उज्जैन
धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध उज्जैन शहर में हरिफाटक चौराहे से महाकाल महालोक तक नया अंडरपास बनने जा रहा है। इस पर 40 करोड़ 57 लाख रुपये खर्च होंगे। लोक निर्माण विभाग के अनुसार, अंडरपास न केवल हरिफाटक पुल पर यातायात का दबाव कम करेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को महाकाल मंदिर और प्रमुख स्थलों तक सुगम और सुरक्षित पहुंच भी सुनिश्चित करेगा। निर्माण भारतीय सड़क कांग्रेस के मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसमें अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। निर्माण के दौरान भी यातायात को सुचारू रखने के लिए योजना बनाई जा रही है।
अंडरपास की डिजाइन इस तरह तैयार की गई है कि इंदौर-देवास की तरफ से आने वाले श्रद्धालु हरिफाटक पुल पर चढ़े बिना सीधे महाकाल महालोक के नंदी द्वार (जहां भगवान गणेश की विशाल मूर्ति स्थापित है) तक पहुंच सकें। इसकी लंबाई 600 और चौड़ाई 22 मीटर तय की है।
मार्ग का कुछ हिस्सा भूमिगत होगा। निर्माण से जिला पंचायत का संभागीय हाट बाजार भी प्रभावित होगा। नया मार्ग महाकाल महालोक के साथ चारधाम मंदिर, त्रिवेणी कला संग्रहालय और रोपवे के बनने वाले दूसरे स्टेशन तक की पहुंच आसान बनाएगा।
सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखकर तैयारी
परियोजना को उज्जैन में वर्ष 2028 में लगने जा रहे महाकुंभ सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। उस समय करोड़ों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे और तब यह अंडरपास भीड़ नियंत्रण और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। इससे न केवल पुलिस और प्रशासन का प्रबंधन आसान होगा, बल्कि आम श्रद्धालुओं को भी परेशानी नहीं होगी।
ऐतिहासिक नगरी की सबसे बड़ी जरूरत
अंडरपास न केवल एक ट्रैफिक प्रबंधन उपाय है, बल्कि उज्जैन को धार्मिक पर्यटन हब के रूप में सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम भी है। यह परियोजना उज्जैन को ऐसे माडल शहर के रूप में स्थापित करेगी, जहां परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम हो। इस अंडरपास से उज्जैन का महाकाल क्षेत्र पहले से ज्यादा पहुंच योग्य, सुविधाजनक और सुरक्षित बन जाएगा और यही इस ऐतिहासिक नगरी की सबसे बड़ी जरूरत है। – रौशन कुमार सिंह, कलेक्टर