जानें उनका धार्मिक महत्व और इतिहास… सनातन धर्म में कितने अखाड़े हैं

Akhadas in Sanatan Dharma: अखाड़े धार्मिक संस्थाओं का एक प्राचीन स्वरूप हैं जो संत-समाज को संगठित रखने और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान देने के उद्देश्य से स्थापित हुए. ये अखाड़े न केवल धर्म और समाज की रक्षा का कार्य करते हैं, बल्कि हिंदू धर्म के आध्यात्मिक मूल्यों और परंपराओं को जीवित रखने में भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं. सनातन धर्म में अखाड़ों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है.

अखाड़ों की स्थापना का इतिहास

अखाड़ों का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है. इसका संबंध मुख्य रूप से उस समय से है जब धर्म की रक्षा के लिए संतों और संन्यासियों को एकजुट किया गया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार, 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना की थी. उनका उद्देश्य धर्म का संरक्षण और समाज में सद्भावना का प्रसार करना था. उस समय इन अखाड़ों का काम बाहरी आक्रमणों से धर्म और संतों की रक्षा करना भी था. प्राचीन समय में ये अखाड़े संतों और साधुओं को एकजुट करते थे, जो समाज को मार्गदर्शन प्रदान करते थे. इनके माध्यम से कई तरह के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं और विशेष अवसरों पर, जैसे कुंभ और महाकुंभ के दौरान, इनका बड़ा महत्त्व होता है.

अखाड़ों की संख्या और उनके प्रकार

वर्तमान में 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जो मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित हैं- शैव अखाड़े, वैष्णव अखाड़े और उदासी अखाड़े

शैव अखाड़े भगवान शिव की उपासना करते हैं और इनका मुख्य उद्देश्य शिव भक्ति का प्रचार करना है.

  • जूना अखाड़ा
  • अवधूत अखाड़ा
  • अतल अखाड़ा
  • आनंद अखाड़ा
  • निरंजनी अखाड़ा
  • महानिर्वाणी अखाड़ा

वैष्णव अखाड़े भगवान विष्णु की भक्ति में लीन ये अखाड़े उनके विचारों का प्रचार करते हैं.

  • निर्मोही अखाड़ा
  • निर्वाणी अखाड़ा
  • दिगंबर अखाड़ा

उदासी अखाड़े उदासी संप्रदाय से जुड़े हुए हैं और संत गुरुनानक देव की शिक्षाओं पर चलते हैं.

  • बड़ा उदासीन अखाड़ा
  • नया उदासीन अखाड़ा

अखाड़ों के महत्त्व की बात करें तो ये अखाड़े धार्मिक शिक्षा और अनुशासन के केंद्र हैं. ये धर्म के मूल सिद्धांतों का प्रचार करते हैं और समाज में नैतिकता और ईमानदारी की भावना का विकास करते हैं. प्राचीन काल में अखाड़े समाज की रक्षा और धर्म के प्रति खतरे को दूर करने में भी सहायक थे. विशेषकर मुगल और विदेशी आक्रमणों के समय अखाड़ों ने धर्म को बचाने का कार्य किया था. कुंभ, महाकुंभ और अन्य धार्मिक पर्वों के दौरान अखाड़े संतों और श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं. अखाड़े योग, साधना और तपस्या का प्रमुख स्थान हैं, जहां संत और संन्यासी कठिन साधनाओं का अभ्यास भी करते हैं. सनातन धर्म में अखाड़ों का महत्त्व अति महत्वपूर्ण है. इनका मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा, संतों की सुरक्षा, और धार्मिक मूल्यों का प्रचार करना है. आदिगुरु शंकराचार्य के द्वारा स्थापित ये अखाड़े सदियों से सनातन धर्म और संस्कृति का संरक्षण कर रहे हैं.

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