नई दिल्ली
हृदय रोगों की समस्या, हार्ट अटैक के मामले हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़े हैं। उम्रदराज लोगों के अलावा अब कम उम्र वाले भी इसका शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से हमारी दिनचर्या गड़बड़ होती जा रही है, हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं अब काफी आम हो गई हैं। खान-पान में गड़बड़ी, व्यायाम की कमी, दिन का अधिकतर समय बैठे-बैठे बिता देना हृदय रोगों का प्रमुख कारण माना जाता है। जिसपर सभी उम्र के लोगों को ध्यान देते रहना जरूरी है।
अध्ययनों से पता चलता है कि कई स्थितियां ऐसी हैं जो हार्ट अटैक को ट्रिगर करने वाली हो सकती हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और वायु प्रदूषण उनमें प्रमुख हैं। पर एक हालिया शोध में विशेषज्ञों की टीम ने बताया है कि दुनियाभर में लाखों लोगों को होने वाले कुछ आम वायरल संक्रमण जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) और फ्लू भी हार्ट अटैक की समस्या को ट्रिगर करने वाले हो सकते हैं।
हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए इन संक्रमणों को लेकर भी सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।यूटीआई और फ्लू किस प्रकार से हार्ट अटैक को बढ़ावा देते हैं, आइए इस बारे में समझते हैं।
इससे पहले यूटीआई संक्रमण और हार्ट अटैक के बारे में जान लीजिए
यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन महिलाओं में अधिक देखी जाती रही है। इसके पीछे मुख्य वजह है उनकी शरीर की बनावट। महिलाओं की यूरिनरी ट्रैक्ट छोटी होती है जिससे बैक्टीरिया जल्दी अंदर पहुंच जाते हैं। इसके अलावा गर्भावस्था, डायबिटीज, कमजोर इम्यून सिस्टम, ज्यादा देर तक पेशाब रोकना, असुरक्षित यौन संबंध, हार्मोन में बदलाव जैसी स्थितियां भी यूटीआई का जोखिम बढ़ाती हैं। लेकिन केवल महिलाएं ही नहीं कुछ पुरुषों को भी इसका खतरा हो सकता है।
वहीं दूसरी तरफ दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जिसमें हृदय को रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है। आमतौर पर ये रक्त के थक्के बनने के कारण होती है। हृदय रोग दुनियाभर में मृत्यु का प्रमुख कारण है, जो हर साल अनुमानित 17.9 मिलियन (1.79 करोड़) लोगों की जान ले लेता है।
लंबे समय से यही माना जाता रहा है कि कोरोनरी हृदय रोग के साथ-साथ धूम्रपान जैसे कई परिवर्तनशील जीवनशैली कारक दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ाते हैं। पर अब विशेषज्ञों ने बताया है कि यूटीआई और फ्लू के कारण भी इसका खतरा हो सकता है।
यूटीआई और हार्ट अटैक के बीच कनेक्शन
इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने बताया कि धमनियों में वसायुक्त पदार्थ जैसे कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण हृदय को रक्त की आपूर्ति बाधित होती है। यही कोलेस्ट्रॉल यूटीआई और फ्लू जैसी वायरस को आश्रय दे सकता है जो शरीर में वर्षों तक निष्क्रिय बने रह सकते हैं।
फिनलैंड और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, समय के साथ ये जीवाणु हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबायोटिक दवाओं से अपनी रक्षा के लिए एक सुरक्षात्मक बायोफिल्म बना लेते हैं।
लेकिन जैसे ही आप बीमार होते है या फिर से कोई वायरल संक्रमण (जैसे कि यूटीआई) होता है तो ये वायरस बायोफिल्म को सक्रिय कर सकता है, जिससे बैक्टीरिया का प्रसार होता है और इंफ्लेमेशन की समस्या बढ़ जाती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
वैज्ञानिकों ने बताया कि हाई इंफ्लेमेशन की स्थिति में हृदय में प्लाक के टूटने का खतरा बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से घातक रक्त का थक्का बनने लगता है जो हार्ट अटैक को बढ़ा देता है।
फिनलैंड के टैम्पियर विश्वविद्यालय में जैविक विज्ञान के विशेषज्ञ और अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर पेक्का करहुनेन कहते हैं, कोरोनरी आर्टरी डिजीज में बैक्टीरिया की भागीदारी पर लंबे समय से संदेह किया जाता रहा है, लेकिन प्रत्यक्ष और ठोस सबूतों का अभाव रहा है। इस अध्ययन में बहुत कुछ स्पष्ट होता है।