पटना
बिहार में चुनाव है और महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सुलझने लगा है. आरजेडी और वीआईपी के बीच सीट बंटवारा हो गया है. मुकेश सहनी की पार्टी VIP को 18 सीटें दी गई हैं.सूत्रों के मुताबिक, देर रात तक चली मैराथन बैठकों के बाद वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को 18 सीटों का अंतिम ऑफर मिला है. मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव के बीच सीट बंटवारे को लेकर लंबे समय से चल रहा गतिरोध अब खत्म हो गया है. सूत्रों के अनुसार, वीआईपी पार्टी 18 सीटों के इस समझौते से संतुष्ट है.
मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव के बीच देर रात आमने-सामने मुलाकात हुई और उसके बाद टेलीफोन पर भी बातचीत हुई. सूत्रों के मुताबिक, वीआईपी को 18 सीटें देने पर सहमति बन गई. इन सीटों के चयन में जातीय समीकरण और अन्य स्थानीय फैक्टर्स को ध्यान में रखा गया है. जो 18 सीटें फाइनल हुई हैं, उन पर मुकेश सहनी की पार्टी आज से ही टिकट वितरण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है.
सूत्रों के अनुसार, तारापुर विधानसभा सीट को लेकर अभी भी मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है. वीआईपी के नेता सकलदेव बिंद पहले ही तारापुर से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर चुके हैं. इधर, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के बाद आरजेडी की इस सीट में गहरी दिलचस्पी बढ़ गई है. अब आरजेडी और वीआईपी के बीच तारापुर सीट पर सहमति बनने की संभावना है.
दरअसल, बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पा रही है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस 60 से ज्यादा सीटों की मांग पर अड़ी है. कांग्रेस ने 65 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी की है. जबकि आरजेडी ने कांग्रेस के लिए 58 सीटों की लिमिट तय की है. सीटों की संख्या पर कांग्रेस-आरजेडी के बीच जबरदस्त तकरार है.
कांग्रेस ने आरजेडी के लिए 138 सीट देने का फॉर्मूला रखा है. हालांकि, सीट बंटवारे पर तस्वीर साफ हुए बगैर कई दलों ने उम्मीदवारों को सिंबल जारी कर दिए हैं.
आरजेडी ने अब तक कुल 71 उम्मीदवारों को सिंबल जारी कर दिया. भाकपा माले ने 18 सीटों पर उम्मीदवारों को सिंबल दिया. सीपीआई ने 6 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की. 4 अन्य सीटों पर सहमति के बाद उम्मीदवार उतारने का दावा किया है.
सीपीएम से एक उम्मीदवार ने नामांकन किया. 16 अक्टूबर को दूसरे उम्मीदवार भी नामांकन करेंगे. मुकेश सहनी अपनी पार्टी की सीटों की संख्या लगातार कम होते देख बेचैनी में हैं. महागठबंधन में अब तक के हालात बताते हैं कि सीट शेयरिंग का मामला जल्द नहीं सुलझा तो कुछ सीटों पर घटक दलों के बीच फ्रेंडली फाइट की स्थिति बनेगी.