नई दिल्ली। आज से ठीक एक माह पहले 27 जुलाई की शाम को बारिश कहर बनकर टूटी थी। ओल्ड राजेंद्र नगर के राव आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट की लाइब्रेरी में पानी भरने से सिविल सेवा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई थी। मुद्दा सड़क से संसद तक गूंजा, तब कही जाके सरकारी एजेंसियां हरकत में आईं। फिर भी, अभी तक जमीनी हकीकत में ठोस बदलाव नहीं हुए हैं। हल्की सी भी बारिश में ओल्ड राजेंद्र नगर समेत पूरी दिल्ली में जलजमाव आम रहता है। छात्रों पर भी दोहरी मार पड़ी है। कोचिंग पर ताला लगने व धरना-प्रदर्शन के बीच बच्चों की पढ़ाई तो बाधित हुई ही, बेसमेंट की लाइब्रेरी बंद होने से दूसरी जगहों पर पढ़ाई के लिए दोगुना शुल्क देना पड़ रहा हैं
वहीं, हादसे के बाद पुलिस जांच पर सवाल उठे, तो हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस को फटकार लगाते हुए जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया। इससे पहले पुलिस ने कोचिंग सेंटर के मालिक समेत सात की गिरफ्तारी की थी। जिसमें से एक को जमानत मिल गई है। जबकि कोचिंग को चलाने या बंद करने फैसला 28 अगस्त को होगा।
ओल्ड राजेंद्र नगर में जल भराव की समस्या
बता दें कि, ओल्ड राजेंद्र नगर में जलभराव की समस्या जस की तस बनी हुई है। एमसीडी के इंतजाम स्थायी समाधान नहीं निकाल सके हैं। हल्की सी बारिश में सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। जबकि हादसे के बाद एमसीडी ने दावा था कि, इस समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। जिसके लिए एमसीडी ने सड़क से अतिक्रमण हटाने, नालों की सफाई और पुरानी पाइप लाइन को उखाड़कर नई पाइपलाइन डाली। एक तो नई पाइपलाइन का कार्य अधूरा पड़ा है। वहीं, इससे ठीक से पानी भी नहीं निकल पा रहा है।
वहीं एमसीडी की नाकामी पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रतियोगी छात्र नितिन ने बताया कि, अभी तीन दिन पहले हुई बारिश में सड़क पर पानी जमा हो गया था। पानी निकालने के लिए एक पंप सेट तैनात कर रखा है। वह बारिश के दौरान जलभराव होनेे से रोक नहीं पाता है। जबकि पूर्व पार्षद राजेश भाटिया का कहना है कि, केवल नालों की सफाई से समस्या का समाधान नहीं होगा। इलाके में जलभराव की समस्या जटिल है, और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इस कड़ी में एक अच्छी योजना बनाने के साथ-साथ उस पर लगातार कार्य भी करना होगा।
बेसमेंट की लाइब्रेरी बंद, अभ्यर्थियों की बढ़ी मुश्किलें
वहीं ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे का असर प्रतियोगी परीक्षाओं के हब के तौर पर मशहूर मुखर्जी नगर, करोल बाग समेत दूसरे इलाके पर भी पड़ा है। सभी जगहों पर बेसमेंट में कई लाइब्रेरी बंद हो गई है। वहीं, कुछ जगहों पर कुछ लाइब्रेरी बेसमेंट में चोरी-छिपे चल रही हैं। जहां छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यही नहीं, लाइब्रेरी संचालकों ने फीस भी बढ़ा ली है। इससे छात्रों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है। मुखर्जी नगर व ओल्ड राजेंद्र नगर में कई लाइब्रेरी संचालित की जा रही हैं। लेकिन, एक माह के अंदर लाइब्रेरी संचालकों ने फीस बढ़ा कर दोगुना कर दी है। जहां पहले एक छात्र से प्रति माह की डेढ़ से दो हजार रुपये फीस ली जाती थी, वह अब दोगुनी हो गई है।
