क्वेटा
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में जेन Z के आंदोलन के कारण सोमवार से ही हिंसा का दौर जारी है। अब तक कई दर्जन लोग पुलिस फायरिंग में मारे जा चुके हैं तो वहीं उपद्रवियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, पीएम और राष्ट्रपति के निजी आवासों को आग के हवाले कर दिया है। पूर्व पीएम की पत्नी घर में आग लगने से जिंदा जल गईं तो वहीं वित्त मंत्री को सड़कों पर दौड़ाकर मारा गया है। इस बीच एक और पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में भी आज बंद का आयोजन है। बलूचिस्तान के कई राजनीतिक दलों ने आज शटडाउन का ऐलान किया है, जिसका काफी असर दिख रहा है। बड़े शहर सूने दिख रहे हैं और बाजार बंद हैं। बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार झोब से ग्वादर तक बड़े हाइवेज और शहर बंद पड़े हैं।
यह गुस्सा इसलिए भड़का है क्योंकि पुलिस और एवं अन्य सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर रेड मारी हैं। इस दौरान कई राजनीतिक दलों के नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। इससे गुस्सा भड़क गया है। फिलहाल बलूचिस्तान में पाकिस्तानी प्रशासन ऐक्टिव है और करीब 100 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इन लोगों को सारियाब, एयरपोर्ट रोड, बाईपास समेत क्वेटा के कई इलाकों से हिरासत में लिया गया। पुलिस ने जिन लोगों को अरेस्ट किया है, उनमें बलूचिस्तान नेशनल पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, अवामी नेशनल पार्टी, नेशनल पार्टी, जमात-ए-इस्लामी समेत कई दलों के नेता शामिल हैं।
क्वेटा के अलावा भी कई शहरों से नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। जैसे सुराब से बलूचिस्तान नेशनलिस्ट पार्टी के जिला अध्यक्ष और तीन अन्य नेता अरेस्ट हुए हैं। मास्तंग से भी बीएनपी के जिलाध्यक्ष और नेशनल पार्टी के 14 लोगों को पकड़ा गया है। इसके अलावा लोरालाई से सुरक्षा बलों ने 7 नेताओं को पकड़ा है। दुकी में पीटीआई के जिला महासचिव समेत 15 लोग हिरासत में लिए गए हैं। इसके अलावा जियारत, कलात, चमन समेत कई अन्य इलाकों से भी गिरफ्तारियां होने की खबरें हैं। अवामी नेशनल पार्टी का आरोप है कि पुलिस ने सैकड़ों लोगों को अरेस्ट किया है, जिनमें कई सीनियर नेता शामिल हैं। इसी के विरोध में हड़ताल का आयोजन है। अवामी नेशनल पार्टी का कहना है कि बलूचिस्तान के इतिहास में पहली बार इतना सफल शटडाउन हुआ है।
आंदोलन में उतरने नेताओं का कहना है कि बंद का सफल आयोजन बताता है कि सरकार की पाबंदियों के जनता कितना खिलाफ है। बलोच यकजेती कमेटी का कहना है कि सरकार का ऐक्शन लोकतंत्र और मानवाधिकार पर हमला है। इस समूह का कहना है कि सरकार लोगों को आतंकवाद से बचाने में फेल रही है। उलटे लोगों पर ही अत्याचार किए जा रहे हैं। अब सवाल यह है कि क्या बलूचिस्तान के लोगों को एक तरफ आतंकवाद और दूसरी तरफ स्टेट टेररिज्म का सामना करना होगा।