छाती के जटिल कैंसर का इलाज अब दिल्ली-मुंबई नहीं, AIIMS भोपाल में नई सुविधा शुरू

भोपाल
 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल ने कैंसर के इलाज में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के सर्जिकल आंकोलाजी विभाग में अब विशेष रूप से छाती के कैंसर (फेफड़ों और भोजन नली) के इलाज के लिए एक 'समर्पित थोरासिक आंकोलाजी सुविधा' शुरू की गई। अब मध्य भारत के कैंसर रोगियों के लिए यह सुविधा मिलती रहेगी, अब इलाज के लिए बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

इस नई सुविधा की शुरुआत के साथ ही एक बेहद जटिल आपरेशन को अंजाम दिया गया है। डॉक्टरों ने एक मरीज की भोजन नली (इसोफेगस) के कैंसरग्रस्त हिस्से को निकाला। इसके बाद पेट के एक हिस्से से एक नई नली बनाकर उसे गले तक जोड़ा गया। यह पूरी सर्जरी दूरबीन और कैमरे वाली अत्याधुनिक थोरोस्कोपिक और लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की गई।

इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें मरीज को बड़े चीरे नहीं लगाए जाते, जिससे दर्द कम होता है और वह जल्दी ठीक हो पाता है। एम्स भोपाल का सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग पहले से ही मध्य प्रदेश और आसपास के राज्यों के लगभग 20 हजार कैंसर मरीजों का हर साल इलाज करता है।

अब तक छाती से जुड़े जटिल कैंसर के ऑपरेशन के लिए मरीजों को दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था, जो काफी खर्चीला और मुश्किल होता था। अब यह विश्वस्तरीय सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होने से हजारों मरीजों और उनके परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
विशेषज्ञ नेतृत्व और मजबूत टीम

इस महत्वपूर्ण पहल का नेतृत्व प्रो. डॉ. माधवानंद कर रहे हैं, जो न केवल एक बेहतरीन सर्जन हैं, बल्कि एक कुशल शिक्षक भी हैं। उन्होंने देश के कई एम्स संस्थानों का मार्गदर्शन किया है और लगातार युवा डाक्टरों को प्रशिक्षित करते रहते हैं। उनके नेतृत्व में डॉ. विनय कुमार (विभागाध्यक्ष, सर्जिकल आंकोलाजी), डॉ. अंकित, डॉ. वैशाली, डॉ. जैनब और डॉ. शिखा सहित एक विशेषज्ञ टीम ने पहली जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया।

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