राहुल के दिए बयान पर भड़के प्रमोद कृष्णम : बोले – ’60 साल तक देश को हलवा समझकर ही तो खाया…’

नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सदन में कुछ ऐसा कहा जिससे हर कोई हैरान रह गए। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बजट सत्र के दौरान लोकसभा में बोल रहे थे और इसी दौरान उन्होंने एक फोटो दिखाने की कोशिश की और कहा कि देश में हलवा बांटा जा रहा है और ये हलवा सिर्फ 2-3 फीसदी लोग ही बांट रहे हैं और खुद भी खा रहे हैं।

बता दें कि, लोकसभा में राहुल गांधी द्वारा दिया गया बयान देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी के बयान की तीखी आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “60 साल तक “देश” को “हलवा” समझ कर ही तो खाया है, इसलिए सारा ध्यान ‘हलुए’ पर ही अटका हुआ है।”

तस्वीर देख वित्त मंत्री भी हुई हैरान

राहुल गांधी ने सोमवार को लोकसभा में हलवा सेरेमनी की तस्वीर दिखाई। हलवा सेरेमनी की परंपरा बजट पेश होने से पहले मनाई जाती है, जो लंबे समय से चली आ रही है। हालांकि बजट से पहले की हालिया तस्वीर दिखाते हुए राहुल गांधी एससी और दलित अफसरों की तरफ देखने लगे, जिसे देखकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी हैरान रह गईं। उनका रिएक्शन भी कुछ-कुछ ऐसा ही था और उन्होंने दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ लिया था।

राहुल गांधी ने विधानसभा में तस्वीर की व्याख्या करते हुए कहा कि, यह बजट के वितरण को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि तस्वीर में ओबीसी, आदिवासी या दलित समुदाय के कोई भी अधिकारी नहीं दिख रहे हैं। यहाँ क्या हो रहा है? देश में संसाधनों का वितरण 73 प्रतिशत आबादी के प्रतिनिधित्व के बिना हो रहा है। ये लोग विशेषाधिकारों का आनंद ले रहे हैं जबकि देश के बाकी लोग समान लाभों से वंचित हैं।

राहुल बोले – “20 अधिकारियों ने देश का बजट तैयार किया”

बताया गया कि, 20 अधिकारियों के एक समूह ने राष्ट्रीय बजट तैयार किया है। संसाधनों का वितरण, जिसे अक्सर “हलवा” कहा जाता है, इन 20 व्यक्तियों द्वारा प्रबंधित किया गया है। यहाँ प्रतिनिधित्व करने वाली 90 प्रतिशत आबादी में से केवल दो व्यक्ति मौजूद हैं: एक अल्पसंख्यक समुदाय से और एक ओबीसी वर्ग से। उल्लेखनीय है कि हलवा समारोह की तस्वीरों में इनमें से कोई भी अधिकारी दिखाई नहीं देता है। इस दौरान राहुल गांधी ने बजट में जाति आधारित जनगणना पर चर्चा शामिल करने की इच्छा व्यक्त की, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की 95 प्रतिशत आबादी ऐसी जनगणना का समर्थन करती है।

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