जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आती है। जिनको हम समझ ही नही पाते है। अचानक बनते काम बिगड़ने लगते हैं। कई ज्ञात और अज्ञात शत्रु हमे परशान करने की नीयत से कुछ उल्टा सीधा कार्य पूजन आदि करवाते है। इन सबसे बचने का उपाय देवी मां भगवती की उपासन हैं मां की उपासना करने से सभी प्रकार के दुखो से मुक्ति मिलती है। उनका आर्शीवाद हमेशा रक्षा कवज के रुप में हमारी सहायता करता है। मां परमात्म शक्ति स्वरुपा जगदंबा के अनेक रुप विख्यात है जिसमें हम आज मां बगलमुखी की बात कर रहे है जो सभी प्रकार की शत्रुबाधा, मनोकामना पूर्ति, रोग निवारण आदि में सहायक है। मां बगला मुखी के चित्र पीले वस्त्र के आसर पर रखे। उनके पूजन की सामग्री पीले रंग की होना चाहिए। धूप दीप फल फूल वस्त्र जल सब में पीला रंग होना चाहिए जल में हल्दी मिलाई जा सकती है और तिलक भी हल्दी का लगाया जा सकता हैं। मां केो मातृभाव में व्वयं शिशुवत बनकर स्मरण करिए वह जल्द ही कृपा करेगी।
।। श्री बगलामुखी चालीसा ।।
1. नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।।
2. नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी ।।
भक्त वत्सला शत्रु नाशनी , नमो महाविद्या वरदानी ।।
3. अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।
4. स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।।
5. भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ।
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।।
6. तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।।
7. सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे ।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।।
8. दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता ।।
9. मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी ।
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी ।।
10. अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को ।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।