बांग्लादेश संकट पर भारत में सर्वदलीय बैठक: विदेश मंत्री जयशंकर ने दी जानकारी, राहुल गांधी ने बाहरी हस्तक्षेप पर उठाया सवाल

दिल्ली। बांग्लादेश में हाल के दिनों में स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो गई है। इस संकट के बारे में भारत सरकार ने मंगलवार को संसद में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जानकारी दी। सरकार ने बताया कि वह बांग्लादेश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर ध्यान दे रही है और स्थिति के बदलते ही पार्टियों को जानकारी देती रहेगी।

बैठक में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, किरेन रिजिजू, जयशंकर, जेपी नड्डा, राहुल गांधी और कांग्रेस सांसद के वेणुगोपाल के अलावा कई अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हुए। साथ ही, डीएमके के टीआर बालू, जेडीयू के ललन सिंह, एसपी के राम गोपाल यादव, टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, आरजेडी की मीसा भारती, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, बीजेडी के सस्मित पात्रा, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले और टीडीपी के राम मोहन नायडू भी मौजूद थे।

बांग्लादेश में कितने भारतीय मौजूद हैं ?
केंद्र ने बताया कि बांग्लादेश में करीब 12,000 से 13,000 भारतीय मौजूद हैं। लेकिन स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि भारतीयों को तुरंत निकाला जाए। अब तक करीब 8,000 छात्र भारत लौट चुके हैं और दूतावास में मौजूद भारतीय सुरक्षित हैं। शेख हसीना के इस्तीफे के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट लगता है।

जयशंकर ने क्या किया पोस्ट…
बैठक के बाद, जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि संसद में बांग्लादेश के हालात पर जानकारी दी गई और सर्वसम्मति से समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। बांग्लादेश में सोमवार को व्यापक अशांति और हिंसा की खबरें सामने आईं। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा में कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। यह हिंसा प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तन के बीच झड़पों से शुरू हुई और बाद में आगजनी और तोड़फोड़ में बदल गई। पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 96 लोगों की मौत हुई और ढाका के बाहर झड़पों में 18 और लोगों की जान गई। चिकित्सा सूत्रों ने बताया कि 500 से ज्यादा लोगों को विभिन्न चोटों के लिए इलाज किया गया, जिनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती किया गया।

हालात की बिगड़ती स्थिति के कारण प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और प्रधानमंत्री के आवास समेत सरकारी भवनों में लूटपाट और तोड़फोड़ की गई। सरकारी नौकरी कोटा प्रणाली में सुधार की मांग करने वाले छात्रों का प्रदर्शन सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ बड़े आंदोलन में बदल गया। ढाका में रविवार को झड़पों में 95 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 14 कानून प्रवर्तन अधिकारी शामिल थे, और सैकड़ों लोग घायल हुए। साथ ही, जेलों से कैदियों के भागने, बैंकों को लूटने और मंदिरों और दुकानों में तोड़फोड़ जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास को भी नुकसान पहुंचाया गया है।

राहुल गांधी ने उठाया सवाल
राहुल गांधी ने बाहरी हस्तक्षेप के बारे में सवाल उठाया। विदेश मंत्री ने बताया कि बाहरी ताकत का हस्तक्षेप होने की बात करना अभी जल्दबाजी होगी। शेख हसीना को समय दिया जाएगा ताकि वे अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें। विपक्ष ने सरकार के साथ समर्थन देने का आश्वासन दिया है। ऐसे में राहुल गांधी ने मध्यम और दीर्घकालिक रणनीतियों की जरूरत की बात की। एंटी-इंडिया सेंटीमेंट पर भी चर्चा की गई, जिस पर विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ जगहों पर ऐसा दिखा है, लेकिन जो भी नई सरकार बनेगी, वह भारत के साथ काम करेगी। बार्डर पर फिलहाल कोई चिंता की बात नहीं है।

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