पी चिदंबरम : मणिपुर की तुलना राजस्थान और बंगाल से करना ठीक नहीं

 नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को लेकर केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है।

कांग्रेस नेता ने मणिपुर की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जातीय सफाया पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, मणिपुर सरकार नाकाम हो गई है। उन्होंने बीजेपी के दूसरे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के आरोपों पर भी जवाब दिया और कहा कि इसकी तुलना मणिपुर से कैसे की जा सकती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मणिपुर के हालात की तुलना बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान से करने पर भाजपा पर आज निशाना साधा और आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर राज्य में सरकार नाकाम हो गई है, जबकि केंद्र स्वप्रेरित कोमा में चला गया है।

भाजपा पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार में महिलाओं पर हुए अत्याचार के मामले उठा रही है और इन्हें लेकर विपक्ष की ‘चुप्पी’ पर सवाल खड़े कर रही है, जबकि विपक्ष इसे हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति पर बहस से बचने के लिए ध्यान भटकाने की भाजपा की रणनीति बता रहा है।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है

मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

चिदंबरम ने ट्वीट किया कि चलिए मान लेते हैं कि बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं हुई हैं। इससे मणिपुर में लगातार जारी हिंसा कैसे माफ हो सकती है? पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि क्या घाटी में कोई कुकी बचा है? क्या चुराचांदपुर और मणिपुर के अन्य पहाड़ी जिलों में कोई मेइती बचा है?  उन्होंने कहा कि यदि रिपोर्ट सच है, तो मणिपुर में जातीय सफाया लगभग पूरा हो चुका है। चिदंबरम ने कहा कि वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के अनुसार, मणिपुर में संवैधानिक सरकार का पतन हो गया है।

उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की हुकूमत उनके घरों और दफ्तरों से आगे नहीं चलती। चिदंबरम ने कहा कि मणिपुर की स्थिति की तुलना बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान की स्थिति से कैसे की जा सकती है? केंद्र सरकार न केवल अक्षम और पक्षपातपूर्ण रही है, बल्कि जब वह घृणित तुलनाओं के पर्दे के पीछे छिपती है तो वह संवेदनहीन और क्रूर भी हो जाती है।

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