वहीं, बिहार के गोपालगंज से मुखर्जी नगर में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले एक छात्र राहुल देव ने बताया कि, वह जिस लाइब्रेरी में जाते हैं वहां इस माह से दो हजार रुपये अधिक फीस लेना शुरू कर दिया है। वह कहते हैं कि, यह उनके व परिवार के ऊपर फीस का अधिक भार हैं। उधर, बेसमेंट में लाइब्रेरी बंद होने से अन्य लाइब्रेरी में अभ्यर्थियों को पढ़ने के लिए जगह नहीं मिल रही है। अभ्यर्थियों के मुताबिक, एक लाइब्रेरी में 40 से 60 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है। इससे अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने से सीट व स्लॉट नहीं मिल रहा है।
सर्वे अभी भी अधूरा, सिर्फ 200 कोचिंग परिसर पर ही हुई कार्रवाई
एमसीडी ने हादसे के बाद भवन उपनियमों का उल्लंघन करने वाले परिसरों का पता लगाने के लिए सर्वे करने और उल्लंघन वाले परिसरों को सील करने की कार्रवाई शुरू कर रखी है। एमसीडी ने लगभग एक माह के दौरान करीब दो सौ परिसरों को सील किया है। इसके अलावा उसका सर्वे करने व सीलिंग करने का अभियान जारी है। वह अपने अभियान के दौरान खासकर बेसमेंट का सर्वे कर रही है। इस दौरान कोई भी गतिविधि मिलने पर वह बेसमेंट को सील कर रही है।
उपराज्यपाल कर रहे नालों का दौरा
इसके आलावा ओल्ड राजेंद्र नगर ही नहीं, हादसे के बाद की चार बार की बारिश में दिल्ली की सड़कों पर घुटनों तक पानी भर जाता है। जबकि इस समस्या को प्राथमिकता पर हल करने के मकसद से उपराज्यपाल नालों का दौरा कर रहे हैं।
राजनिवास के अधिकारियों का दावा है कि, चार अगस्त को उपराज्यपाल वीके सक्सेना सुनहरी, कुशक और बारापुला नालों का दौरा करने गए थे। उन्होंने इन नालों को साफ करने का आदेश भी दिया था, उनके आदेश के बाद इन नालों से पांच हजार मीट्रिक टन से अधिक गाद निकली जा चुकी है। इन तीन नालों के रास्ते से गाद निकालने, जाम हटाने और अव्यवस्था हटाने का काम युद्ध स्तर पर हाई-टेक मशीनों के साथ चौबीसों घंटे जारी है। तीन सप्ताह बाद, बदलाव दिखने लगे हैं। नालों में बिना किसी रुकावट के पानी बहने लगा है।
आश्वासन के बाद भी 3 गुना किराया देने को छात्र मजबूर
दिल्ली में कोचिंग लेने के लिए आये छात्रों को पीजी व दूसरे जगहों पर रहने के लिए दो से तीन गुना किराया देने को मजबूर होना पड़ रहा है। राजेंद्र नगर घटना के बाद छात्रों को प्रशासन ने आश्वासन दिया था। जिसके तहत दिल्ली किराया नियंत्रण कानून लागू किया जाना था, लेकिन घटना को एक माह बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ है। छात्रों का कहना है कि, आज भी एक छोटे सिंगल रूम के लिए 35 हजार रुपये प्रतिमाह और बिजली की कीमत 45 रुपये प्रति दर तक देनी पड़ रही है। इसके आलावा पीजी में बेड के आधार पर शुल्क तय होता है। इनमें सुविधाएं भी नहीं होती है। यदि किराये को तय करने के लिए नियामक प्रणाली बनाई जाती है तो, छात्रों की समस्याएं दूर हो जाएंगी। इसके अलावा दावा किया गया था कि, बिजली विभाग इलाके में बिजली की अधिक कीमत लिए जाने की तुरंत जांच करेगा। ऐसा होने पर छात्रों से कोई अधिक बिजली शुल्क नहीं ले पाएगा।
सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने की याचिका का निपटारा
