ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जारी किया आदेश : प्रदेश भर से 1700 गौण खनिज की खदानें हुई बंद

गौण खनिज की माइंस को जिला स्तरीय कमेटियों ने दी थी पर्यावरणीय स्वीकृति

रायपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऐसे गौण खनिज खदानों को बंद करने का आदेश दिया है जिनको बिना राज्य स्तरीय प्राधिकरण से अनुमति लिए केवल जिला स्तरीय प्राधिकरण से पर्यावरणीय अनुमति लेकर प्रारम्भ कर दिया गया था। पर्यावरण संरक्षण विभाग ने प्रदेश भर में जिला स्तर पर मिली पर्यावरणीय अनुमति को निरस्त कर उत्पादन बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद प्रदेश की 1700 से अधिक गौण खदानें बंद हो गई हैं, जिन्हें खनिज विभाग ने रॉयल्टी पर्ची देना बंद कर दिया है।

खदान के पर्यावरणीय प्रभाव का होता है आंकलन

नियम के मुताबिक गौण खनिज जैसे लाइमस्टोन, डोलोमाइट, क्वाट्र्ज, फायरक्ले, साधारण पत्थर आदि के खनिपट्टा (mine lease) स्वीकृति के पूर्व पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन होता है। इसकी पूरी प्रक्रिया होती है। 2017 के पहले ऐसे गौण खनिज खदानों को जिले की डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (डीआ) से पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी गई थी, और खदानों को चालू करने का आदेश दे दिया गया था। जबकि पूर्व में जारी आदेश में कहा गया था कि डीआ से स्वीकृति लेने वाले खनिपट्टाधारकों को स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सीआ) से अनुमति लेनी अनिवार्य है। खनन के लिए केवल डीआ से मिली अनुमति मान्य नहीं है। इसके आधार खनन नहीं किया जा सकता। इसे लेकर एनजीटी ने सख्त आदेश जारी किया है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी इस संबंध में गाइडलाइन जारी की थी।

आदेश के बाद भी पुनर्मूल्यांकन नहीं

हैरानी की बात यह है कि गाईडलाइन जारी होने के बाद भी खनन लीजधारकों ने सीआ से पुनर्मूल्यांकन नहीं करवाया, वहीं पर्यावरण संरक्षण मंडल और खनिज विभाग के अधिकारियों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।

NGT ने दिया सख्त आदेश

अब NGT की सेंट्रल जोन बेंच भोपाल से सख्त आदेश जारी किया गया है। इसके अनुसार अब ऐसे खदानों में उत्पादन नहीं किया जाएगा। जब तक सीआ (स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी) से इनको अनुमति नहीं मिलती, काम बंद रहेगा। छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने रायपुर समेत सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि डीआ से मिली स्वीकृति के आधार पर संचालित हो रही गौण खनिज खदानों की अनुमति निरस्त की जाए। इनका सीआ से री-एप्रेजल कर नवीन पर्यावरणीय स्वीकृति लिया जाना अनिवार्य है।

प्रदेश भर में ऐसी 1700 से अधिक खदानें

खनिज विभाग के मुख्यालय में पदस्थ अधिकारी ने TRP न्यूज़ को जानकारी दी है कि प्रदेश भर में ऐसी 1700 से भी अधिक गौण खनिज खदानें हैं, जिनको डीआ से अनुमति लेकर खनन शुरू करवा दिया गया था। अब ये खदानें बंद करनी पड़ेगी। खनिज विभाग को भी इस संबंध में निर्देश मिले हैं, जिसके बाद इनकी सूची तैयार की गई है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने अब इनको बंद करने का निर्देश दिया है।

खदानों को रॉयल्टी पर्ची देना बंद

एनजीटी के आदेश पर प्रदेश भर के क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारियों ने संबंधित खदानों को डीआ से मिली अनुमति निरस्त कर दी है। इसमें वे सभी खदानें शामिल हैं जिन्हें केवल डीआ से अनुमति लेकर प्रारम्भ कर दिया गया था। इन सभी खदानों से उत्पादन बंद करने को कहा गया है, साथ ही इन्हें रॉयल्टी पर्ची देना बंद कर दिया गया है।

गौरतलब है कि गौण खनिज जैसे लाइमस्टोन, डोलोमाइट, क्वाट्र्ज, फायरक्ले, साधारण पत्थर का सड़क से लेकर भवन तक के विभिन्न निर्माण कार्य में उपयोग किया जाता है। NGT के आदेश के बाद ऐसे सैकड़ों खदानों को बंद करना पड़ रहा है, जिसका असर ऐसे निर्माण कार्यों पर पड़ेगा।

पर्यावरण प्रदूषण से मिलेगी राहत

दरअसल इन खदानों को बंद करने के पीछे प्रमुख वजह पर्यावरण को हो रहा नुकसान है। पूर्व में जिलों में गठित अथॉरिटी द्वारा नियम कायदों को ताक पर रखकर खदानों को अनुमति दे दी गई और ऐसे खदानों को प्रारंभ करवा दिया गया। ऐसे अनेक खदानों में अंधाधुंध खुदाई के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और गलत तरीके से इनके परिवहन से हवा भी प्रदूषित होती है। अब देखना होगा कि NGT के आदेश के बाद राज्य स्तरीय अथॉरिटी से अनुमति दिलाने के लिए शासकीय स्तर पर क्या प्रयास किये जाते हैं। इसी पर इन खदानों का भविष्य भी टिका है।

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