रामलीला विवाद: पूनम पांडे नहीं निभाएँगी मंदोदरी, कमेटी ने मांगी माफी

मुंबई 
पूनम पांडे लवकुश रामलीला में मंदोदरी का रोल नहीं निभा सकेंगी। आज लव कुश रामलीला कमेटी ने ये फैसला लिया है और इसे लेकर कमेटी ने पूनम पांडे को पत्र लिखा है। पूनम पांडे दिल्ली में होने वाली भव्य लवकुश रामलीला में मंदोदरी का किरदार निभाने वाली थीं। मंदोदरी के रोल के लिए उनका नाम फाइनल होने के बाद से ही इस फैसले का जमकर विरोध हो रहा था, आखिरकार विरोध को देखते हुए लवकुश रामलीला समिति ने आखिरकार उन्हें हटाना ही उचित समझा और इसे लेकर पूनम पांडे को पत्र लिखकर सूचित किया।

समिति ने लिखा-हमें क्षमा कर दें
समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार और महासचिव सुभाष गोयल ने बताया कि पूनम पांडे ने समिति के आमंत्रण पर मंदोदरी की भूमिका निभाने की सहमति दी थी। लेकिन उनके नाम की घोषणा के बाद अनेक संस्थानों और वर्गों से आपत्तियां सामने आईं, जिससे रामलीला के उद्देश्य प्रभु श्रीराम का संदेश समाज तक पहुंचाने में बाधा उत्पन्न हो रही थी। इसी वजह से गहन विचार-विमर्श के बाद समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है कि इस वर्ष मंदोदरी की भूमिका किसी अन्य कलाकार से करवाई जाएगी। समिति ने पूनम पांडे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वे इस निर्णय को समझेंगी और क्षमा करेंगी।

पूनम पांडे ने किया था पोस्ट
बता दें कि कल ही यानी सोमवार को ही पूनम पांडे ने एक वीडियो भी शेयर किया था और उसके जरिए बताया था कि वो इस किरदार को निभाने के लिए कितनी उत्साहित हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि मैं नवरात्र के लिए पूरे नौ दिनों का व्रत भी रखूंगी। मंदोदरी को रोल मिलने के बाद से ही उनके खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई जा रही थी और इस विवाद को देखते हुए ही कमेटी ने ये फैसला लिया कि उन्हें इस रोल से हटा दिया जाए। अब उनकी जगह मंदोदरी का किरदार कोई और निभाएगा।  

पूनम पांडे को लेकर हुआ था विरोध
पूनम पांडे के नाम को लेकर विश्व हिंदू परिषद से लेकर कंप्यूटर बाबा तक ने कड़ा विरोध जताया था। कंप्यूटर बाबा ने तो इतना कह दिया था कि पूनम पांडे को तो मंदोदरी नहीं, सूर्पनखा का रोल देना चाहिए। कंप्यूटर बाबा ने कहा कि रामलीला के अध्यक्ष को इतनी बुद्धि नहीं आई कि आपको किसको क्या पात्र देना चाहिए? मैं ये अनुरोध करूंगा कि जो जैसा है उसको वैसा ही पात्र बनाया जाए।" वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने पूनम पांडे को रामलीला में लिए जाने के विरोध में एक चिट्ठी लिखकर आग्रह किया था कि उन्हें इस भूमिका से हटा दिया जाना चाहिए। पत्र में लिखा गया था कि रामलीला केवल एक नाट्य-प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारतीय समाज और संस्कारों का एक जीवंत हिस्सा है। 

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