रायपुर।
छत्तीसगढ़ में नर्सिंग शिक्षा से जुड़ा महाघोटाला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आयुष यूनिवर्सिटी, स्टेट नर्सिंग काउंसिल और चिकित्सा शिक्षा विभाग की मिलीभगत पर आधारित इस श्रृंखला में 4thPiller.com पहले ही 10 भागों में कई चौंकाने वाले खुलासे कर चुका है। लेकिन अब जो तथ्य सामने आए हैं, वे इस पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर देते हैं।
0 अंक पाने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाने की वकालत !

ताज़ा मामला और भी गंभीर है। जानकारी के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने समस्त नियमों, मानकों और प्रवेश प्रक्रिया को ताक पर रखकर PNT परीक्षा में 0 अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश देने की पुनः वकालत की है।
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में
👉 माननीय स्वास्थ्य मंत्री की नोट-शीट का भी हवाला दिया जा रहा है,
👉 लेकिन मंत्री को पूरी सच्चाई से अवगत कराया गया या नहीं, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
सूत्र बताते हैं कि नोट-शीट के नाम पर वही भाषा कागज़ों में उतारी गई, जो नर्सिंग कॉलेज संचालक चाहते थे।
“राहत के नाम पर जोखिम ?”
आयुक्त चिकित्सा शिक्षा द्वारा प्रवेश तिथि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने और
PNT परीक्षा में Percentile की बाध्यता शिथिल/समाप्त करने का प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है,
जब पहले से ही गैर-INC मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश को लेकर गंभीर सवाल खड़े हैं।
एक तरफ शासन रिक्त सीटों (4147) का हवाला देकर
जीरो या बेहद कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को भी प्रवेश का रास्ता खोलने की पैरवी कर रहा है,
तो दूसरी तरफ यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि —
ये प्रवेश INC मान्यता प्राप्त कॉलेजों में ही होंगे या नहीं?
जिन कॉलेजों की INC Suitability लंबित/निरस्त है, वहाँ दिए गए प्रवेश का भविष्य क्या होगा?
यदि बाद में INC या न्यायालय ने मान्यता रद्द की, तो छात्रों के 4 साल और लाखों रुपये की जवाबदेही कौन लेगा?
सवाल यह भी है कि
क्या प्रवेश की तारीख बढ़ाना और Percentile शून्य करना,
वास्तव में छात्रों के हित में है —
या फिर सीटें भरने के दबाव में भविष्य के साथ एक और समझौता?
मंत्री की टीप ओवरलुक, बड़ा फैसला अपने स्तर पर ?

