साहिर लुधियानवी: इश्क़, जुदाई और इंसानियत के शायर, उनकी 5 मशहूर ग़ज़लों के साथ हिंदी अर्थ
लेखक विशेष | 4thPiller.com
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✒️ जीवन परिचय
पूरा नाम: अब्दुल हयी उर्फ़ साहिर लुधियानवी
जन्म: 8 मार्च 1921, लुधियाना (पंजाब)
निधन: 25 अक्टूबर 1980, मुंबई
पहचान: उर्दू के बेहतरीन शायर और हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार।
ख़ासियत: साहिर की लेखनी में मोहब्बत का दर्द और समाज की सच्चाई एक साथ मिलती है। उन्होंने शायरी को सिर्फ़ इश्क़-मुहब्बत तक सीमित नहीं रखा, बल्कि गरीबी, मजदूरों की पीड़ा, इंसाफ़, और स्त्री के अधिकार जैसे मुद्दों को भी अपनी रचनाओं में जगह दी।
सिनेमा में योगदान: “प्यासा”, “कभी कभी”, “फिर सुबह होगी” जैसी फिल्मों के गाने आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं।
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🌹 उनकी सोच और लेखनी
साहिर मानते थे कि शायरी सिर्फ़ दिल बहलाने का ज़रिया नहीं, बल्कि समाज को आईना दिखाने की ताक़त भी रखती है।
उनकी शायरी में –
मोहब्बत का दर्द
इंसाफ़ की पुकार
और इंसानियत का पैग़ाम
तीनों एक साथ मौजूद रहते हैं।
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⭐ साहिर लुधियानवी की 5 मशहूर ग़ज़लें (हिंदी अर्थ सहित)
1.
“अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ…”
👉 अर्थ: शायर अपने इश्क़ की गहराई को दिखाना चाहता है, मगर समझ नहीं पाता कि अपने महबूब के सामने कौन-सी चीज़ रखे—दिल, वफ़ा, या जुदाई का दर्द।
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2.
“अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं…”
👉 अर्थ: दुनिया में मोहब्बत करने वाले और भी हैं, दर्द झेलने वाले और भी हैं। यानी हम अकेले ही दुख भोगने वाले नहीं हैं, दुनिया का हर इंसान अपने ग़म से गुज़र रहा है।
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3.
“इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें…”
👉 अर्थ: यह शेर इश्क़ की रात की ख़ूबसूरती बयान करता है। चाँदनी, पेड़ों की खुशबू और बेचैन ख्यालात—शायर कहता है कि इन जज़्बातों के बीच इंसान करे तो क्या करे।
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4.
“इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के…”
👉 अर्थ: बहारें गुज़र चुकी हैं लेकिन उनकी यादें अब भी दिल में ज़ख़्म छोड़ जाती हैं। लोग बाहर से हँसते हैं, मगर अंदर से ग़म और रहस्य छुपाए रखते हैं।
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5.
“कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया…”
👉 अर्थ: ज़िंदगी की मुश्किलें और अधूरे रिश्ते इंसान को रुला देते हैं। हर बार रोने की वजह बदल जाती है—कभी ख़ुद की ग़लतियों पर, कभी हालात पर, और कभी अधूरी मोहब्बत पर।
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✨ निष्कर्ष
साहिर लुधियानवी की शायरी महज़ लफ़्ज़ नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ है। उनकी ग़ज़लों में मोहब्बत का दर्द भी है और इंसाफ़ की पुकार भी। यही वजह है कि वे आज भी लाखों दिलों में ज़िंदा हैं।