खजुराहो
भारत सरकार अब यूनेस्को की मान्यता प्राप्त खजुराहो को अगले दस सालों में विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित करने की योजना तैयार कर रही है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन विभाग ने दो माह पहले ही इसका खाका तैयार कर लिया है। मप्र पर्यटन बोर्ड की अपर प्रबंध संचालक बिदिशा मुखर्जी के अनुसार, सरकार चुनिंदा पर्यटन केंद्रों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की तैयारी में है। इसके लिए केवल खजुराहो में अगले 10 वर्षों में 2000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस राशि से वहां रोड़ कनेक्टिविटी, पर्यटक गाइडिंग, सिटी ऐप व 'वन टूरिज्म कार्ड' जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
खजुराहो को क्यों चुना
खजुराहो पहले से ही दुनियाभर में अपने मंदिरों की विशिष्ट वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। केंद्र सरकार की योजना यूनेस्को की सूची में शामिल चुनिंदा स्थलों को विश्वस्तरीय बेंचमार्क पर विकसित करने की है. जिसके लिए खजुराहो का चयन किया गया है। खजुराहो हवाई अड्डे श्रेष्ठ एयरपोर्ट में भी शामिल है।
टिकाऊ विकास पर होगा फोकस
प्रोत्साहन लैंड, व अनुदानः सब्सिडी, राज्यग ग्रांट और इंसेंटिव्स उपलब्ध कराएगी, ताकि निजी निवेश आकर्षित हो सके।
स्वच्छता और पर्यावरणः सफाई और सफाई सेवाओं पर 2 सफाई विशेष जोर, पर्यावरणीय दृष्टिकोण से हरित मानकों का पालन होगा।
ये होगा खास
आधुनिक सुविधाएं: सड़क मार्ग, रेल-हवाई संपर्क बेहतर होगा. पाथवेज, एकोमोडेशन, पर्यटक सुविधा केंद्र, सिविक एमेनिटीज आदि पिक सीजन को ध्यान में रखते हुए बनेंगे।
सांस्कृतिक और कलात्मक केंद्रः मध्य प्रदेश और भारत की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए एक ऐतिहासिक, पुरातात्विक और भव्य कला केंद्र बनाया जाएगा।
वन टूरिज्म कार्डः सभी प्रकार की बुकिंग के लिए एक वन टूरिज्म कार्ड बनेगा, जिससे बुकिंग आसान होगी। इसी कार्ड से होटल, म्यूजियम, मंदिर, बस, ट्रेन, एयरपोर्ट आदि पर भी पेमेंट कर सकेंगे।
आधुनिक होटलः दुनिया के 20 से अधिक चर्चित होटलों को बनाया जाएगा, जिसका पूरा इंफास्ट्रक्चर आधुनिक, कला और तकनीक से परिपूर्ण होगा।
यह हमारे लिए ऐतिहासिक अवसर है कि खजुराहो को न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक उत्कृष्ट पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित किया जाए। इस निवेश योजना से न केवल ठोस बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगे, बल्कि स्थानीय संस्कृति और कलाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाएंगे। – शिव शेखर शुक्ला, एसीएस, पर्यटन विभाग