21 अगस्त को इसी मामले में अदालत ने एसयूवी चालक की घटना स्थल के पास मौजूद सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने की मांग को लेकर दायर याचिका का निपटारा किया था। सीबीआई ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग को बताया कि, राव कोचिंग की डीवीआर, वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के पिंक बूथ का डीवीआर और राव कोचिंग के सामने मौजूद चहल अकादमी की सीसीटीवी फुटेज संरक्षित कर ली गई है। अदालत ने एसयूवी चालक मानुज कथूरिया के वाहन को छोड़ने की मांग वाली याचिका पर सीबीआई को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
किरकिरी के बाद फेस सेविंग में लगी दिल्ली पुलिस
राजेंद्र नगर हादसे के बाद थार कार चालक को गिरफ्तार कर किरकिरी झेलने वाली और दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस अपने अपनी छवि को सुधारने के प्रयास में लगी हुई है। तीन थाना इलाकों के बूथों में छात्र शिकायत रजिस्टर रखवा दिए हैं। बिना एफआईआर दर्ज किराए छात्रों की परेशानियां दूर होने लगी हैं। वहीं, राजेंद्र नगर, पटेल नगर, प्रसाद नगर व रणजीत नगर आदि थानों में चार-चार पुलिसकर्मियों की टीम बनाई थीं। टीम हर घर, हॉस्टल व पीजी में जाकर एक-एक छात्र से उनकी परेशानियां पूछ रही हैं। पुलिस का दावा है कि, लगभग एक महीने में करीब 4,000 छात्रों से बात की गई है।
शिकायत रजिस्टर में परेशानियां लिखकर जाने लगे हैं छात्र
वहीं मध्य जिला पुलिस उपायुक्त ने बताया कि, बूथों में रखवाए गए शिकायत रजिस्टर में छात्र अपनी शिकायत लिखने लगे हैं। पुलिस के पास आठ से ज्यादा शिकायत आ चुकी हैं। इनमें किराए ज्यादा होने, मकान मालिक के परेशान करने, खाना ठीक से नहीं देने व मालिक के व्यवहार की शिकायत ज्यादातर आ चुकी हैं। पुलिस बिना एफआईआर रजिस्टर करे मालिक को बुलाकर छात्रों की परेशानियों को दूर किया जा रहा है।
छात्रों को नहीं मिले अभी भी कई सवालों के जवाब
वहीं दिल्ली में कितने भवन व बेसमेंट का सुरक्षा ऑडिट हुआ। प्रशासन के आश्वासन के बाद भी क्यों देना पड़ रहा तीन गुना किराया, पीड़ितों को कितना मिला मुआवजा। दावे के तहत क्या एक माह के अंदर पूरी हुई मामले की संपूर्ण जांच, फायर सेफ्टी को लेकर क्या एमसीडी और दिल्ली फायर सर्विस की ज्वाइंट टास्क फोर्स कोई सर्वे किया। पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन करने वाले कितने इमारतों को ढहाया गया। आवासीय क्षेत्रों में लटके तारों को हटाने के लिए क्या हुआ। कोचिंग खुलेगी या रहेगी बंद, फैसला 28 को राव आईएएस स्टडी सर्कल की बिल्डिंग में दोबारा कोचिंग शुरू करने की मांग को लेकर राऊज एवेन्यू कोर्ट 28 को अपना फैसला सुनाएगा। एक याचिका में राव स्टडी सर्कल के सीईओ ने राहत की मांग करते हुए दावा किया कि, कक्षाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक था। वहीं इस मामले में हाई कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
कोर्ट ने क्या कहा
अदालत ने पीठ ने एमसीडी व दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि, एमसीडी अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है। यह एक सामान्य बात हो गई है। इसके अलावा 23 अगस्त को राउज एवेन्यू कोर्ट ने चार सह-मालिकों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज ने कहा था कि, जांच अभी शुरुआती चरण में है। इसलिए मैं जमानत देने के पक्ष में नहीं हूं।