बिहार में आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानदेय बढ़ा, ₹7,000 से ₹9,000 तक; CM नीतीश ने किया ऐलान

पटना 

बिहार की नीतीश कुमार सरकार राज्य विधानसभा चुनाव के पहले सौगातों की झड़ी लगा रही है। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद आगे बढ़कर आंगनबाड़ी सेविका और आंगनबाड़ी सहायिका के मानदेय को बढ़ाने का एलान किया है। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय 7 हजार से बढ़ाकर 9 हजार किया जा रहा है। इसी तरह, आंगनबाड़ी सहायिका का मानदेय 4 हजार से बढ़ाकर साढ़े 4 हजार किया जा रहा है। उनके निर्देश पर विभाग इसका प्रस्ताव आगे बढ़ाएगा। मंगलवार को कैबिनेट में उस प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर कही ये बात

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है। इसके लिए समेकित बाल विकास परियोजना के तहत छह तरह की सेवाएं दी जा रही हैं, जो आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से लाभुकों तक पहुंचाई जाती हैं। इसमें आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं अहम भूमिका निभाती हैं।

    राज्य में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण एवं जीवन स्तर में सुधार करने में आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनकी इसी भूमिका का सम्मान करते हुये हमलोगों ने उनके मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। अब आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय 7,000 रूपये से…

उन्होंने बताया कि इनके योगदान को देखते हुए मानदेय राशि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे सभी सेविकाओं और सहायिकाओं का उत्साह बढ़ेगा और समेकित बाल विकास सेवाएं और बेहतर तरीके से चल सकेंगी। अब आंगनबाड़ी सेविका को 7,000 रुपये की जगह 9,000 रुपये और आंगनबाड़ी सहायिका को 4,000 रुपये की जगह 4,500 रुपये मानदेय मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण और जीवन स्तर सुधारने में मदद करेगा। 

महिला रोजगार योजना की शुरुआत

इससे पहले कल यानी रविवार को मुख्यमंत्री ने महिला रोजगार योजना के ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की। इस योजना के तहत बिहार सरकार हर घर की एक महिला को 10,000 रुपए देगी।

चुनाव से पहले सरकार इस पर करीब 27 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। 2 सितंबर को सरकार ने इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए कैबिनेट से पास कर दिया गया था।

इस मौके पर CM ने कहा, 'महिलाओं की मांग पर ही बिहार में शराबबंदी लागू की गई। अब महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम और स्वावलंबी बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की गई है। इस योजना का लाभ उठाकर महिलाएं रोजगार तथा उद्यम का भी नेतृत्व कर सकती हैं।

विश्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूहों की संख्या बढ़ाने का काम शुरू किया गया है। इसका परिणाम है कि अब स्वयं सहायता समूहों की संख्या11 लाख से अधिक हो गई है, जिनसे 1 करोड़ 40 लाख जीविका दीदी जुड़ी हैं।'

अब जानिए महिलाओं को लेकर नीतीश कुमार की बड़ी घोषणाएं और उसके मायने

1. जीविका दीदियों के लोन का ब्याज घटाया, कर्मचारियों की सैलरी दोगुनी हुई

21 जून 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों और कर्मचारियों से जुड़े दो बड़े फैसले किए।

पहला- स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी जीविका दीदियों को 3 लाख से ज्यादा के बैंक लोन पर 3 फीसदी की कटौती कर दी। उन्हें अब सिर्फ 7 प्रतिशत ब्याज देना होगा। पहले 3 लाख रुपए से ज्यादा के बैंक ऋण पर 10% ब्याज देना पड़ता था।

दूसरा- जीविका कर्मचारियों की सैलरी डबल

जीविका स्वयं सहायता समूह के सभी 1 लाख 40 हजार कर्मचारियों की सैलरी को दोगुना कर दिया गया। इससे ऐसे में ब्लॉक कर्मचारियों को 50 हजार और गांव के कर्मचारियों को 25 हजार रुपए तक की सैलरी मिलेगी।

इसके मायने क्या हैं- CM नीतीश कुमार के मुताबिक, 2006 में शुरू हुई जीविका परियोजना से लगभग 1 करोड़ 40 लाख जीविका दीदियां आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। लोन के ब्याज में कटौती से उन्हें सीधा फायदा होगा।

जीविका से अमूमन गरीब तबके की महिलाएं जुड़ी हैं। सरकार के फैसले से उन पर बड़ा असर पड़ेगा।

2. महिलाओं के रिजर्वेशन में डोमिसाइल नीति लागू

8 जुलाई को नीतीश कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को मिलने वाले 35 फीसदी क्षैतिज आरक्षण में डोमिसाइल नीति को लागू कर दिया। यानी अब दूसरे राज्य की महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें सामान्य श्रेणी में ही आवेदन करना होगा।

सूत्रों के मुताबिक, चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले सरकार 1 लाख टीचरों, 6500 लाइब्रेरियन, सिपाही, इंजीनियर आदि की बहाली निकालने वाली है। इन बहालियों में डोमिसाइल लागू रहेगा।

इसके मायने क्या हैं- चुनाव से पहले पढ़ी-लिखी महिलाओं को अपने पाले में करने के लिए सरकार ने बड़ा दांव खेला है। बिहार में होने वाली सरकारी नौकरी की बहाली में डोमिसाइल को लागू करने की मांग पुरजोर तरीके से उठ रही थी। ऐसे में नीतीश सरकार ने पूरी बहाली में इसे लागू ना कर महिलाओं की कैटेगरी में लागू किया है।

