इंदौर
एमवायएच चूहा कांड में हाई कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दायर की गई याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। शासन ने याचिका में जवाब प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि नवजातों की मौत चूहों के काटने से नहीं हुई थी। नवजातों के कई अंग अविकसित थे।
करीब 700 पेज के जवाब में शासन ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए अब तक की गई कार्रवाई के बारे में भी बताया और जानकारी दी कि बहुत जल्द एमवायएच के एनआइसीयू को सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा, ताकि वर्तमान एनआइसीयू और आसपास के क्षेत्र में कीट नियंत्रण की कार्रवाई की जा सके।
मामले में न्यायमित्र बनाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर और एडवोकेट कीर्ति पटवर्धन ने इस संबंध में एक याचिका भी सोमवार को प्रस्तुत कर दी। कोर्ट ने इसे रिकार्ड पर ले लिया। याचिका में मांग की गई है कि घटना के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधिकारियों और पेस्ट कंट्रोल एजेंसी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए जाएं।
बता दें, इंदौर के महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएय) की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में चूहों ने दो नवजातों को काटा था। इसके कारण 2 और 3 सितंबर को दोनों मासूमों की मौत हो गई थी।
10 सितंबर को मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने शासन से कहा था कि वह स्टेटस रिपोर्ट पेश कर बताए कि आखिर इस मामले की वास्तविक स्थिति क्या है। घटना के बाद शासन ने क्या और किन-किन के खिलाफ कार्रवाई की है।
पीडब्ल्यूडी और नगर निगम भी होंगे पक्षकार
न्यायमित्र ने कोर्ट की अनुमति के बाद सोमवार को नई याचिका प्रस्तुत की, जिसमें पीडब्ल्यूडी और नगर निगम को पक्षकार बनाने की आवश्यकता बताई गई है। चूंकि चूहों को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई पीडब्ल्यूडी के माध्यम से होना है और सफाई व्यवस्था निगम की जिम्मेदारी है, इसलिए इन दोनों को पक्षकार बनाना होगा।