पीलीभीत
हाईटेंशन लाइन के तार बहुत नीचे थे। हम लोगों ने मना किया लेकिन चालक नहीं माना। कंडक्टर नीचे उतरा और हाथ से इशारा करने लगा। चालक ने तारों के नीचे से जैसे ही बस निकाली हादसा हो गया। पहले टायर जले तो हम लोगों गेट और खिड़की से निकले। बाद में बच्चों को खिड़की से नीचे फेंक कर बचाया… जयपुर बस हादसे की आंखों देखी सुनाकर पीलीभीत जिले के गांव शेरपुर कला के मोहल्ला नौगंवा निवासी जावेद का गला भर आया।
राजस्थान के जयपुर से करीब 50 किमी दूर मनोरथपुर इलाके में मंगलवार को निजी स्लीपर बस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गई थी। इससे उसमें करंट उतर गया और आग गई। इस हादसे में नौगंवा निवासी नसीम और उनकी बेटी शहनूर की मौत हो गई थी। 10 अन्य मजदूर झुलस गए थे। ये सभी मजदूर सोमवार की शाम पीलीभीत के पूरनपुर से रवाना हुए थे।
इस बस में जावेद, चांद बाबू समेत कई मजदूर सवार थे। बुधवार तड़के जावेद, चांद बाबू व अन्य मजदूर गांव लौट आए। मृतकों के शव भी पहुंच गए, जिससे गांव में कोहराम मच गया। जावेद ने बताया कि तारों के नीचे से बस निकलने में खतरा था। सभी लोगों ने मना किया लेकिन चालक नहीं माना। कंडक्टर को नीचे उतार दिया और वो हाथ हिलाकर इशारा करने लगा। बस में सिलिंडर और अन्य सामान लाद कर ले जाने को भी चालक ने ही कहा था।
बस में सवार थे ये लोग
शेरपुर कलां के मोहल्ला नौगवां निवासी नसीम, उसकी पत्नी नाजमा, पुत्र राजा, पुत्री शबनम, शहनूर, पुत्र फैजान, अजहर, मोहल्ला के ही रहीस, उनकी पत्नी आरफा, पुत्र दानिश, एहसान, हनीस, रहमान, जलालुद्दीन की पत्नी जैबुनिशा, पुत्र सलीम, समीर, नाजिम, पुत्री नजरी, पंजाशाह गौटिया से जावेद, बाबू आदि निजी बस से रवाना हुए थे।
मृतक नसीम की पुत्री दरख्शां ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब आठ बजे भाई राजा से फोन पर जयपुर पहुंचने की जानकारी मिली। तब उसने कुछ ही देर में ईंट भट्ठे पर पहुंचने की बात कही थी। इसके करीब आधा घंटे बाद फोन कर उसने पिता और बहन की हादसे में मौत की जानकारी दी। इसके बाद उसके भाई और अन्य किसी का मोबाइल नहीं लगा।
गांव पंजाशाह गौटिया के मुनव्वर ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे रिश्तेदार जयपुर गए आफन से मोबाइल पर बात की। तब बस में आग लगने की जानकारी हुई। उन्होंने बताया कि हादसे में गौटिया के अल्ताफ, चंदा बेगम सहित तीन लोगों के झुलस कर गंभीर घायल होने की बात पता चली है।
दूसरी बार जयपुर गया था नसीम का परिवार
नसीम की मां सुराजन ने बताया कि उसका पुत्र पहले भी परिवार के साथ जयपुर में मजदूरी पर ईंट थोपने को गया था। करीब छह महीने वहां रहकर मजदूरी की और वापस आ गया था। पुत्र का परिवार अब दूसरी बार जयपुर मजदूरी करने गया था। गांव और आसपास के कई परिवार भी काम करने जयपुर व अन्य स्थानों को जाते रहे हैं। संवाद
सिलिंडरों की आग ने धारण किया विकराल रूप
शेरपुर कलां निवासी नसीम की मां सुराजन और रहीस की मां रहबुरनिशां ने बताया कि उन दोनों के परिजन सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे जयपुर जाने को घर से निकले थे। कई महीने रुक कर मजदूरी करने को परिजन अपने साथ अन्य घरेलू सामान के साथ खाना बनाने आदि को गैस सिलिंडर भी ले गए थे। बस में आग लगने से सिलिंडर भी धू-धूकर जलने की जानकारी हुई है।