नई दिल्ली स्थित इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) को भेजे गए पत्र में
संचालक, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह उल्लेख किया है कि
दिनांक 21 नवंबर को माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री की टीप के आधार पर
प्रवेश तिथि बढ़ाने एवं PNT परीक्षा में Percentile शून्य करने का प्रस्ताव भेजा गया है।
लेकिन विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार,
मंत्री की टीप में कहीं भी यह निर्देश नहीं था कि —
INC को Percentile घटाने के लिए पत्र लिखा जाए, या
प्रवेश की अंतिम तिथि बढ़ाने की अनुशंसा की जाए।
मंत्री की टीप में स्पष्ट रूप से केवल यह जानना चाहा गया था कि
> “नर्सिंग प्रवेश परीक्षा के बाद अन्य राज्यों में प्रवेश देने की क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?”
और उस जानकारी को
विभागीय परीक्षण व टीप सहित मंत्री कार्यालय को वापस प्रस्तुत करने के निर्देश थे।
इसके बावजूद,
संचालक चिकित्सा शिक्षा ने स्वयं निर्णय लेते हुए
सीधे INC, नई दिल्ली को
प्रवेश तिथि बढ़ाने व जीरो Percentile की अनुमति हेतु पत्र प्रेषित कर दिया।
यह समझ से परे है कि
क्या यह केवल प्रशासनिक चूक है
या फिर मंत्री की टीप की आड़ में लिया गया एक एकतरफा और दूरगामी निर्णय —
जिसका सीधा असर हजारों नर्सिंग छात्रों के भविष्य पर पड़ सकता है?
क्या चिकित्सा शिक्षा विभाग को अब नर्सिंग कॉलेज चला रहे हैं ?
अब हालात ऐसे बन गए हैं कि
कॉलेज जैसा कहते हैं, वैसा पत्र निकलता है
नियम, अधिनियम और INC के मापदंड सिर्फ कागज़ों में रह गए हैं
और विद्यार्थियों का भविष्य किसी की प्राथमिकता नहीं है
ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो चिकित्सा शिक्षा विभाग का संचालन अफसर नहीं, बल्कि नर्सिंग कॉलेज लॉबी कर रही हो।
—
चार साल, 5–6 लाख खर्च… फिर भी डिग्री अवैध ?
सबसे भयावह पहलू यह है कि
छात्र अपनी जिंदगी के 4 कीमती साल
और 5 से 6 लाख रुपए
खर्च करने के बाद भी वैध रजिस्ट्रेशन और मान्य सर्टिफिकेट से वंचित रह सकते हैं।
क्योंकि—
कई कॉलेजों के पास INC नई दिल्ली की मान्यता नहीं है,
कई GNM से B.Sc Nursing में अपग्रेड कॉलेज हाईकोर्ट के आदेशों के अधीन हैं,
और फिर भी प्रवेश कराए जा रहे हैं।
यदि कल को न्यायालय या INC ने इन कॉलेजों को अमान्य ठहरा दिया, तो…
👉 इन छात्रों की जिम्मेदारी कौन लेगा?
👉 मुआवज़ा कौन देगा?
👉 क्या मंत्री, आयुक्त या कॉलेज संचालक?
—
क्या मंत्री और ‘पत्र लिखवाने वाला गिरोह’ एकमत हो गए हैं ?
अब यह सवाल आम हो चला है कि—
क्या छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री और ऐसे पत्र लिखवाने वाला गिरोह एकमत (एक मातेन) हो चुके हैं?
क्योंकि—
यह मुद्दा एक-दो बार नहीं,
बल्कि बार-बार शासन और प्रशासन के सामने उठाया गया,
पत्र, ज्ञापन, बैठक, मीडिया रिपोर्ट, शिकायत — सब कुछ हो चुका,
लेकिन नतीजा आज भी सिफर है।
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नर्सिंग एसोसिएशन का कड़ा वक्तव्य
श्री नजीब अशरफ
(अध्यक्ष, द नर्सिंग एसोसिएशन छत्तीसगढ़)

> “हमने समय-समय पर शासन, प्रशासन और संबंधित विभागों को व्यक्तिगत रूप से मिलकर और लिखित पत्रों के माध्यम से पूरे तथ्य रखे हैं।
हमने साफ तौर पर बताया कि इन फैसलों का विद्यार्थियों के भविष्य पर दूरगामी और विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
बावजूद इसके आज तक कोई ठोस और सकारात्मक पहल नहीं की गई।
इससे साफ होता है कि या तो अधिकारी जानबूझकर आंखें बंद किए हुए हैं, या फिर किसी दबाव में काम कर रहे हैं।”
—
बड़ा सवाल: जवाबदेही कब तय होगी ?
अब सवाल सिर्फ नीति या प्रक्रिया का नहीं है, सवाल है—
जवाबदेही का,
नैतिकता का,
और हजारों परिवारों के भविष्य का।
यदि यही हाल रहा तो
छत्तीसगढ़ नर्सिंग शिक्षा के मामले में
मध्यप्रदेश से भी बड़ा उदाहरण बन सकता है —
जहाँ डिग्रियाँ होंगी, लेकिन क़ाबिलियत और वैधता नहीं।









