जगदलपुर में 20 करोड़ का काफी वृक्षारोपण घोटाला, एंटी कप्शन ब्यूरो को शिकायत, FIR की मांग।

जगदलपुर: बस्तर जिले के उपसंचालक उद्यानिकी विभाग एवं उद्यानिकी महाविद्यालय द्वारा वर्ष 2022 में कुटरचना एवं षड्यंत्र पूर्वक कॉफी वृक्षारोपण योजना के तहत लगभग 800 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण के लिए 20 करोड़ रुपये की राशि हड़पने का मामला सामने आया है। इस मामले में कागजी कार्यवाही के माध्यम से सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया, जबकि मौके पर वृक्षारोपण के कोई प्रमाण नहीं हैं।

कैसे हुआ घोटाला?

  1. फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव: वृक्षारोपण के लिए ग्रामसभा से प्रस्ताव पारित दिखाया गया, लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि कोई ग्रामसभा हुई ही नहीं। यहां तक कि ग्रामसभा प्रस्ताव पर ग्रामीणों के हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए।
  2. बिना कर छूट वाले क्षेत्र में वृक्षारोपण: वृक्षारोपण के लिए चयनित भूमि वन विभाग की संरक्षित (RF) भूमि है, जहां किसी प्रकार की खेती की अनुमति नहीं है।
  3. कुटरचना पूर्वक कॉफी वृक्षारोपण की गलत रिपोर्ट : 800 एकड़ भूमि में वृक्षारोपण दिखाया गया, लेकिन मौके पर यह पूरी तरह असत्य साबित हुआ।
  4. फर्जी खर्च का दावा: रिपोर्ट के अनुसार 80 लाख रुपये का बोर -खनन, भूमि समतलीकरण, 40 लाख रुपये रेती गिट्टी खरीद, 34 लाख रुपये जैविक खाद, 70% एरिया मे कागजो मे फेंसिंग और अन्य मदों में बड़ी राशि खर्च होने का दावा किया गया है।
वन विभाग का पत्र

सरकारी धन की बर्बादी और जिम्मेदारियां

डीएमएफ और मनरेगा से संबंधित योजनाओं के तहत 316.58 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए गए। इसके अलावा अन्य मदों से 20 करोड़ की धनराशि जारी कर बिना किसी वास्तविक कार्य के कागजी रूप से हड़प ली गई।

घोटाले के कारणों की जांच आवश्यक

  • कागजी कार्यवाही में अनियमितता: फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव एवं अवैध भूमि चयन।
  • प्रस्तावित वृक्षारोपण असफल: मौके पर वृक्षारोपण का कोई प्रमाण नहीं मिला।
  • वित्तीय गड़बड़ी: मशीनरी, खाद एवं अन्य मदों में गलत खर्च का दावा।

जिम्मेदार अधिकारियों की सूची:

  1. उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी: योजना निर्माण, धन आवंटन और कार्य निगरानी के लिए जिम्मेदार।
  2. जिला प्रशासन के अधिकारी: ग्रामसभा प्रस्तावों की वैधता सत्यापित करने और भूमि चयन की निगरानी के लिए जिम्मेदार।
  3. वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने वाले अधिकारी: डीएमएफ और मनरेगा के तहत भारी राशि जारी करने की जिम्मेदारी।
  4. वन विभाग के अधिकारी: संरक्षित वन भूमि पर बिना अनुमति वृक्षारोपण की निगरानी में विफलता।
  5. ग्राम पंचायत प्रतिनिधि: फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की स्वीकृति का मामला।

शिकायतकर्ता की मांग

शिकायतकर्ता अब्दुल शेख करीम ने संबंधित घोटाले की शिकायत एसीबी रायपुर सहित प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग, और वन  तथा क़ृषि मंत्रालय को प्रेषित की है। उन्होंने मांग की है कि:

  1. उच्चस्तरीय जांच शिकायतकर्ता की उपस्थिति में की जाए।
  2. दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर राशि की वसूली की जाए।
  3. योजना से जुड़े सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

निष्कर्ष

इस घोटाले ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता, धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि उच्च अधिकारियों द्वारा इस मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं। जनता और शिकायतकर्ताओं की नजर अब प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हुई है।

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