काबुल
पाकिस्तान के साथ खूनी जंग में तालिबानी लड़ाकों ने खुद को विजेता घोषित कर दिया है. अफगानिस्तान के कई शहरों में जनता तालिबानी लड़ाकों के साथ सड़क पर जश्न मना रही है. अफगानिस्तान के आम शहरियों ने कहा है कि अफगानिस्तान की सरजमीं पर पाकिस्तानियों की बुरी नजर बर्दाश्त नहीं है. अफगानिस्तान के खोस्त, नंगरहार, पकीता, पंजशीर और काबुल में इस लड़ाई को पाकिस्तानियों को अफगानियों का जवाब बताया जा रहा है.
अफगानिस्तान की अंग्रेजी वेबसाइट टोलो न्यूज के अनुसार अफगानिस्तान की अवाम का कहना है कि पाकिस्तान के साथ टकराव में उनकी सेना की बहादुरी सराहनीय है और अफ़ग़ानिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाली पाकिस्तान की कार्रवाई उनके लिए असहनीय है.
अफगानी सेना और तालिबानी लड़ाकों का समर्थन करने के लिए कई शहरों में युवा और कबीलाई नेता जमा हुए.
कुनार निवासी दाऊद खान हमदर्द ने कहा, "अगर पाकिस्तान ने हमारे क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया होता, तो अफगानिस्तान को उनके खिलाफ इस तरह के हमले करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता."
नंगरहार निवासी मोहम्मद नादेर ने कहा, "हमारी सीमाएं अन्य पड़ोसियों के साथ भी लगती हैं, फिर भी उनके साथ हमारे संबंध खराब नहीं हुए हैं. इससे पता चलता है कि समस्या हमारे साथ नहीं, बल्कि पाकिस्तान के साथ है, क्योंकि वह हमेशा से समस्याओं का स्रोत रहा है."
कबायली बुज़ुर्गों,मजहबी विद्वानों ने घोषणा की कि मुल्क के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन उन्हें बर्दाश्त और वे इसके विरुद्ध कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं.
कुनार के एक कबायली बुज़ुर्ग तवोस खान अखुंदज़ादा ने कहा, "अफगानिस्तान साम्राज्यों का कब्रिस्तान है. पाकिस्तान को अफगानिस्तान के इतिहास से सीख लेनी चाहिए और अफगानों को परेशान करना बंद करना चाहिए."पक्तिया निवासी मुस्लिम हैदरी ने कहा, "इस्लामिक अमीरात और अफगानिस्तान के लोगों का अपनी जमीन और क्षेत्र के एक-एक इंच की रक्षा करना वैध अधिकार है."
अफगान की सुरक्षा पर कमेंट करने वाले एक हैंडल ने लिखा, "डूरंड रेखा पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ हालिया "बदला" अभियान में तालिबान बलों की जीत का जश्न मनाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं. तालिबान लड़ाके झड़पों के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों से कथित तौर पर ज़ब्त किए गए हथियार भी दिखाते नजर आ रहे हैं.
अफगान डिफेंस के एक हैंडल ने लिखा, "अफगान फोर्सेज द्वारा पाकिस्तान को करारी शिकस्त दिए जाने के बाद अफगानी लोग अपने सैनिकों के सम्मान में एकत्रित होकर खुशी का जश्न मना रहे हैं."
तालिबान के हमले में 58 सैनिक हुए ढेर, बौखलाए मुनीर ने बुलाई इमर्जेंसी मीटिंग
अफगान तालिबान के एक के बाद एक हमलों ने पाकिस्तान की सेना को हिला दिया है. इन हमलों के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) में सोमवार देर रात आपातकालीन उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई. सीएनएन-न्यूज18 को शीर्ष खुफिया सूत्रों ने बताया कि यह बैठक डूरंड लाइन (Durand Line) के पास पाकिस्तानी चौकियों पर हुए तालिबान के हमलों के बाद बुलाई गई थी. इन हमलों ने पाक सेना की खुफिया और सीमा सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर कर दिया है.
बैठक में कॉर्प्स कमांडर पेशावर लेफ्टिनेंट जनरल उमर अहमद बुखारी, दक्षिणी कमांड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राहत नसीम अहमद खान, चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (CGS) लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद अवाइस, DG ISI आसिम मलिक, DGMI मेजर जनरल वाजिद अजीज और DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्लाह सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. खुफिया सूत्रों के मुताबिक आसिम मुनीर बेहद नाराज नजर आए और उन्होंने अपने कमांडरों से सख्त लहजे में पूछा, ‘पहले से खुफिया जानकारी क्यों नहीं थी? यह इंटेलिजेंस फेल्योर कैसे हुआ? कंटिजेंसी प्लान कहां था?’
मुनीर ने दिया बड़ा आदेश
सूत्रों के मुताबिक, मुनीर ने इसे बड़ी रणनीतिक विफलता बताते हुए हर अधिकारी से जवाब मांगा कि तालिबान की इस व्यापक कार्रवाई का कोई पूर्व संकेत क्यों नहीं मिला और फौरन जवाबी कार्रवाई की तैयारी क्यों नहीं थी? उन्होंने सभी वरिष्ठ कमांडरों को निर्देश दिया कि सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपें, जिसमें सभी कमियां, कारण और सुधारात्मक कदम स्पष्ट रूप से बताए जाएं. साथ ही, उन्होंने आदेश दिया कि सीमा क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाई जाए और ‘किसी भी संभावित हमले को रोकने के लिए हर मोर्चे पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय’ किए जाएं.
तालिबान के हमले से थर्राया पाकिस्तान
मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान अब ‘युद्ध की स्थिति में है. अंदरूनी और बाहरी दोनों मोर्चों पर.’ उन्होंने सवाल किया- ‘हम कब तक एक ‘सॉफ्ट स्टेट’ बने रहेंगे जबकि हमारे जवान और नागरिक लगातार कुर्बान हो रहे हैं? अब वक्त है सख्त कदम उठाने का.’ खुफिया सूत्रों के अनुसार, तालिबान ने सात अलग-अलग मोर्चों अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, दिर, चितराल, वजीरिस्तान (खैबर पख्तूनख्वा) और बहराम चाह व चमन (बलूचिस्तान) से भारी आर्टिलरी से हमला किया. इन हमलों ने पाकिस्तानी चौकियों को अचानक निशाना बनाया और सेना को चौंका दिया.
क्यों भिड़े 'बिरादर' अफगानिस्तान और पाकिस्तान
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल की भिड़ंत डुरंज लाइन पर 11-12 अक्टूबर 2025 की रात हुई. इसका मुख्य कारण पाकिस्तान द्वारा 9-10 अक्टूबर को काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले थे. अफगानिस्तान पर राज कर रहे तालिबान ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया. पाकिस्तान ने इन हमलों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर कार्रवाई कहा. पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि इन्हें अफगानिस्तान में पनाह मिलता है.
पाकिस्तानी हमले के जवाब में तालिबान ने जवाबी कार्रवाई में 25 पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया. पाकिस्तान ने कहा कि इस हमले में उन्होंने 200 तालिबान लड़ाकों को मार गिराया और उसके 23 सैनिक मारे गए. जबकि तालिबान का दावा है कि 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. अभी दोनों देशों के बीच व्यापार बंद है और टेंशन चरम पर है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि दोनों देशों के बीच लड़ाई कभी भी शुरू हो सकती है.