3. आशा-ममता कार्यकर्ताओं का वेतन बढ़ा

30 जुलाई को सरकार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के पैसे में बढ़ोतरी का ऐलान किया। अब ‘आशा’ को 1 हजार की बजाय 3 हजार मासिक और ‘ममता’ को प्रति प्रसव 300 की जगह 600 रुपए मिलेंगे।

इससे 95 हजार ‘आशा’ और 4600 ‘ममता’ कार्यकर्ताओं को फायदा होगा। और 29 हजार आशा कार्यकर्ताओं की बहाली चल रही है।

इसके मायने क्या हैं- आशा और ममता कार्यकर्ताओं की पहुंच घर तक होती है। इनकी संख्या भी ठीक-ठाक है। पैसा बढ़ने से इनका मनोबल बढ़ेगा और सरकार की बातों को घर-घर तक पहुंचा सकती है।

4. सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ी

सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 400 रुपए प्रति महीन से बढ़ाकर 1100 प्रति माह होगी। लाभार्थियों को जुलाई से पेंशन बढ़ी हुई दर पर मिलेगी। खाते में यह राशि महीने की 10 तारीख को जाएगी।

इससे विधवा महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को फायदा होगा। इनकी संख्या करीब एक करोड़ 9 लाख है।

इसके मायने क्या हैं- 2020 विधानसभा चुनाव में बुजुर्गों के अंदर NDA के प्रति गुस्सा दिखा था। CSDS-लोकनीति के पोस्ट पोल सर्वे में बताया गया कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों ने NDA को 5 फीसदी कम वोट किया था।

अब माना जा रहा है कि सरकार ने बुजुर्गों का भरोसा जीतने के लिए यह दांव चला है। कितना सफल होगी, चुनाव बाद पता चलेगा।

5. लखपति दीदी योजना से आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश

केंद्र सरकार ने 2023 में लखपति दीदी योजना को लॉन्च किया। इस योजना के तहत सरकार महिलाओं को बिना ब्‍याज के 5 लाख रुपए तक का लोन प्रोवाइड कराती है। यह स्‍कीम स्‍वयं सहायता ग्रुपों से जुड़ी महिलाओं के लिए है।

इस योजना के तहत स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है और फिर अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए बिना ब्‍याज के 5 लाख रुपए तक लोन दिया जाता है।

इसके मायने क्या हैं- इस योजना का फायदा बिहार की महिलाएं भी उठा रही हैं। सरकार की सोच महिलाओं का आत्मनिर्भर बनाना है। जब महिलाएं सेल्फ डिपेंडेंट होंगी तो उनकी राजनीतिक सोच भी बदल सकती है। इसका फायदा NDA सरकार उठाने का प्रयास कर रही है।

6. बजट में महिलाओं की छोटी-छोटी जरूरतों का रखा ध्यान

चुनावी बजट में सरकार ने आधी आबादी यानी महिलाओं को सबसे ज्यादा साधने की कोशिश की थी। महिलाओं की छोटी–छोटी जरूरतों से जुड़े थे।

जैसे- पिंक टॉयलेट, पिंक बस, जिम ऑन व्हील्स, महिला हाट, गरीब कन्याओं के विवाह के लिए कन्या मंडप, गर्ल्स हॉस्टल, महिलाओं को ई–रिक्शा की खरीदारी पर सब्सिडी शामिल हैं। ये अनाउसमेंट महिलाओं की सुविधाओं से जुड़े थे, इनसे महिलाओं को छोटे–छोटे रोजगार मिलेंगे।

कन्या मंडप के जरिए पहली बार गरीब कन्याओं की शादी की व्यवस्था सरकार करने जा रही है। हालांकि, इसमें भी कुछ राशि महिलाओं को देनी होगी।

वहीं, कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए हॉस्टल की व्यवस्था होगी। इससे नौकरीपेशा महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी। महिलाओं सिपाहियों के लिए भी सरकार किराये पर कमरा लेगी।

इसके मायने क्या हैं- बिहार में महिलाओं की आबादी करीब 6 करोड़ है, और ये नीतीश कुमार का वोट बैंक मानी जाती हैं। हालांकि, सरकार की योजनाओं से सिर्फ उन महिलाओं को रोजगार मिलेगा, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, और जो कम पिढ़ी–लिखी हैं।

2015 में महिलाओं ने रिकॉर्ड वोटिंग की

2015 विधानसभा चुनाव में 51.1 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 60.4 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था। उस वक्त नीतीश कुमार की पार्टी JDU का लालू यादव की पार्टी RJD से गठबंधन था। उस वक्त JDU 101 सीटों पर लड़ी। जिसमें से 71 सीटें जीती। महागठबंधन 178 सीट जीता था।

तब महिलाओं के वोट बढ़ने का बड़ा कारण महिलाओं के रिजर्वेशन और साइकिल योजना को दी गई थी। तब तक साइकिल योजना के शुरू हुए 10 साल हो गए थे और लड़कियां फर्स्ट टाइम वोटर बन चुकीं थी। इसके अलावा पंचायत में मिले अधिकार से उनके अंदर जागरूकता आ गई थी।

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