रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रिया भट्टाचार्य ने हिंदी दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी हम सभी का गौरव है और देश की एकता और अस्मिता का प्रतीक है। भट्टाचार्य ने झामुमो कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोकतंत्र में सबकी समान भागीदारी जरूरी है, लेकिन देश में पिछले 11 वर्षों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संस्थाओं की दिशा चिंताजनक हो गई है।
भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे को लेकर उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मणिपुर, जो पिछले दो वर्षों में पूर्वोत्तर का सबसे अशांत राज्य रहा है, वहां की स्थिति बेहद भयावह है। लगभग 960 लोग जातीय संघर्ष में मारे गए, हजारों लोग घायल हुए और 10,000 से अधिक घर जल गए। भट्टाचार्य ने मणिपुर में कुकी और मैतई ट्राइबल समुदायों के बीच हुए एथनिक क्लैश को देश में सबसे बड़ा जातीय हिंसा करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस हिंसा के पीछे बीजेपी की संप्रदायिक और राजनीतिक नीतियों की भूमिका स्पष्ट है। भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि मोदी को दिल्ली से इंफाल तक जाने में 870 दिन का इतना लंबा समय लग गया, जबकि इस बीच उन्होंने 44 देशों की यात्रा करके लगभग 1,70,000 किलोमीटर की दूरी तय कर ली। इस संदर्भ में उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों भारत के प्रधानमंत्री को मणिपुर जैसी संवेदनशील जगह पर इतनी देरी से जाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर की 30 लाख की आबादी में 50,000 से अधिक लोग डिटेंशन सेंटर में बंद हैं और 10,000 से अधिक घर जल चुके हैं, लेकिन मोदी जी ने वहां जाकर केवल 7,000 पक्के घर बनाने की घोषणा की। उनका कहना था कि यह दौरा चुनावी उद्देश्य से किया गया था क्योंकि मणिपुर में आगामी चुनाव होने वाले थे।
भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि मणिपुर की पूर्व मुख्यमंत्री को 2024 में इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन केंद्र की सरकार ने यहां की वास्तविक समस्याओं पर कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र में बीजेपी की सरकार‘बांटने की राजनीति'कर रही है, जहां धर्म, जाति और लिंग के आधार पर विभाजन किया जा रहा है। इस राजनीतिक रणनीति से देश का समरसता भंग हो रही है और लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा है। भट्टाचार्य ने झारखंड की बात करते हुए कहा कि झारखंड में कई आदिवासी समुदायों पर भी ऐसे दबाव बनाए जा रहे हैं और बार-बार एथनिक क्लैश कराने की कोशिश होती है, लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं होने देंगे। वहीं उन्होंने कहा कि झारखंड हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सामुदायिक एकता और न्याय के साथ आगे बढ़ रहा है। भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार से मणिपुर की स्थिति को समझते हुए वहां तुरंत शांति स्थापित करने और वहां के लोगों को संरक्षण देने की मांग की। केवल चुनावी शोज़बाजी से कोई समाधान नहीं होगा, बल्कि स्थायी शांति और विकास के लिए वास्तविक कदम उठाने होंगे ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोकतंत्र मजबूत हो सके।