इंदौर. शुक्रवार सुबह अन्नपूर्णा मंदिर से लगी ट्रस्ट की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाने की कार्रवाई के दौरान एक परिवार के सदस्यों ने हंगामा किया। जिला प्रशासन निगम के रिमूवल अमले के माध्यम से सुबह 9.30 बजे इस क्षेत्र में बने अवैध मकान तोड़ने पहुंचा और खाली पड़े चार मकानों को तोड़ा गया।
इस दौरान नेहा नाम की युवती ने घर में लगा विद्युत मीटर दीवार से उखाड़ा और सामान इधर-उधर फेंकने लगी। खुद पर केरोसिन भी छिड़का। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने युवती पर पानी डाला। युवती घर के टीनशेड पर गई फिर पेड़ पर चढ़कर और हंगामा करने लगी। युवती के हाथ में ब्लेड थी और वह उससे हाथ की नस काटकर आत्महत्या की धमकी दे रही थी। पुलिस को उसे वहां से उतारने के लिए काफी मशक्क्त करनी पड़ी।
बिजली सप्लाई बंद करवाई और युवक को थाने ले गए
इसी दौरान राजू नाम का युवक भी विरोध कर रहा था। पहले पुलिस ने उसे अपने वाहन में बैठाया लेकिन वह भागकर अतिक्रमण हटाए जाने वाली जगह पर पहुंचा। युवक वहां पर एक दीवार पर चढ़ा और बिजली सप्लाई के तार को पकड़ लिया। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने तत्काल उस क्षेत्र की विद्युत सप्लाई बंद करवाई और युवक को पकड़कर थाने ले गए। युवती को पेड़ से उतारने के प्रयास में एक पुलिसकर्मी भी गिर गया और उसे चोट आई।
चार परिवारों के 13 लोगों के खिलाफ छह नवंबर को जारी हुआ था बेदखली आदेश
राऊ की तहसीलदार याचना दीक्षित के मुताबिक अन्नपूर्णा मंदिर से लगी ट्रस्ट की जमीन पर आठ मकानों का पिछले आठ-दस वर्ष से कब्जा था। यहां पर चार परिवारों के 13 लोगों के लिए छह नवंबर को बेदखली का आदेश जारी हुआ था। चार परिवारों में से दो परिवार तो सुदामा नगर में रह रहे थे और उन्होंने अपने कच्चे मकान किराए पर अन्य लोगों को दे रखे थे और उसमें ठेले वालों का सामान रखा था। इसके अलावा शेष दो परिवारों को नगर निगम के माध्यम से सिंदौड़ा के ताप्ती परिसर में प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैट भी दिलवा रहे थे। ट्रस्ट की जमीन पर अतिक्रमण कर रहने वाला एक परिवार शिफ्ट होने के लिए तैयार भी हो गया था और उसने सामान भी घर से बाहर निकाल लिया था। दूसरे परिवार के सदस्य हंगामा करने लगे तो उन्होंने भी शिफ्ट होने से मना किया।
10 दिन में करनी होगी अपील: तहसीलदार दीक्षित के मुताबिक कार्रवाई और हंगामे के बीच दोपहर 1.30 बजे हाई कोर्ट का स्टे आया तो रिमूवल कार्रवाई बीच में रोकी गई। हाई कोर्ट ने कहा 10 दिन के भीतर तहसीलदार के आदेश के विरोध में संबंधित परिवार एसडीएम कोर्ट में अपील करें।









