पंजाब
शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने सोमवार शाम को कहा कि वह पंजाब में आई बाढ़ के मद्देनजर आज होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करेगा. अकाली दल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, जब भी और जहां भी कोई संकट आया है, पंजाब और पंजाबी हमेशा देश के साथ खड़े रहे हैं. लेकिन आज पंजाबियों को बाढ़ के कारण खुद एक बहुत ही गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. राज्य का लगभग एक-तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है और घर व फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं. सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाली पार्टी ने बाढ़ का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यह आप सरकार की लापरवाही और अक्षमता के कारण हुई एक मानव निर्मित त्रासदी है. बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से पार्टी की एकमात्र सांसद हैं.
राज्य और केंद्र सरकार ने नहीं की मदद
पोस्ट में कहा गया, न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार पंजाबियों की किसी भी तरह से मदद के लिए आगे आयी है. शिरोमणि अकाली दल पंजाब की जनता की भावनाओं और आवाज का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए, पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
पंजाबी हमेशा देश के साथ खड़े
अकाली दल ने कहा कि पंजाब और पंजाबी हमेशा राष्ट्र के साथ खड़े रहे हैं, जब भी और जहां भी कोई संकट आया है. लेकिन आज पंजाबियों को बाढ़ के कारण खुद एक बहुत ही गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. राज्य का लगभग एक-तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है और घर और फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं. यह पंजाब सरकार की लापरवाही और अक्षमता के कारण हुई एक मानव निर्मित त्रासदी है.
किसी भी मदद के बिना लड़ रहे लोग
इस आपदा में न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार पंजाबियों की किसी भी तरह से मदद के लिए आगे आई है. इस संकट से आम तौर पर पंजाबी और खासकर सिख राज्य या केंद्र सरकार की किसी भी मदद के बिना लड़ रहे हैं. राज्य के ग्रामीण युवा गुरु साहिबान की कृपा और प्रेरणा से प्रेरित होकर, धार्मिक समर्पण की भावना से बाढ़ के खिलाफ इस लड़ाई में सबसे आगे हैं. शिरोमणि अकाली दल उनकी भावना और प्रतिबद्धता के आगे नतमस्तक है. साथ ही अपने लोगों की मदद के लिए पूरी तरह से तत्पर भी है.
उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला
अकाली दल ने कहा कि, जब पंजाब इस त्रासदी से जूझ रहा है, देश आज उपराष्ट्रपति चुनाव में जा रहा है. लेकिन पंजाब के लोग राज्य सरकार और केंद्र सरकार से बेहद परेशान और नाराज़ हैं क्योंकि न तो पंजाब सरकार, न ही केंद्र सरकार और न ही कांग्रेस उनकी मदद के लिए आगे आई है. अकाली दल पंजाब के लोगों की भावनाओं और आवाज का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए, पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है.