जालौन में जल क्रांति : योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों से सुधरा भूजल और किसानों का भविष्य

जिले में दो मीटर तक बढ़ा भूजल स्तर, बदली खेतों की तस्वीर

पानी की उपलब्धता से कृषि चक्र हुआ स्थिर, पलायन में आई भारी कमी

लखनऊ
 कभी सूखे खेतों और गहराते जल संकट के लिए पहचाने जाने वाला जालौन आज उत्तर प्रदेश में जल संरक्षण की एक मजबूत मिसाल बनकर उभरा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों और निरंतर प्रयासों ने इस जिले की भाग्य रेखा को बदलने का काम किया है। जो जालौन कभी एक-एक बूंद के लिए संघर्ष करता था आज वहीं कई ब्लॉकों में भूजल स्तर 2 मीटर बढ़ा है और कहीं- कहीं तो अधिक सुधर चुका है।

यह परिवर्तन एक दिन में नहीं आया। पिछले कुछ वर्षों में जिले में हजारों जल संरक्षण संरचनाएं बनी हैं। चेक डैमों से लेकर पुनर्जीवित तालाबों तक खेतों में बनाए गए फार्म पॉन्ड्स तक इन सबने जालौन में जल पुनर्भरण के मजबूत ढांचे का निर्माण किया है। बारिश का पानी अब इकट्ठा होकर जमीन में जाने लगा है, इससे भूजल वाटर लगातार रिचार्ज हो रहा है। जालौन के कई हिस्सों में किसान आवश्यकता के समय सिंचाई के लिए भूजल नहीं प्राप्त कर पाते थे। लेकिन आज बेहतर वाटर टेबल की वजह से कई ब्लॉकों में ट्यूबवेल पंपिंग के घंटे 1 से 5 गुना तक बढ़ गए हैं। बिजली आपूर्ति में सुधार और भूजल स्तर बढ़ने से किसान अब 2 से 3 अतिरिक्त घंटे पानी निकाल पा रहे हैं। इससे सिंचाई लागत कम हुई है और कृषि चक्र स्थिर हुए हैं।

जालौन जिले के अंतर्गत गांव सैद नगर की निवासी महिला विद्या का कहना है कि योगी जी की सरकार ने पानी के मामले में अत्यंत सराहनीय काम किया है। खेती किसानी के लिए जहां सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त हुई है वही हम महिलाओं को अब दूर से पानी लेने नहीं जाना पड़ता है। सरकार ने बहुत बड़ा काम किया है इसके लिए हम सभी सरकार के अत्यंत आभारी हैं।

पानी की उपलब्धता ने कृषि को नई दिशा दी है। खरीफ में धान और बाजरा जैसे फसलों के क्षेत्रफल और पैदावार में तेज वृद्धि दर्ज की गई है जबकि रबी उत्पादन भी बेहतर हुआ है। बुंदेलखंड पैकेज के तहत दालों और तिलहनी फसलों के उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है जिससे किसानों को स्थिर और भरोसेमंद आय का स्रोत मिला है।

कृषि से आगे बढ़कर सामाजिक स्तर पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है। कभी बुंदेलखंड के अन्य इलाकों की तरह जालौन भी मौसमी पलायन की समस्या से जूझता था। पानी की उपलब्धता बढ़ने फसल स्थिर होने और अनिश्चितता घटने से अब पलायन में भारी कमी आई है। किसानों में यह विश्वास लौट आया है कि उनकी जमीन खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उन्हें संभालेगी।

इस सफलता में आम जनता की भागीदारी ने भी अहम भूमिका निभाई है। जल पंचायतों और पानी पाठशालाओं जैसे कार्यक्रमों ने स्थानीय स्वामित्व की भावना बढ़ाई है और जल संरक्षण को सरकारी योजना के बजाय सामुदायिक आंदोलन का रूप दिया है। यह सामूहिक उपलब्धि राष्ट्रीय स्तर पर तब सम्मानित हुई जब जालौन को राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 में उत्तर क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ जिला चुना गया। कमी से समृद्धि की यात्रा में यह एक गौरवशाली उपलब्धि है। जालौन की यह कहानी बताती है कि लगातार नीति समुदाय की साझेदारी और दृढ़ संकल्पित शासन क्या बदलाव ला सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व और बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों के प्रति उनकी संवेदना ने जल क्रांति के मामले में ऐतिहासिक मिसाल कायम की है।

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