New Delhii : दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि अगर कोई पत्नी बिना किसी वैध कारण के अपने पति के परिवार के सदस्यों से दूर रहने पर लगातार जोर देती है, तो इसे क्रूरता माना जाएगा। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की दो सदस्यीय पीठ ने एक तलाक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की।
भारत में आम तौर पर लोग पश्चिमी विचार को स्वीकार नहीं करते हैं, जहां शादी करने या वयस्क होने पर बेटा परिवार से अलग हो जाता है। सामान्य परिस्थितियों में शादी के बाद पत्नी से पति के परिवार का हिस्सा होने की उम्मीद की जाती है।वह परिवार और पति का अभिन्न अंग बन जाती है और आम तौर पर बिना किसी उचित मजबूत कारण के उसे कभी भी इस बात पर जोर नहीं देना चाहिए कि उसके पति को परिवार से अलग हो जाना चाहिए और उसके साथ अलग रहना चाहिए।
हाईकोर्ट पति की तलाक की याचिका को खारिज करने वाले पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा था। पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने उसके साथ क्रूरता की और उसे छोड़ दिया।दंपती ने नवंबर 2000 में शादी की थी और शादी से उनके दो बच्चे हुए। 2003 में, पत्नी ने पति का घर छोड़ दिया लेकिन कुछ समय बाद लौट आई। हालांकि, उसने जुलाई 2007 में फिर से पति का घर छोड़ दिया।पारिवारिक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला कि पत्नी ने बिना किसी वैध कारण के अपने पति का साथ छोड़ दिया था। पारिवारिक अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पति अपनी पत्नी के साथ रिश्ते को खत्म करने के कारणों का हवाला नहीं दे पाए हैं।