छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में, मोदी की गारंटी पर जनता की मुहर

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज कर राज्य की सत्ता में वापसी की है। वहीं तेलंगाना में जनता ने बीआरएस को सत्ता से बाहर करते हुए कांग्रेस के हाथों कमान सौंपी है। इन राज्यों में चुनाव में भाजपा ने स्थानीय नेतृत्व से ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी के नाम और उनकी लोकप्रियता पर भरोसा जताया था। राजस्थान में तो एक तरह से एक रिवाज सा बन गया है और एक बार के बाद वहां सरकार को बदल दिया जाता है।

इसके चलते इस बार भी वहां इसी तरह की उम्मीद जताई जा रही थी। मध्यप्रदेश में भाजपा ने कई केन्द्रीय नेताओं को राज्य की राजनीति में उतारकर हलचल पैदा कर दी। कुछ समय पहले तक भोपाल और इंदौर के राजनीतिक एक्सपर्ट दावा कर रहे थे कि इस बार कमलनाथ कम्फर्टेबल स्थिति में कांग्रेस को पहुंचा देंगे। लेकिन लाडली योजना की जिस तरह से यहां लहर चली यहां भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज कर ली। इन दोनों राज्यों से इतर छत्तीसगढ़ के

बारे में तमाम राजनैतिक एक्सपर्ट के साथ ही भाजपा के नेता भी मानकर चल रहे थे कि कम अंतर से ही सही कांग्रेस यहां बहुमत साबित करेगी। शुरुआती रुझान में कांग्रेस ने बढ़त भी बना ली थी, लेकिन ये ज्यादा देर कायम नहीं रही। छत्तीसगढ़ में इस बार स्थानीय नेतृत्व से ज्यादा मोदी और शाह के नाम पर भाजपा ने वोट मांगा। शहरी क्षेत्र में अपराध, ग्रामीण क्षेत्र में धान का ज्यादा मूल्य और एकमुश्त भुगतान की घोषणा ने भाजपा के पक्ष में

माहौल बनाया। उसके बाद नारी वंदन योजना की घोषणा ने महिलाओं के बीच एक लहर की तरह काम किया। सरगुजा में पिछली बार से ठीक उलट परिणाम देखने को मिला। यहां इस बार सभी 14 सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया। कुछ दिनों पहले तक खुद को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे टीएस सिंहदेव तक को मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह बस्तर के 12 में 8 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमा कर कांग्रेस को बड़ा

झटका दिया, यहां दीपक बैज और मोहन मरकाम दोनों को हार का सामना करना पड़ा। आखिर आदिवासी क्षेत्रों में इतनी करारी हार की क्या वजह रही इस पर विचार करना होगा। कांग्रेस से यहां क्या चूक हुई, इसकी समीक्षा पार्टी जरूर करेगी। इसी तरह शहरी इलाकों में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी है। अगर भिलाई नगर सीट को छोड़ दिया जाए तो तमाम शहरों में उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा ऋण माफी जो कि कांग्रेस का

सबसे बड़ा कार्ड था उसका खास असर देखने को नहीं मिला। धमतरी बालोद, राजनांदगांव, जांजगीर सक्ती और रायगढ़ जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा लेकिन रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा, बिलासपुर, मुंगेली कवर्धा में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया। महासमुंद और गरियाबंद में मामला बराबरी पर छूटा।

कवर्धा और साजा में धार्मिक एंगल से वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश में भाजपा को कामयाबी मिली। इसका असर इन सीटों पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के बड़े नेता रविन्द्र चौबे और मो. अकबर को हार का सामना करना पड़ा। वहीं यहां बनी लहर का असर आसपास की सीटों पर देखने को मिला। इन सीटों के आसपास की लगभग सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली।

इन जीतों के बाद जहां कांग्रेस को दो राज्य गंवाने के बाद दक्षिण के एक अहम राज्य तेलंगाना में सत्ता पाने को लेकर संतोष होगा। वहीं तीन राज्यों में मिली कामयाबी से भाजपा और खासकर पीएम मोदी को 2024 के पहले एक नई ताकत मिली होगी और इसका पूरा लाभ 2024 के चुनाव में उठाने की कोशिश करेंगे।

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