अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटे हरियाणा के 54 युवक, बेड़ियों में बांधकर लाया गया दिल्ली

दिल्ली/कैथल

 

अवैध रूप से डंकी रूट के जरिये अमेरिका पहुंचने वाले हरियाणा के 54 युवाओं को अमेरिका ने शनिवार देर रात डिपोर्ट कर भारत भेज दिया। विशेष विमान द्वारा इन युवाओं को दिल्ली एयरपोर्ट पर बेड़ियों में बांधकर लाया गया। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें आधिकारिक प्रक्रिया के तहत भारतीय इमिग्रेशन अधिकारियों के हवाले किया। एयरपोर्ट पर हरियाणा पुलिस की विशेष टीमें पहले से मौजूद थीं। जिन युवाओं के खिलाफ आपराधिक और गिरोह से जुड़े मामलों की जानकारी थी, उन्हें मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया। बाकी युवाओं को कागजी कार्रवाई के बाद उनके गृह जिलों में भेज दिया गया।

 

करनाल के सबसे अधिक डिपोर्ट

डिपोर्ट हुए 50 युवाओं में सबसे ज्यादा करनाल के 16 लोग और कैथल जिले के 14 लोग शामिल हैं। इनके अलावा कुरुक्षेत्र के पांच, जींद के तीन सहित अन्य जिलों के लोग है।

लॉरेंस बिश्नोई का करीबी लखविंद्र भी किया डिपोर्ट

वहीं इनमें सबसे बड़ा मामला कैथल के गांव तितरम निवासी लखविंद्र उर्फ लाखा का है। लाखा लॉरेंस बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई गिरोह का सक्रिय सदस्य है और 2022 से अमेरिका में बैठकर हरियाणा-पंजाब के व्यापारियों से फिरौती मांगने के नेटवर्क का संचालन कर रहा था। हरियाणा एसटीएफ की अंबाला यूनिट ने गैंगस्टर लॉरेंस के करीबी लखविंद्र उर्फ लाखा को गिरफ्तार कर लिया। कैथल के अलावा अन्य जिलों में भी उस पर फिरौती मांगने जैसे कई मामले दर्ज हैं।

इसके अलावा डिपोर्ट होकर आए दूसरे मोस्ट वांटेड सुनली सरधानिया का नाम भी शामिल हैं। जो हत्या सहित 24 आपराधिक वारदातों में वांछित है। सुनील को भिवानी में एक हत्या के केस में उम्र कैद और पंचकूला में डकैती के मामले में 10 साल की सजा हुई थी। दोनों मामलों में कोर्ट से जेल से जमानत आने के बाद उसने फर्जी पते पर अपना पासपोर्ट बनवाया था। इसके बाद 2024 में है विदेश भाग गया था। अमेरिका द्वारा रिपोर्ट किए गए युवकों में से एसटीएफ में दोनों आरोपियों तुरंत हिरासत में ले लिया। अब दोनों पुलिस रिमांड पर लिया है।

कर्ज लेकर गए थे विदेश

डिपोर्ट हुए युवाओं में ज्यादातर वे हैं जिन्होंने अपने परिवार की जमीन, गहने बेचकर और ब्याज पर पैसा लेकर डंकी रूट के माध्यम से अमेरिका जाने का प्रयास किया था। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें सीमा सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया और महीनों तक जेलों व डिटेंशन कैंपों में रखा। इन युवाओं में से अधिकांश ने 2024 और 2025 में यह सफर तय करना शुरू किया था।

कैसे होता है डंकी रूट का सफर

 

डिपोर्ट हुए युवकों ने बताया कि पहले दिल्ली से ब्राजील जाया जाता है। वहां एजेंट लोकल गिरोहों के सहारे आगे भेजते हैं। ब्राजील से कोलंबिया, फिर पनामा और वहां से मौत का जंगल कहे जाने वाले दरियन गैप की शुरुआत होती है। 6 से 15 दिन तक लगातार जंगलों में पैदल चलना होता है। तेज बारिश, कीचड़, सांप-बिच्छू, दलदल को लांघकर कर आगे बढ़ना होता है। थककर गिर जाने वालों को डोंकर वहीं छोड़ देते है। कई बार उनको चलने के लिए मारपीट कर मजबूर किया जाता है। डोंकर हर चरण पर उनसे पैसे वसूलते हैं। इनमें पनामा ₹3–5 लाख, ग्वाटेमाला ₹5–7 लाख, मैक्सिको ₹6–10 लाख, अमेरिका बॉर्डर पार ₹2–4 लाख रुपए वसूले जाते हैं। सभी को मिलाकर लगभग 50–70 लाख रुपये खर्च होते हैं। फिर भी गारंटी शून्य रहती है।

 

सोचा था वहां पहुंचकर जिंदगी बदल जाएगी, पर जिंदगी ही खतरे में पड़ गई

कैथल के गांव का 26 वर्षीय युवक ने बताया कि हम 18 लोग पनामा के जंगल में थे। दो लोग दलदल में धंस गए, कोई बचाने नहीं रुका। हम सब रोते हुए आगे बढ़ गए। डोंकर बोलते थे — ‘जिंदा रहना है तो बढ़ो, पीछे देखा तो तुम भी मरोगे। ग्वाटेमाला पहुंचने पर उससे 6 लाख रुपये, मैक्सिको की सीमा पर 6 लाख रुपये और अमेरिका सीमा तक पहुंचाने के नाम पर 3 लाख रुपये और ले लिए गए। अमेरिका की सीमा पर प्रवेश करते ही अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 28 से 70 दिन डिटेंशन कैंप में बंदी रहे, जहां 50–100 लोग एक ही बैरक में रहते थे। उन्हें भोजन में सिर्फ ब्रेड और सूप दिया जाता था। इसके अलावा उन्हें भाषा की समस्या रही तथा कोई कानूनी सहायता नहीं दी गई।

अब तक 654 लोग किए जा चुके हैं डिपोर्ट

इससे पहले भी हरियाणा के अमेरिका में अवैध तरीके से रहने वाले कुल 654 लोग अब तक डिपोर्ट किए जा चुके हैं। जनवरी से जुलाई 2025 तक हरियाणा के 604 नागरिकों को हथकड़ी पहनाकर सेना के जहाज से भारत डिपोर्ट किया गया था। अब हाल ही में 50 और लोगों को डिपोर्ट किए जाने के बाद यह संख्या बढ़कर 654 हो गई है।

हरियाणा सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी

पिछले तीन वर्षों में हरियाणा से 3000 से अधिक युवा डंकी रूट से विदेश जाने के प्रयास में पकड़े गए हैं। इनमें से कई को जंगलों और सीमाई रास्तों पर वापस धकेल दिया गया, जबकि 200 से अधिक युवा अब तक लापता या ठगी का शिकार बताए जा रहे हैं। इसके अलावा 100 से अधिक युवा अभी भी विदेशी जेलों में बंद हैं, जहां वे कानूनी सहायता के अभाव में कठिन परिस्थितियों में जीवन काट रहे हैं। यह स्थिति केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गंभीर सामाजिक और मानवीय संकट बन चुकी है। परिवार कर्ज के बोझ में डूब रहे हैं, युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और गांवों में असुरक्षा और असमंजस का माहौल बढ़ रहा है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अब मानव तस्करी, एजेंट नेटवर्क और अवैध यात्रा सिंडिकेट पर सख्त कार्रवाई की रणनीति तैयार कर रही हैं।

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