बिना सूद, आसान EMI: बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से 42 कोर्स पर पढ़ाई का मौका

पटना

बिहार में सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले हर कैबिनेट बैठक में अलग-अलग तबके पर तोहफे की बरसात कर रही है। नीतीश सरकार ने अब बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना से उच्च शिक्षा के लिए मिलने वाले लोन पर ब्याज खत्म कर दिया है और कर्ज चुकाने की समय सीमा 2 से 3 साल तक बढ़ा दी है। एजुकेशन लोन लेने वाले स्टूडेंट्स को अब सूद नहीं देना होगा और कर्ज लौटाने की मियाद बढ़ने से मासिक किस्त (EMI) भी कम हो जाएगी। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसकी जानकारी खुद नीतीश ने एक ट्वीट में दी है।

बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत साधारण बीए, बीएससी, बीकॉम से लेकर मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट जैसे 42 तरह के कोर्स (कोर्स लिस्ट की पीडीएफ कॉपी नीचे है) को पूरा करने के लिए राज्य सरकार बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लिमिटेड के जरिए 4 लाख रुपये तक का कर्ज देती है। इसका लाभ बिहार से बोर्ड या पॉलिटेक्निक पास स्टूडेंट्स को मिलता है। साथ ही झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के संस्थानों से इसी तरह की डिग्री वाले बिहार मूल के छात्र-छात्राओं को भी योजना का फायदा मिलता है। सामान्य तौर पर उम्र सीमा 25 साल है, लेकिन पीजी कोर्स के लिए 30 साल तक के स्टूडेंट आवेदन कर सकते हैं।

बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन मिलता है। इस कर्ज पर 4 परसेंट की इंटरेस्ट रेट से ब्याज लगता था। महिला, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर को मात्र 1 फीसदी सूद देना होता था। सरकार ने अब इस ब्याज को पूरी तरह खत्म करने का फैसला लिया है, जिसका लाभ आवेदकों को आगे मिलेगा। 2 लाख तक का लोन लौटाने के लिए पहले 5 साल की मियाद थी, जिसे सरकार ने अब 7 साल कर दिया है। 2 लाख से ऊपर का कर्ज वापस करने के लिए पहले 7 साल की मियाद थी, जिसे अब 10 साल कर दिया गया है। नौकरी मिलने के छह महीने या पढ़ाई खत्म होने के एक साल बाद कर्ज लौटाना शुरू होता है। नौकरी नहीं हो या आय नहीं हो तो जून और दिसंबर में शपथ पत्र दाखिल कर कर्ज वापसी को टाला जा सकता है।

नीतीश सरकार ने उच्च शिक्षा में बिहार की सकल नामांकन दर (GER) को बढ़ाने के लिए सात निश्चय के तहत 2015 से 2020 वाले कार्यकाल में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को लागू करने का फैसला किया था। 2021-22 में बिहार का जीईआर बढ़कर 17.1 फीसदी तक पहुंचा है जो एक साल पहले 15.9 परसेंट था। जब योजना की शुरू हुई थी, तब बिहार का जीईआर 14.3 फीसदी था। इस समय उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर का राष्ट्रीय औसत 28.4 फीसदी है जो योजना की शुरुआत के वक्त 24 प्रतिशत था।

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