छत्तीसगढ़ शासन में उच्च पदों पर कार्यरत महिला IAS अधिकारी—अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती ऋँचा शर्मा और सचिव (वन एवं जलवायु परिवर्तन) श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी—के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या वे वन मुख्यालय के वरिष्ठ IFS अधिकारियों के प्रभाव में हैं, या फिर वे जानबूझकर निष्पक्ष और ईमानदार महिला IFS अधिकारियों को उनकी योग्यता के अनुसार मैदानी तैनाती देने से बच रही हैं?
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ईमानदार महिला IFS अधिकारियों की उपेक्षा?
CCF श्रीमती शालिनी रैना और DCF श्रीमती सतोवीसा समजदार की कार्यशैली को आम जनता और पत्रकारों तक ने निष्पक्ष और ईमानदार माना है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि शासन में बैठी महिला IAS अधिकारी, जो स्वयं भी प्रशासनिक दायित्व संभाल रही हैं, इन महिला IFS अधिकारियों के समर्थन में खड़ी नहीं दिख रही हैं।
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क्या IAS अधिकारी वन मुख्यालय के प्रभाव में हैं?
यह सवाल उठना लाज़मी है कि जब वरिष्ठ महिला IFS अधिकारी अपनी निष्पक्षता के बावजूद मुख्यालय में ही सीमित रखी जा रही हैं, तो क्या IAS अधिकारी इन्हें फील्ड पोस्टिंग देने में असमर्थ हैं? क्या वन विभाग के वरिष्ठ IFS अधिकारी, जो मुख्यालय में बैठे हैं, अपने प्रभाव का उपयोग कर इन महिला अधिकारियों को केवल जांच और विवाद सुलझाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं?
शासन में बैठे अधिकारी जिम्मेदारी से बच रहे हैं?
- यदि ये अधिकारी ईमानदार और निष्पक्ष हैं, तो इन्हें मैदानी पोस्टिंग क्यों नहीं दी जा रही?
- क्या प्रशासन में बैठे शीर्ष IAS अधिकारी, विशेष रूप से महिला IAS, इन IFS अधिकारियों की मेहनत और निष्पक्षता को नज़रअंदाज कर रहे हैं?
- क्या इन अधिकारियों को केवल “मुख्यालय में उपयोगी” बनाकर रखा गया है, जिससे वे वरिष्ठ IFS अधिकारियों की रणनीति का हिस्सा बनें?
महिला नेतृत्व और निष्पक्षता की जिम्मेदारी
शासन में बैठे श्रीमती ऋँचा शर्मा और श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने मातहत महिला अधिकारियों की निष्पक्षता को प्रोत्साहित करें, न कि उन्हें मुख्यालय की राजनीति का हिस्सा बनने दें। यदि वे महिला अधिकारियों की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं कर रही हैं, तो उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कारण है।
पत्रकारों और आम जनता की आवाज़
यदि निष्पक्ष पत्रकारों और आम जनता को इन महिला IFS अधिकारियों की ईमानदारी पर पूरा विश्वास है, तो शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी इन्हें वह स्वतंत्रता और कार्यक्षेत्र क्यों नहीं दे रहे, जिसकी वे हकदार हैं? यदि जल्द ही इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि शासन में बैठे लोग भी केवल राजनीति कर रहे हैं और ईमानदार अधिकारियों के हितों की रक्षा नहीं कर रहे।
समाधान क्या है?
- CCF श्रीमती शालिनी रैना और DCF श्रीमती सतोवीसा समजदार जैसी ईमानदार महिला अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग दी जानी चाहिए।
- महिला IAS अधिकारियों को निष्पक्षता दिखाते हुए इन अधिकारियों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
- वन मुख्यालय में बैठे वरिष्ठ IFS अधिकारियों के प्रभाव की जांच होनी चाहिए, जिससे यह स्पष्ट हो कि क्या वे अपने काम निकालने के लिए इन महिला अधिकारियों का उपयोग कर रहे हैं।
- इस मामले को सरकार के उच्च स्तर तक पहुंचाया जाना चाहिए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
अगर यह स्थिति जारी रही, तो इसका गलत संदेश प्रशासनिक ढांचे में जाएगा और इससे ईमानदार अधिकारियों का मनोबल टूट सकता है।