भोपाल
पिछल कई सालों से देश में जनगणना को लेकर काफी चर्चाएं चल रही हैं. लेकिन अब इसकी पूरी तरह से तैयारियां शुरू हो गई है. इस बार साल 2026-27 में देश में पहली बार डिजिटल जनगणना होगी. इसके लिए जनगणना निदेशालय की तरफ से एक ऐप को लॉन्च किया जाएगा, जो कि एंड्राइड-आईफोन दोनों में उपयोग किया जा सकता है. इस ऐप के माध्यम से हर घर का मुखिया ही अपने घर-परिवार की जानकारी खुद भरेगा. इसके बाद जनगणना अधिकारी, घर-घर जाकर पूरी जानकारी को क्रॉस चेक करेगा, फिर उसे डिजिटल फॉर्म पर डाटा को अपलोड किया जाएगा.
भारत 2027 में अपनी अब तक की सबसे आधुनिक और डिजिटल जनगणना आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। यह पहली बार होगा जब जनगणना प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी, जिसमें लगभग 34 लाख गणनाकर्ता अपने स्वयं के स्मार्टफोन और मोबाइल ऐप का उपयोग कर आंकड़े एकत्र करेंगे। यह पहल न केवल समयबद्ध और सटीक डेटा एकत्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि तकनीक-संचालित प्रशासन की नई मिसाल भी होगी।
मोबाइल ऐप्स और स्व-गणना की सुविधा
गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) द्वारा तैयार की जा रही मोबाइल एप्लिकेशन, एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी और इसे अंग्रेजी सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपयोग किया जा सकेगा। यदि किसी कारणवश डेटा कागज़ पर एकत्र किया जाता है, तो उसे बाद में एक वेब पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा जिससे अलग से स्कैनिंग या डेटा एंट्री की आवश्यकता नहीं होगी।
इस बार नागरिकों को स्वयं भी वेब पोर्टल के माध्यम से स्व-गणना (self-enumeration) का विकल्प मिलेगा, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
जनगणना से पहले प्री टेस्ट
मिली जानकारी के मुताबिक, जनगणना शुरू होने से पहले देशभर में प्री टेस्ट कराया जाएगा. इनमें मध्य प्रदेश के तीन जिलों को चुना गया है. जहां पर जनगणना से पहले प्री टेस्ट होगा, इनमें मध्य प्रदेश के ग्वालियर, रतलाम और सिवनी जिले शामिल हैं. यहां पर अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच में 15 दिन का अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के माध्यम से जनगणना और घरों की गणना कि जाएगी. इसका सीधा मकसद यह है कि गड़बड़ी रोकने के लिए किया जाएगा.
दो चरणों में होगा आयोजन
जनगणना 2027 दो चरणों में आयोजित की जाएगी:
हाउस-लिस्टिंग ऑपरेशन (अप्रैल से सितंबर 2026): इसमें आवास की स्थिति, सुविधाएं और घरों के पास उपलब्ध संपत्तियों से जुड़ी जानकारी एकत्र की जाएगी।
जनसंख्या गणना (फरवरी 2027): भारत के अधिकांश हिस्सों में फरवरी 2027 में यह चरण आरंभ होगा, जबकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह सितंबर 2026 में होगा।
पहली बार होगा जाति-आधारित डेटा संग्रहण
इस जनगणना में एक और उल्लेखनीय पहल की जा रही है — घर के सदस्यों की जातियों का विवरण भी दर्ज किया जाएगा। यह कदम सामाजिक-आर्थिक नीतियों के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करेगा, जो दशकों से लंबित मांग रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
2027 की जनगणना भारत की पहली पूर्ण डिजिटल जनगणना होगी।
34 लाख गणनाकर्ता अपने स्मार्टफोन से मोबाइल ऐप के माध्यम से आंकड़े एकत्र करेंगे।
पहली बार सभी भवनों का जियो-टैगिंग किया जाएगा, जिसमें जीआईएस मैप पर भवनों को उनके हाउस-लिस्टिंग ब्लॉक्स (HLBs) के साथ जोड़ दिया जाएगा।
RGI ने ₹14,618.95 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया है।
पारदर्शिता और निगरानी के लिए वेबसाइट
पूरे अभियान की रीयल-टाइम निगरानी और प्रबंधन के लिए एक समर्पित वेबसाइट भी तैयार की जा रही है। इससे प्रत्येक स्तर पर कार्य की प्रगति का निरीक्षण संभव होगा और पारदर्शिता बनी रहेगी।
जनगणना 2027 भारत की प्रशासनिक कार्यप्रणाली में डिजिटल बदलाव का प्रतीक बनने जा रही है। न केवल आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि नीति निर्माण और योजना निर्धारण के लिए समयबद्ध और व्यापक जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी। यह डिजिटल युग में भारत के प्रशासनिक दृष्टिकोण का एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।
ऐसे की जाएगी जनगणना
मध्य प्रदेश जनगणना निदेशालय की निदेशक भावना वालिम्बे ने जानकारी देते हुए कहा कि जनगणना के लिए एप के माध्यम से हर परिवार के सदस्यों की जानकारी अपलोड करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए प्रश्नावली भी तैयारी की जा रही है, जिसमें सी सदस्यों का नाम, पारिवारिक स्थिति, घर संपत्ति का ब्योरा और रोजगार जैसी जानकारी शामिल की जाएगी. इसके अलवा, इसमें कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए क्रॉस चेक करने के लिए अधिकारी घर-घर जाकर जानकारी की जांच करेंगे. इसके साथ-साथ फील्ड में आने वाली चुनौतियों की रिपोर्ट प्रदेश का जनगणना निदेशालय तैयार करेगा. इसके बाद यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी. मंत्रालय इस आधार पर फाइनल जनगणना शीट तैयार की जाएगी.