस की कोई भी जानकारी बाहर नहीं जानी चाहिए, अपील वगैरह हम मैनेज कर लेंगे।”
घोटाले के आंकड़े:
(विभिन्न कक्षों में वृक्षारोपण के लिए आवंटित राशि)
- कक्ष क्रमांक आर 699 (10 हेक्टेयर) – 14.91 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक RF 679 (5 हेक्टेयर) – 7.08 लाख रुपये
- कक्ष क्रमांक पी 715 (15 हेक्टेयर) – 22.37 लाख रुपये
- कुल घोटाला – 186.40 लाख रुपये
हालांकि, हकीकत में कहीं भी वृक्षारोपण नहीं हुआ।
सड़क किनारे वृक्षारोपण में भी भारी घोटाला

सरगुजा वन मंडल में 6 किलोमीटर सड़क किनारे वृक्षारोपण के लिए 41.51 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। परंतु स्थिति यह है कि जिन स्थानों पर वृक्षारोपण किया जाना था, वहां न तो पौधे हैं और न ही उनके रखरखाव का कोई प्रमाण।
सड़क किनारे वृक्षारोपण के लिए चुने गए स्थान:
- मैनपाट से बिसरीपानी (2 किमी)
- बनिया चौक से राईडांड चौक (1 किमी)
- सांडबार से सुखरी भाग 1 (1 किमी)
- सांडबार से सुखरी भाग 2 (1 किमी)
लेकिन इनमें से किसी भी स्थान पर पौधे नजर नहीं आए।
CCF माथेस्वरम की भूमिका संदेह के घेरे में
सरगुजा के मुख्य वन संरक्षक (CCF) माथेस्वरम पर भी सवाल उठ रहे हैं। उनका कार्यकाल भ्रष्टाचार से भरा रहा है। बताया जा रहा है कि वे महीनेभर अपने कार्यालय में बैठकर आदेश जारी करते हैं, लेकिन कभी भी फील्ड में जाकर निरीक्षण नहीं करते। इससे साफ है कि भ्रष्टाचार को संरक्षण मिल रहा है।
वन मंत्री और विभाग प्रमुख की चुप्पी संदेहास्पद
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वन मंत्री और वन विभाग के शीर्ष अधिकारी इस पर चुप क्यों हैं? क्या वे इस घोटाले से अनजान हैं, या फिर उनकी भी मिलीभगत है?
सरकार से मांग: दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई
अगर इस भ्रष्टाचार पर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आने वाले वर्षों में यह स्थिति और बदतर हो जाएगी। राज्य सरकार को तत्काल इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष:
वृक्षारोपण जैसी योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। जनता के पैसे से अधिकारी और ठेकेदार अपनी जेबें भर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए, ताकि प्राकृतिक संसाधनों की लूट को रोका जा सके।