छत्तीसगढ़ – वाणिज्यिक वृक्षारोपण के तहत 36,000 एकड़ पर कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2023 में शुरू की गई मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में भारी भ्रष्टाचार और घटिया गुणवत्ता के आरोप सामने आए हैं। किसानों को आकर्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर टिशू कल्चर पौधों की खरीद की गई, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि पौधों की गुणवत्ता, खरीद प्रक्रिया और मूल्य निर्धारण में गड़बड़ी की वजह से किसानों का भरोसा टूट चुका है।
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योजना का प्रस्ताव और वित्तीय विवरण
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तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री संजय शुक्ला द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में पौधों की खरीद का विस्तृत विवरण निम्नलिखित था:
- टिशू कल्चर सैगोन:
- मात्रा: 16,50,000 नग
- दर: ₹80 प्रति नग
- कुल लागत: ₹13,20,00,000
- टिशू कल्चर बांस:
- मात्रा: 25,00,000 नग
- दर: ₹40 प्रति नग
- कुल लागत: ₹10,00,00,000
- मिलिया दूबिया:
- मात्रा: 5,000 KG
- दर: ₹250 प्रति KG
- कुल लागत: ₹12,50,000
कुल प्रस्तावित राशि: लगभग ₹23 करोड़ 32 लाख 50 हजार
इस प्रपोज़ल को पत्र क्रमांक/अनु. एवं वि./01, दिनांक 02.01.2023 के माध्यम से छत्तीसगढ़ शासन को पौधे खरीदी हेतु अनुमति बाबत भेजा गया। साथ ही छत्तीसगढ़ बीज निगम द्वारा भी पौधों के लिए ली-रेट कॉन्ट्रैक्ट (RC) निकाला गया था, जिससे टेंडर में भाग लेने वाले लोगों के साथ धोखाधड़ी के आरोप लगे।
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खरीद प्रक्रिया में दोहरा सौदा और सुरक्षित भ्रष्टाचार
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- सरकारी खरीद आदेश एवं भुगतान:
वन बल प्रमुख के पत्र क्रमांक/अनु. एवं वि./01 (दिनांक 02.01.2023) के तहत भंडार क्रय नियम के अंतर्गत छुट प्रदान करते हुए अनुमति जारी की गई। इसके उपरांत, 22.02.2023 को अनुमति पत्र क्रमांक F 06-03/2022/10-2 जारी हुआ। एक दिन बाद PCCF संजय शुक्ला ने डायरेक्टर IFGTB कोयम्बतूर को ऑर्डर दे दिया।
IFGTB, जो ICFRE, देहरादून की संस्था है और मूल रूप से अनुसंधान कार्य में लगा हुआ है, से टिशू कल्चर सैगोन खरीदी गई और कुल ₹61,107,000 का भुगतान किया गया। - मूल्य निर्धारण में धांधली:
और भी चिंता का विषय यह सामने आया है कि ऑन पेपर कोयम्बतूर से पौधों को ₹85 प्रति नग की दर से खरीदा गया, जबकि छत्तीसगढ़ के लोकल टिशू कल्चर प्लांट से उपलब्ध पौधे मात्र ₹30 प्रति नग में बिक रहे हैं।
इसका मतलब है कि प्रति पौधा ₹55 का अंतर बढ़ाकर अतिरिक्त धन प्राप्त किया गया, जिससे लगभग ₹4 करोड़ का सुरक्षित भ्रष्टाचार सिद्ध होता है।
गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह और धोखाधड़ी के आरोप
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- लोकल स्रोत की उपेक्षा:
वन बल प्रमुख संजय शुक्ला ने छत्तीसगढ़ शासन को पत्र क्रमांक/अनु. एवं वि./17 (दिनांक 13.01.2023) में बताया कि टिशू कल्चर पौधों में स्रोत का अत्यंत महत्व है। यदि पौधे असली टिशू कल्चर के नहीं होंगे तो रोपण असफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
इसी चेतावनी के बावजूद, योजना के तहत छत्तीसगढ़ के लोकल टिशू कल्चर प्लांटों को काम पर नहीं लाया गया और कोयम्बतूर एवं मध्यप्रदेश वन विभाग से पौधे खरीदने का निर्णय लिया गया। - सांठ-गांठ और गुणवत्ता में गिरावट:
सूत्रों के अनुसार, दक्षिणी अधिकारी (एस. वेंकटचलम, CCF अनुसंधान विस्तार) ने अपने परिचितों के साथ मिलकर कोयम्बतूर से ऑर्डर दिलवाने का सौदा निपटाया। इसके परिणामस्वरूप, सप्लाई की गई पौधों की गुणवत्ता घटिया निकली।
IFGTB द्वारा बताए पौधे अपेक्षित रूप से जल्दी वृद्धि नहीं कर रहे हैं, जिससे किसानों के वृक्षारोपण की सफलता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं।
किसान एवं स्थानीय जनता की स्थिति
मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का मूल उद्देश्य कृषकों की आय में वृद्धि करके उन्हें समृद्धि का सपना दिखाना था। कई किसानों ने इस योजना के तहत वृक्षारोपण किया, लेकिन अब उन्हें असफल पौधों की वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है:
- वादा बनाम हकीकत:
किसानों को आश्वासन दिया गया था कि उच्च गुणवत्ता के टिशू कल्चर पौधों से उनकी आमदनी में तेजी आएगी। - रोपण में विफलता:
वर्तमान में, जहाँ जहाँ ये पौधे लगाए गए हैं, वे असफल वृक्षारोपण की श्रेणी में आ रहे हैं। स्थानीय वन अधिकारियों से शिकायतों के बावजूद उचित सुनवाई नहीं मिल रही है। - निराशा की लहर:
किसानों का मानना है कि उन्होंने अपने विश्वास पर निवेश किया, लेकिन घटिया पौधों के कारण अब उनका भविष्य उज्ज्वल नहीं दिख रहा। कई किसान असफल पौधों को खोदकर फेंकने का भी विचार कर रहे हैं।
विशेषज्ञों और मांगों की आवाज़
विभिन्न सूत्रों एवं विशेषज्ञों का कहना है कि IFGTB जैसी अनुसंधान संस्थाओं का कार्य वाणिज्यिक उत्पादन से दूर है। इसलिए, इस पूरे सौदे में संलिप्त सभी पक्षों की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए:
- उच्च स्तरीय जांच एवं जवाबदेही:
- पूरे सौदे एवं पौधों की गुणवत्ता की गहन जांच की जाए।
- मूल्य निर्धारण में हुए अंतर (₹55 प्रति पौधा) पर भी सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे लगभग ₹4 करोड़ का सुरक्षित भ्रष्टाचार सिद्ध होता है।
- वन मंत्री का संज्ञान:
वन मंत्री एवं संबंधित अधिकारियों से अपील है कि इस मामले की गंभीर जांच कर दोषियों को सजा देकर किसानों के हितों का संरक्षण किया जाए।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत कृषकों को समृद्धि का सपना दिखाकर वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया गया था, लेकिन घटिया गुणवत्ता के टिशू कल्चर पौधों की खरीद, मूल्य निर्धारण में धांधली और धोखाधड़ी के आरोपों से यह योजना अब किसानों के लिए एक दुखद वास्तविकता बन गई है। उच्च स्तरीय जांच, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने की तुरंत आवश्यकता है, ताकि किसानों का हक बरकरार रहे और उनके सपनों को कोई ठगा न सके।