दुबई
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने एशिया कप से हटने की धमकी देकर क्रिकेट की दुनिया में खलबली मचा दी है. पीसीबी अध्यक्ष और मौजूदा एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) प्रमुख मोहसिन नकवी ने इस धमकी की नींव आईसीसी रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट से जुड़े विवाद पर रखी. दरअसल, भारत-पाकिस्तान मुकाबले के बाद हाथ मिलाने के दौरान हुए हंगामे के लिए नकवी ने पायक्रॉफ्ट को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें हटाने की मांग कर दी. लेकिन आईसीसी ने इस मांग को खारिज कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने एशिया कप छोड़ने की धमकी दी है.
एशिया कप 2025: पाकिस्तान को आज (17 सितंबर) यूएई के खिलाफ अपना अंतिम ग्रुप मैच खेलना है. मुकाबले से एक दिन पहले मंगलवार को पाकिस्तान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया, जिससे टीम के रुख और तैयारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं.
यह धमकी जितनी बड़ी है, उसका वित्तीय जोखिम उससे कहीं ज्यादा है. पाकिस्तान यदि टूर्नामेंट छोड़ता है तो उसे 12 से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 105 से 141 करोड़ रुपये तक का सीधा नुकसान झेलना पड़ेगा. एसीसी की कुल कमाई में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को बराबर-बराबर 15-15 प्रतिशत हिस्सा मिलता है. यानी कुल 75 प्रतिशत राजस्व इन्हीं 5 देशों के बीच बंटता है. अकेले मौजूदा एशिया कप से पीसीबी की अनुमानित कमाई 1.2 से 1.6 करोड़ डॉलर के बीच है. आर्थिक रूप से पहले से कमजोर पीसीबी के लिए यह घाटा बहुत बड़ा साबित होगा.
पाकिस्तान का वार्षिक बजट करीब 227 मिलियन डॉलर का है. ऐसे में 16 मिलियन डॉलर की चपत उसके राजस्व का लगभग 7 प्रतिशत खत्म कर देगी. इसे सह पाना किसी भी कमजोर बोर्ड के लिए आसान नहीं है.
… प्रसारणकर्ता का भरोसा भी टूटेगा
सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया (SPNI) ने 2024 से 2031 तक एसीसी के साथ 170 मिलियन डॉलर का करार किया है. इस डील में महिला और अंडर-19 एशिया कप भी शामिल हैं. जाहिर है, इस डील का सबसे बड़ा आकर्षण भारत-पाकिस्तान मुकाबला है. अगर पाकिस्तान टूर्नामेंट से हटता है तो न केवल उसका हिस्सा कटेगा, बल्कि प्रसारणकर्ता का भरोसा भी टूटेगा. भारत-पाक मैच ही वह खजाना है, जिससे टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन स्लॉट प्रीमियम दरों पर बिकते हैं. ऐसे में प्रसारणकर्ता का गुस्सा सीधे पीसीबी और नकवी पर फूट सकता है.
एसीसी में अलग-थलग पड़ने का खतरा
पाकिस्तान के इस कदम का दूसरा बड़ा खतरा एसीसी बोर्डरूम में है. बाकी चार टेस्ट खेलने वाले देश यह सवाल जरूर उठाएंगे कि बिना भाग लिए पीसीबी को 15 प्रतिशत राजस्व क्यों दिया जाए. इससे नकवी की एसीसी अध्यक्ष के रूप में विश्वसनीयता भी बुरी तरह प्रभावित होगी. एक तरफ वह बोर्ड के मुखिया हैं और दूसरी तरफ परिषद के प्रमुख… इस टकराव से उनकी साख दोनों जगह कमजोर हो सकती है.
सूत्रों के मुताबिक, नकवी का यह कदम पूरी तरह क्रिकेटीय नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है. पाकिस्तान में घरेलू दबाव को देखते हुए वे अपनी ‘सख्त छवि’ बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या वे अपने देशवासियों के सामने इज्जत बचाने के लिए बोर्ड को अरबों का घाटा झेलने देंगे?
साफ है कि एशिया कप से हटने की धमकी पाकिस्तान के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकती है. उसे अरबों रुपये का नुकसान होगा, बोर्ड की साख गिरेगी और एसीसी में उसकी स्थिति कमजोर होगी. मोहसिन नकवी चाहे जितनी भी कूटनीति करें, लेकिन इस मामले में पाकिस्तान के पास खोने के लिए बहुत कुछ है और पाने के लिए लगभग कुछ भी नहीं.