हरियाणा में लाडो लक्ष्मी पोर्टल का ट्रायल शुरू, बाहर से बहू लाने वाले बनवा रहे पति का डोमिसाइल

हिसार 

हरियाणा सरकार 25 सितंबर से दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना शुरू करने जा रही है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा है कि जल्द ही आवेदन के लिए पोर्टल खोला जाएगा। इसके लिए जिलों में आज से ट्रायल भी शुरू हो चुका है। हालांकि, योजना की पात्रता संबंधी सभी शर्तें अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई हैं। इस योजना के लिए समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों को फॉर्म भरने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है। ट्रायल के दौरान आने वाली किसी भी समस्या के समाधान के लिए वे तुरंत उच्च अधिकारियों से संपर्क करेंगे।

हरियाणा में 15 साल की रिहाइश प्रमाण पत्र सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जा रहा है। इसी कारण डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए भारी भीड़ लग रही है, खासकर उन परिवारों में जहां बहुएं दूसरे राज्यों से हैं और जिनकी शादी को 15 साल पूरे नहीं हुए हैं। ऐसे में पति डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं। कॉमन सर्विस सेंटरों (CSC) पर इसके लिए बड़े विज्ञापन लगाए गए हैं।  

हरियाणा सरकार दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना को शुरू करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री नायब सैनी की ओर से घोषित इस योजना के तहत 18 से 20 लाख महिलाओं को हर महीने ₹2100 दिए जाएंगे। योजना का आवेदन पोर्टल 25 सितंबर से खुलने की उम्मीद है और इसके लिए आज से जिलों में ट्रायल भी शुरू हो गया है। हालांकि, योजना की पात्रता से जुड़ी कुछ शर्तें लाभार्थियों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं, जिससे कई परिवारों में असमंजस की स्थिति है। विशेषकर 'डोमिसाइल' की शर्त ने उन परिवारों को सबसे ज्यादा परेशान किया है, जिनकी बहुएं दूसरे राज्यों से हैं। आइए, इस योजना के हर पहलू को गहराई से समझते हैं।

योजना की शर्तें

मुख्यमंत्री ने भले ही 18 से 20 लाख महिलाओं को लाभ देने की बात कही हो, लेकिन इस योजना की कुछ शर्तें लाभार्थियों की संख्या को सीमित कर रही हैं। यहां उन तीन मुख्य शर्तों पर गौर करते हैं जिन्होंने इस योजना को जटिल बना दिया है।

1. उम्र की सीमा : हरियाणा में योजना का लाभ 23 से 60 वर्ष की महिलाओं को मिलेगा, जबकि देश के अन्य राज्यों जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ऐसी योजनाओं के लिए न्यूनतम उम्र 18 से 21 वर्ष है। हरियाणा की यह शर्त कई युवा महिलाओं को दायरे से बाहर कर देती है।

2. आय की टफ शर्त : योजना का लाभ केवल उन महिलाओं को मिलेगा जिनकी पारिवारिक आय ₹1 लाख वार्षिक से कम है। यह शर्त महाराष्ट्र (₹2.5 लाख) और मध्य प्रदेश (₹2.5 लाख) जैसे राज्यों की तुलना में काफी सख्त है। अगर हरियाणा सरकार बीपीएल परिवारों को ही लाभ देती, तो लाभार्थियों की संख्या लगभग 42 लाख होती, लेकिन आय की सीमा ने इस संख्या को घटाकर 19-20 लाख तक सीमित कर दिया है।

3. डोमिसाइल की शर्त सबसे भारी : यह शर्त इस योजना की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। आवेदन करने वाली अविवाहित महिला को खुद हरियाणा का स्थायी निवासी होना चाहिए, जबकि विवाहित महिला के लिए उसके पति का पिछले 15 साल से हरियाणा का मूल निवासी होना अनिवार्य है। यह नियम उन लाखों परिवारों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है जिनकी बहुएं पड़ोसी राज्यों से आई हैं और जिनकी शादी को अभी 15 साल पूरे नहीं हुए हैं। यह शर्त उन सामाजिक संबंधों को भी प्रभावित कर रही है जो हरियाणा की सीमा से सटे राज्यों जैसे पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के साथ दशकों से चले आ रहे हैं।

