बहू ने जिद में की थी आत्महत्या, लेकिन सास के माथे पर लगे हत्या के कलंक को धुलने में 24 बरस लग गए : HC ने किया दोषमुक्त

बिलासपुर। कहते है बहु के घर आने पर परिवार में नई खुशियाँ आ जाती है। उम्मीद की जाती है कि, वह सास ससुर और पति की सेवा करेगी साथ ही वंश बढ़ाएगी लेकिन कभी कभी बहु का चयन करने में ऐसी गलती भी हो जाती है जिसका खामियाजा वृद्ध सास ससुर को जिंदगी भर और जिंदगी देकर भी भुगतनी पड़ती है।

एक ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में सामने आया जहां एक बुजुर्ग दंपत्ति को खुद को निर्दोष साबित करने के लिए वर्षों कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़े। यह तकलीफ तब और असहनीय हो जाता है जब निचली अदालत द्वारा बुजुर्ग दंपति को हत्या और दहेज के मामले में दस वर्ष की सजा सुना दी और मुकदमा के चलते रहने के दौरान ही वृद्ध ससुर की मृत्यु भी हो गई। लेकिन ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं। क्योंकि करीब 24 साल बाद बुजुर्ग सास को हाईकोर्ट द्वारा सभी आरोपों से दोषमुक्त कर।

दरअसल, राजधानी रायपुर के निवासी अपीलकर्ता श्रीमती शोभा व सुधाकर राव के बेटे सतीश की 16 जनवरी 2001 को मृतका कामिनी के साथ दोनों पक्षों की उपस्थिति में शादी हुई थी। शादी के 6 माह बाद ही कामिनी ने  14 अगस्त 2001 को टाटानगर-नागपुर पैसेंजर के सामने कूद कर जान दे दी थी। लेकिन उसने लिखे पत्र में जो बातें कही थी उसके चलते पुलिस ने उसके सास ससुर को हत्या और दहेज प्रताड़ना के केस में गिरफ्तार कर लिया। मृतका बहु द्वारा छोड़े गए पत्र में लिखा था कि-

‘सास और ससुर मेरे को रोज गाली देते है और कहते है कि तुम्हारे मा बाप की गलती की सजा अब तुम भुगतोगे। मैं जब से इस घर में आई हूं तब से आज तक मुझे इन लोगों ने गाली ही दी है। कल मेरे बाबा ने हाथ पैर छूकर माफी मांगी तो भी से इन लोगों का गुस्सा नहीं उतरा। इस लिए मैं यह कदम उठाने पर मजबूर हूं। अगर आप लोगों में से किसी को मेरी लाश मिल जाए तो कृपा करके मेरे घर वालों को दे दीजियेगा।’

इस पत्र के आधार पर पुलिस ने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ दहेज और हत्या का अपराध पंजीबद्ध कर अदालत में मुकदमा पेश कर दिया। विचारण न्यायालय ने अप्रैल 2002 में दोनों को धारा 304 बी दहेज हत्या के आरोप में 10 वर्ष व दहेज प्रताड़ना के आरोप में सजा सुनाई। इसके खिलाफ पति पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। 24 वर्ष बाद हाई कोर्ट से अपील पर निर्णय आया।

हाई कोर्ट ने गवाह दस्तावेज व मृतका के माता पिता के बयान में यह पाया कि अपीलकर्ता ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की है। मृतका जिद्दी स्वभाव की और अपनी मनमर्जी करने वाली थी। हाई कोर्ट ने बुजुर्ग सास को सभी आरोप से दोषमुक्त किया है। दहेज की मांग कर बहू की हत्या करने सास के माथे पर लगा कलंक 24 वर्ष बाद धुल गया है। लेकिन मुकदमा लंबित रहने के दौरान ससुर की 2021 में मौत हो गई। हाई कोर्ट ने उनका नाम अपील से डिलीट किया है।

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