उत्तर प्रदेश में छोटे किसानों के लिए रेज़िलिएंस मॉडल बना उदाहरण: अजय बंगा

उत्तर प्रदेश में छोटे किसानों के लिए रेज़िलिएंस मॉडल बना उदाहरण: अजय बंगा

विश्व बैंक अध्यक्ष ने एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश में कृषि को तकनीक से जोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सराहा

अजय बंगा बोले- उत्तर प्रदेश में देखा ‘रेज़िलिएंट एग्रीकल्चर’ का जीवंत मॉडल

छोटे किसानों के लिए यूपी का कृषि मॉडल बना वैश्विक मिसालः बंगा

गर्मी-सहनशील बीज और डिजिटल तकनीक से बदल रहा यूपी का ग्रामीण परिदृश्यः विश्व बैंक अध्यक्ष 

बोले- उत्तर प्रदेश ने दिखाया रास्ता, एक खराब सीजन अब नहीं बिगाड़ेगा कृषक की पूरी जिंदगी

डिजिटल प्लेटफॉर्म बना किसानों की मजबूती की रीढ़, यूपी में तकनीक, बीमा और वित्त का अनूठा संगम

विश्व बैंक प्रमुख बोले — उत्तर प्रदेश का मॉडल पूरी दुनिया अपना सकती है

लखनऊ
 विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष अजय बंगा ने एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश में विकसित हो रहे छोटे किसानों के कृषि मॉडल की सराहना करते हुए कहा है कि “यह सिद्धांत नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत है जिसे मैंने अपनी आँखों से देखा है।” उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि प्रणाली को इस तरह से तैयार किया गया है कि उसमें रेज़िलिएंस (लचीलापन) शुरुआत से ही निहित है, यह बाद में जोड़ा गया तत्व नहीं है।

अजय बंगा एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे और यहां उन्होंने उत्तर प्रदेश और योगी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ जो प्रयोग हो रहे हैं, वे अद्भुत हैं। यहाँ गर्मी सहन करने वाले बीज, मिट्टी के अनुकूल उर्वरक, पुनर्जीवित करने की तकनीकें, कुशल सिंचाई व्यवस्था और मजबूत बीमा-फाइनेंसिंग प्रणाली किसानों के जीवन को स्थिरता देती है। इसका मकसद यही है कि एक खराब मौसम या एक खराब सीज़न किसी किसान के लिए पूरी ज़िन्दगी का संकट न बन जाए।

डिजिटल तकनीक है प्रणाली की रीढ़
विश्व बैंक अध्यक्ष ने आगे कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का केंद्र डिजिटल तकनीक है। उन्होंने कहा कि डिजिटल ही वह ग्लू (गोंद) है जो पूरे सिस्टम को जोड़ता है। एक साधारण एआई टूल और बेसिक मोबाइल फ़ोन किसान की फ़सल की बीमारी की पहचान कर सकता है, उर्वरक की जानकारी दे सकता है, मौसम की चेतावनी पहले ही दे सकता है और भुगतान को सुरक्षित बना सकता है। यही डेटा आगे चलकर किसान की क्रेडिट हिस्ट्री बन जाता है, जिससे उसे सस्ता ऋण और बेहतर वित्तीय पहुंच मिलती है। उन्होंने इसे ‘वर्चुअस लूप’ (सकारात्मक चक्र) बताया, जहां डेटा आधारित विश्वास बेहतर अंडरराइटिंग को बढ़ाता है, ऋण सस्ता होता है और अधिक निवेशक इस पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ते हैं।

उत्तर प्रदेश बना उदाहरण
अजय बंगा ने कहा कि उन्होंने कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश का दौरा किया था, जहां उन्होंने इस मॉडल को वास्तविक रूप में क्रियान्वित होते देखा। उन्होंने कहा कि मैंने वहाँ देखा कि नींव से लेकर सहकारी संस्थाओं तक, किसानों की रेज़िलिएंस और सबसे बढ़कर डिजिटल प्रणाली, सबने मिलकर एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया। यह एक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट है, यह मॉडल काम करता है। अब इसे बड़े पैमाने पर लागू करने की आवश्यकता है, और यह पूरी तरह स्केलेबल है। उन्होंने कहा कि इस तरह का मॉडल तभी सफल हो सकता है जब सरकार, व्यवसाय और डेवलपमेंट पार्टनर्स एक ही दिशा में आगे बढ़ें।

उत्तर प्रदेश और विश्व बैंक की साझेदारी
हाल ही में विश्व बैंक और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर ‘यूपी एग्रीज’ परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य राज्य में कृषि प्रणाली को तकनीकी और वित्तीय रूप से मजबूत बनाना है। इस परियोजना से लगभग 10 लाख छोटे और सीमांत किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम की रूपरेखा भी तैयार की है, जिससे किसानों को मौसम, बीज, बाजार और बीमा से जुड़ी जानकारी वास्तविक समय पर उपलब्ध होगी। विश्व बैंक अध्यक्ष का यह बयान इस बात का संकेत है कि उत्तर प्रदेश अब सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि “स्मार्ट कृषि परिवर्तन” का मॉडल बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह समय है जब दुनिया ऐसे मॉडल्स को खुले तौर पर अपनाए, ताकि छोटे किसानों की आजीविका सुरक्षित और समृद्ध हो सके।

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