अपील दायर करने में देरी करने वाले सरकारी अधिकारियों की खैर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को दिया कार्रवाई का आदेश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे उन सरकारी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करें, जो सरकारी मामलों में अपील या मुकदमे दायर करने में देरी करते हैं, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान होता है। अदालत ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए।

यह आदेश मध्य प्रदेश सरकार और रामकुमार चौधरी के मामले में दिया गया, जिसमें राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए अपील खारिज कर दी थी कि सरकारी पक्ष की ओर से अपील दायर करने में 5 साल से अधिक की अत्यधिक देरी की गई थी, और इसके लिए कोई ठोस कारण नहीं पेश किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने भी उच्च न्यायालय के इस निर्णय को बरकरार रखा और कहा कि सरकारी मामलों में अपील में अत्यधिक देरी से न्याय प्रणाली पर बोझ पड़ता है और विवादित पक्षों को अनावश्यक मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारों को भी समयबद्ध तरीके से अपनी अपील दायर करनी चाहिए और “देरी का विशेषाधिकार” जैसे रुझान से बचना चाहिए।

मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों के लापरवाह रवैये को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मामले में गंभीर आपत्ति जताई। कोर्ट ने बताया कि इस मामले में 2014 में फैसले के बाद भी, सरकारी अधिकारियों द्वारा अपील दायर करने में देरी की गई। कलेक्टर ने 2015 में मामले की जानकारी दी और विधि विभाग ने तीन साल बाद 2018 में अपील दायर करने की अनुमति दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786