पति बनवा रहे हैं सर्टिफिकेट डोमिसाइल

इस डोमिसाइल की शर्त को पूरा करने के लिए उन परिवारों में होड़ मची हुई है, जिनकी बहुएं दूसरे राज्यों की हैं। चूंकि बहुओं की शादी को अभी 15 साल नहीं हुए हैं, इसलिए उनके पति अपने 'डोमिसाइल सर्टिफिकेट' बनवा रहे हैं ताकि वे इस योजना के लिए आवेदन कर सकें। महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, यमुनानगर, अंबाला, सिरसा और नूंह जैसे जिलों में ऐसी संख्या बहुत ज्यादा है, क्योंकि इन जिलों की सीमाएं पड़ोसी राज्यों से सटी हुई हैं।

राजस्थान के डूमोली गांव की रहने वाली अनीता, जिनकी शादी नारनौल के चिंडालिया गांव के अमित से हुई। उसने बताया कि वे भी इस डोमिसाइल की शर्त से परेशान हैं। उनकी तरह ही राजस्थान के मेघपुर की मंजू, जिनकी शादी 2014 में हुई थी, के पति भी सर्टिफिकेट बनवाने में लगे हैं। ये महिलाएं कहती हैं कि 'अब तो हम भी हरियाणवी बहुएं बन गई हैं, यह डोमिसाइल की शर्त सही नहीं है।' यह स्थिति दिखाती है कि सरकार की एक अच्छी मंशा वाली योजना भी कैसे कुछ नियमों के कारण जटिल बन सकती है।

सरकारी तैयारी और पोर्टल की सुविधाएं

योजना को लागू करने के लिए सरकार ने भी कमर कस ली है। समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों को फॉर्म भरने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है। आज से जिलों में फॉर्म भरने का ट्रायल वर्जन शुरू होगा, ताकि 25 सितंबर को पोर्टल खुलने पर कोई तकनीकी दिक्कत न आए। सरकार ने कुछ प्रावधानों को सरल भी किया है।

• एक मोबाइल नंबर से 3 फॉर्म : एक परिवार आईडी में एक ही मोबाइल नंबर से तीन फॉर्म भरे जा सकते हैं, भले ही वह नंबर फैमिली आईडी में पंजीकृत न हो। यह उन परिवारों के लिए एक बड़ी सुविधा है जहां एक ही फोन का इस्तेमाल कई लोग करते हैं।

• आधार और बैंक अकाउंट की अनिवार्यता : लाभार्थी का आधार कार्ड उसके मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से जुड़ा होना अनिवार्य है। साथ ही, बैंक अकाउंट का फैमिली आईडी से लिंक होना भी जरूरी है ताकि राशि सीधे खाते में भेजी जा सके।

दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना एक महत्वाकांक्षी पहल

दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना है। लेकिन इसकी पात्रता की शर्तें, विशेषकर आय और डोमिसाइल की, कई योग्य लाभार्थियों को दायरे से बाहर कर सकती हैं। जहां एक तरफ सरकार इस योजना को लागू करने की तैयारी में है, वहीं दूसरी तरफ उन लाखों परिवारों की चिंता भी बढ़ गई है जिनकी बहुएं दूसरे राज्यों से आई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार भविष्य में इन शर्तों में कोई बदलाव करती है या नहीं, ताकि इस योजना का लाभ उन सभी जरूरतमंद महिलाओं तक पहुंच सके, जिनके लिए यह बनाई गई है। यह योजना चुनावी वादे और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को दर्शाती है। 

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