पाक-सऊदी रक्षा समझौता: भारत और इजरायल के लिए नई सुरक्षा चुनौती

रियाद
सऊदी तेल का राजा है, लेकिन सुरक्षा के मामले में कमजोर। सालों से ईरान उसका सबसे बड़ा दुश्मन रहा। वहीं पाकिस्तान हर तरह से भारत के सामने बौना नजर आता है। दोनों ही मुस्लिम देश एक दूसरे को ढाल की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं। 

रियाद के यमामा पैलेस में एक ऐतिहासिक डील देखने को मिली। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गले मिलकर 'स्ट्रेटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' (एसएमडीए) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता साफ कहता है: एक देश पर मतलब दोनों पर हमला। लेकिन यह सिर्फ कागजों का खेल नहीं, बल्कि दो देशों की गहरी मजबूरी का नतीजा है। एक तरफ पाकिस्तान, जो परमाणु शक्ति होने के बावजूद भारत के सामने बेबस महसूस करता है। दूसरी तरफ सऊदी अरब है, जो ईरान की पुरानी दुश्मनी से जूझता था, लेकिन अब इजरायल को सबसे बड़ा खतरा मानने लगा है। खाड़ी के देशों के लिए यह समझौता एक नई ढाल कहा जा रहा है, जो अमेरिकी सुरक्षा गारंटी पर सवाल उठाने के बाद आई। आइए, विस्तार से समझते हैं कि यह समझौता क्यों हुआ, कैसे हुआ, और इसके पीछे की सच्ची कहानी क्या है।
पाकिस्तान का भारत डर: परमाणु ताकत, लेकिन कन्वेंशनल कमजोरी

पाकिस्तान दुनिया का छठा सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश है। उसके पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं, जो किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं। लेकिन कन्वेंशनल यानी पारंपरिक जंग में भारत के सामने यह बौना नजर आता है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के मुताबिक, भारत की मिलिट्री रैंकिंग दुनिया में चौथी है, जबकि पाकिस्तान 12वीं पर खिसक गया है।

सैनिकों की तुलना: भारत के पास 14.6 लाख एक्टिव सैनिक हैं, पाकिस्तान के सिर्फ 6.5 लाख। भारत के रिजर्व फोर्स 11.5 लाख हैं, पाकिस्तान के सिर्फ 5 लाख।

हथियारों का फर्क: भारत के पास 4,200 से ज्यादा टैंक, 2,200 से ज्यादा लड़ाकू विमान और 290 से ज्यादा नौसैनिक जहाज हैं (जिनमें 2 एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल)। पाकिस्तान के पास 2,600 टैंक, 1,400 विमान और महज 121 जहाज।

बजट का अंतर: भारत का डिफेंस बजट 2025-26 के लिए 79 बिलियन डॉलर (करीब 6.8 लाख करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान के 10 बिलियन डॉलर से 8 गुना ज्यादा।

यह फर्क सिर्फ आंकड़ों में नहीं, जमीनी हकीकत में भी दिखा। मई में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर और पंजाब प्रांत सहित कई इलाकों में 9 ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। सकड़ों आतंकी मारे गए। चार दिनों तक चली इस जंग में पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन फिर भारत ने अपनी ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान के अनेकों एयरबेस उड़ा दिए। मजबूरन पाकिस्तान को 10 मई को सीजफायर की गुहार लगानी पड़ी।

इस संघर्ष ने पाकिस्तान को एहसास दिलाया कि कन्वेंशनल ताकत में भारत से मुकाबला मुश्किल है। परमाणु हथियार आखिरी हथियार हैं, लेकिन परमाणु जंग शुरू होते ही सब कुछ तबाह हो सकता है। इसलिए पाकिस्तान को एक मजबूत दोस्त की जरूरत थी, जो भारत के खिलाफ बैलेंस बनाए। सऊदी अरब, जो पाकिस्तान को आर्थिक और मिलिट्री मदद देता रहा है, परफेक्ट चॉइस था।
सऊदी का डर: ईरान से इजरायल तक, खतरा बढ़ा

सऊदी अरब तेल का राजा है, लेकिन सुरक्षा के मामले में कमजोर। सालों से ईरान उसका सबसे बड़ा दुश्मन रहा। यहां एक बड़ी ही दिलचस्प बात ये है कि इजरायल और ईरान एक दूसरे के सबसे बड़े दुश्मन हैं। लेकिन दोनों की सऊदी अरब से नहीं बनती। ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने 2019 में सऊदी के आरामको प्लांट पर ड्रोन हमला किया था। 2025 में भी इजरायल-ईरान से टेंशन बढ़ी। लेकिन असली टर्निंग पॉइंट आया 9 सितंबर 2025 को।

कतर की राजधानी दोहा के लीक्तैफिया इलाके में इजरायली एयरस्ट्राइक हुई। हमला हमास के नेताओं पर था, जो कतर सरकार के रेसिडेंशियल कॉम्प्लेक्स में सीजफायर प्रपोजल पर मीटिंग कर रहे थे। हमले में 5 हमास मेंबर, 1 कतरी सिक्योरिटी ऑफिसर और नागरिक मारे गए। कतर ने इसे 'स्टेट टेररिज्म' कहा। अमेरिका ने कतर को मेजर नॉन-नाटो एली बनाया है और दोहा में उसका अल उदेद एयरबेस है जोकि मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा यूएस बेस। फिर भी, इजरायल ने हमला कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें पहले से खबर नहीं थी।

यह हमला खाड़ी देशों के लिए बड़ा झटका था। कतर ने इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने का दोषी ठहराया। 15 सितंबर को दोहा में अरब-इस्लामिक समिट हुई, जहां सऊदी क्राउन प्रिंस समेत कई लीडर्स ने इजरायल की निंदा की। लेकिन कोई ठोस एक्शन नहीं हुआ। सऊदी को लगा कि अमेरिकी सुरक्षा गारंटी भरोसेमंद नहीं रही। ईरान पुराना खतरा था, लेकिन अब इजरायल ने जगह ले ली। चैथम हाउस के डायरेक्टर सनम वकील कहते हैं, "गल्फ स्टेट्स अब इजरायल को सबसे बड़ा सिक्योरिटी थ्रेट मानते हैं।"

इजरायल के हमले ने अरब देशों को भड़का दिया
यह समझौता इजरायल के प्रति एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इजरायल को मध्य पूर्व का एकमात्र परमाणु हथियार संपन्न देश माना जाता है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले के बाद से इजरायल ने ईरान, लेबनान, फिलिस्तीनी क्षेत्रों, कतर, सीरिया और यमन में व्यापक सैन्य कार्रवाई की है। इस महीने की शुरुआत में कतर पर इजरायल के हमले ने अरब देशों को भड़का दिया। एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, "यह समझौता किसी विशिष्ट देश या घटना के जवाब में नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे गहरे सहयोग को संस्थागत रूप देने का कदम है।" हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्रीय तनावों के बीच सऊदी अरब की सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता है।  

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