गुजरात में पारदर्शिता बढ़ाने का बड़ा कदम: CM भूपेंद्र पटेल ने पेश किया जनविश्वास विधेयक-2025

अहमदाबाद   
प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के मुताबिक विकसित भारत@2047 के लिए विकसित गुजरात के निर्माण के मिशन में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट तथा पॉलिसी ड्रिवन गवर्नेंस के चलते गुजरात आज जब विश्वभर के निवेशकों की पहली पसंद बना है, तब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को वेग देकर अर्निंग वेल-लिविंग वेल की संकल्पना साकार करने का राज्य सरकार का ध्येय है. 15वीं गुजरात विधानसभा के सातवें सत्र के दूसरे दिन उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सदन में गुजरात जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025 प्रस्तुत किया.

सरलता एवं पारदर्शिता के लिए ठोस कदम
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सरलता एवं पारदर्शिता की ओर एक और ठोस कदम के रूप में पारित हुआ यह जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025 राज्य में कानून के पालन को आसान बनाकर, डिजिटलाइज्ड कर तथा सुयोग्य ढंग से बदलाव लाकर व्यापार सरलता के साथ जीवन जीने की सरलता में भी वृद्धि करने वाला सिद्ध होगा. इतना ही नहीं; न्यायपालिका पर बोझ घटाने में भी यह विधेयक उपयुक्त बनेगा.

मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने सदन में इस जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025 की पृष्ठभूमि रखते हुए कहा कि किसी भी देश में विकास के लिए स्थिर नीतियाँ तथा अच्छा व्यावसायिक माहौल बहुत ही महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने हमेशा कानूनों को आधुनिक, फ्लेक्सिबल, पीपल फ्रेंड्ली तथा विश्वास आधारित बनाया है. सरकार ने आम नागरिकों तथा उद्योगों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना है.

तेज और अच्छे परिणाम का मार्गदर्शन
इतना ही नहीं; टेक्नोलॉजी के उपयोग से त्वरित एवं अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकने वाले क्षेत्रों में उनके मार्गदर्शन का भी सरकार ने स्वागत किया है. इसलिए केन्द्र सरकार ने 2023 में जनविश्वास अधिनियम लागू कर कम्प्लायंसेज घटाने का प्रयास किया है. इस दिशा में केन्द्र व राज्य स्तर पर 40 हजार से अधिक कम्प्लायंसेज निर्मूल किए गए. इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्रोत्साहन मिला है. हाल ही में संसद में जनविश्वास विधेयक 2.0 प्रस्तुत हुआ है. राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के जनविश्वास विधेयक 2.0 का विस्तृत अध्ययन करने के बाद गुजरात जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025 तैयार किया है.

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल इन्क्रीमेंटल चेंज के लिए नहीं, बल्कि क्वाण्टम जंप के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के सुदृढ़ विकास की डाली गई नींव को अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस तथा प्रो-पीपल गवर्नेंस के लिए हमेशा आग्रही रहे हैं. उसे साकार करते हुए राज्य सरकार के 6 विभागों के 11 कानूनों-नियमों के अंतर्गत लगभग 516 प्रावधानों को अपराधमुक्त डिक्रिमिनलाइज्ड करना इस विधेयक का उद्देश्य है.

उद्योग मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस विधेयक में कानूनों एवं नियमों में सुझाए गए सुधारों में छोटी (कम गंभीर) भूलों के लिए जहाँ तक संभव हो, कैद की सजा का प्रावधान हटा दिया गया है और फाइन यानी दंड के स्थान पर वित्तीय पैनल्टी के प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग, श्रम एवं कौशल विकास तथा रोजगार विभाग, नर्मदा, जल संसाधन, जलापूर्ति एवं कल्पसर विभाग, उद्योग एवं खान विभाग, कृषि, किसान कल्याण एवं सहकारिता विभाग और वित्त विभाग के 11 कानूनों-नियमों के अंतर्गत आने वाले 516 प्रावधानों को अपराधमुक्त करने से सजा के भय के स्थान पर प्रामाणिकता से कानूनों के पालन में मदद मिलेगी. उन्होंने अपराधमुक्त किए गए 516 प्रावधानों का विवरण देते हुए कहा कि एक प्रावधान में कैद की धारा है, जिसे हटाया जा रहा है. 17 प्रावधानों में कैद या फाइन को पैनल्टी में बदला जा रहा है तथा 498 प्रावधानों में फाइन को पैनल्टी में बदला जाएगा.

सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास को बढ़ावा
इसके अलावा; 8 कानूनों के अंतर्गत उल्लंघन के समाधान की व्यवस्था के साथ अधिकारी द्वारा राशि स्वीकार किए जा सकने के प्रावधान किए गए हैं. उद्योग मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में प्रस्तुत हुए इस विधेयक का उद्देश्य नियमों में सुधारों से भी एक कदम आगे बढ़कर सरकार व नागरिकों के बीच विश्वास को अधिक मजबूत करने का प्रयास है.

इस विधेयक का उद्देश्य फाइलिंग विलंब, लाइसेंस रिन्यूल में विलंब टालना, सुरक्षा उल्लंघन संबंधी छोटी भूलों के लिए अनपेक्षित व फौजदारी आरोंपों से मुक्ति देना, न्यायिक प्रणाली पर बोझ घटाकर पैनल्टी आधारित दंड व्यवस्था लाना है. इस विधेयक से विशेषकर स्टार्टअप्स तथा एमएसएमई अधिक सुदृढ़ होंगे और छोटी (कम गंभीर) भूलों के लिए फौजदारी कार्यवाही के अनावश्यक भय के बिना अपने उद्योग-व्यवसायों का और बेहतर ढंग से विकास कर राज्य में एमएसएमई इकोसिस्टम को सुदृढ़ बनाएंगे.

 

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