MANIT भोपाल और सिंगापुर का साझा शोध, बदलेंगे EV चार्जिंग और सोलर सिस्टम के मानक

भोपाल 

मैनिट भोपाल अब दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी में शामिल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर (NUS) के साथ मिलकर ऐसा हाई-टेक शोध करने जा रहा है, जिसकी बदौलत भारत में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सिस्टम और सोलर ग्रिड मैनेजमेंट पूरी तरह बदल सकता है। शिक्षा मंत्रालय की SPARC योजना के तहत मैनिट को इसके लिए 1 करोड़ रुपये का मेगा अनुदान मिला है।

क्या खास होने वाला है? 
भारत में पहली बार EV चार्जिंग का “डिजिटल ट्विन” बनेगा इस परियोजना में EV चार्जिंग सिस्टम का डिजिटल ट्विन मॉडल तैयार किया जाएगा। यानी-चार्जिंग स्टेशन का वर्चुअल क्लोन, जो रियल टाइम में बतायेगा कि लोड कितना है? कितनी गाड़ियां चार्ज हो सकती हैं? कहां ओवरलोडिंग का खतरा है? चार्जिंग को कैसे तेज और सस्ती बनाई जाए? यह टेक्नोलॉजी विदेशों में तो है, भारत में अभी शुरुआत भी नहीं हुई।

दो साल की अवधि वाली परियोजना
स्वीकृत परियोजना का शीर्षक है इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के लिए ग्रिड-इंटीग्रेटेड सोलर पीवी सिस्टम के उन्नत प्रबंधन हेतु डेटा फ्यूज़न के साथ डिजिटल ट्विन इंटीग्रेशन। दो साल की अवधि वाली यह परियोजना डिजिटल ट्विन तकनीक, उन्नत डेटा फ्यूजन, स्मार्ट सोलर पीवी सिस्टम और बुद्धिमान ईवी चार्जिंग प्रबंधन जैसे आधुनिक शोध क्षेत्रों पर काम करेगी।

मैनिट की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मिलेगा नया आयाम
यह अनुदान न सिर्फ मैनिट की वैश्विक शोध प्रतिष्ठा को मजबूत करेगा, बल्कि संस्थान में अंतर्विषयक सहयोग और उन्नत तकनीकों पर शोध को नई दिशा देगा। परियोजना से मिलने वाले परिणाम भविष्य के स्वच्छ, स्मार्ट और सतत ऊर्जा समाधानों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

इस परियोजना से क्या बदल जाएगा?

– भारत में EV चार्जिंग होगी तेज, सस्ती और स्मार्ट
– सोलर ग्रिड होगा भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए तैयार
– शहरी यातायात और ऊर्जा प्रबंधन होगा डिजिटल और स्वचालित
– मैनिट की ग्लोबल पहचान नई ऊंचाई पर जाएगी

 

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