पटना
चुनावी साल में बिहार को केंद्र सरकार से एक और बड़ा तोहफा मिला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को कुल 6 अहम फैसलों पर मुहर लगी. इन फैसलों पर करीब 94,916 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. रेलवे, सड़क, शिक्षा, जहाजरानी और रिसर्च जैसे अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी इन योजनाओं का सीधा फायदा बिहार और देश के बाकी हिस्सों को मिलेगा. रेलवे कर्मचारियों के लिए भी सरकार ने खुशी की सौगात दी है. उन्हें प्रोडक्टिविटी-लिंक्ड बोनस देने का फैसला हुआ है, जिस पर 1,866 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
बिहार में बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेल लाइन डबलिंग परियोजना को मंजूरी दी गई है. इस पर 2,192 करोड़ रुपये खर्च होंगे. रेलवे का यह कदम न सिर्फ यात्रियों की सुविधा बढ़ाएगा बल्कि मालगाड़ियों की आवाजाही को भी दोगुना कर देगा. इसके अलावा साहेबगंज-बेतिया एनएच-139W को चार लेन बनाने पर 3,822 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट से सीमांचल और उत्तर बिहार के लोगों को तेज रफ्तार कनेक्टिविटी मिलेगी. चार-लेन ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट से पटना और बेतिया के बीच संपर्क को बेहतर बनाया जाएगा. इससे उत्तर बिहार के वैशाली, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिले भारत-नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों तक जुड़ जाएंगे.
मेडिकल, स्वास्थ्य से लेकर शिपबिल्डिंग प्रोजेक्ट पास
केंद्र ने मेडिकल कॉलेज और मेडिकल शिक्षा विस्तार पर 15,034 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है. इससे बिहार सहित देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर और बेहतर होने की उम्मीद है.
इसके साथ ही सीएसआईआर की क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास योजना पर 2,277 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिससे देश में रिसर्च और इनोवेशन को नई उड़ान मिलेगी.
कैबिनेट ने शिपबिल्डिंग और समुद्री विकास सुधारों के लिए सबसे बड़ा पैकेज दिया है. इस पर 69,725 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की समुद्री ताकत और वैश्विक व्यापार में पकड़ मजबूत होगी. मरीन सिक्योरिटी नेशनल सिक्योरिटी का एक बहुत बड़ा हिस्सा है और सरकार लगातार इसे बेहतर करने की कोशिश कर रही है.
बिहार को एक साल में कई सौगात
बीते एक साल में केंद्र सरकार ने बिहार के लिए कई योजनाओं पर मुहर लगाई है. रेलवे लाइन अपग्रेडेशन, नई सड़कों और पुलों के निर्माण, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर लगातार निवेश हो रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 12 महीनों में बिहार के लिए करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की योजनाओं को मंजूरी मिली है. इनमें सड़क, रेलवे, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े प्रोजेक्ट प्रमुख हैं.
क्यों अहम है बिहार?
बिहार में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं. इसलिए सरकार का फोकस बिहार पर ज्यादा है. बिहार की राजनीति हमेशा से दिल्ली की राजनीति को प्रभावित करती रही है. राज्य में विधानसभा की 243 सीटें हैं और यहां का चुनाव सीधा-सीधा राष्ट्रीय राजनीति का रुख तय करता है. यही वजह है कि केंद्र सरकार चाहती है कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विकास की बड़ी तस्वीर जनता के सामने रखी जाए.
2024–25 में जिन योजनाओं को मंजूरी मिली है, जैसे रेलवे लाइन डबलिंग, हाईवे चौड़ीकरण, मेडिकल कॉलेज विस्तार, बिजली और शिक्षा योजनाएं—इनका फायदा सरकार चुनाव प्रचार में सीधे तौर पर दिखा सकती है. लोग जब नई सड़क, बेहतर अस्पताल या कॉलेज बनते देखते हैं तो यह सरकार की छवि पर असर डालता है.