मणिपुर में PM मोदी के आने से पहले बड़ा फैसला, जानें किस मामले पर बनी सहमति

मणिपुर 
मणिपुर के लिए नई दिल्ली से बड़ी खबर है। पीएम मोदी के मणिपुर दौरे की चर्चा के बीच 'कुकी-जो' परिषद ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही के लिए खोलने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि उनके ( PM Modi ) पहुंचने से पहले कई फैसले गुडविल के तौर पर लिए जा रहे हैं। फिलहाल केंद्र सरकार की पूरी कोशिश है कि मणिपुर में हालात सामान्य और स्थिर रहें। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के अनुसार, यह फैसला नई दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधिकारियों और केजेडसी के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई कई बैठकों के बाद लिया गया। केजेडसी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर शांति बनाए रखने के लिए भारत सरकार द्वारा तैनात सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने का वचन दिया है।

गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कुकी-जो परिषद ने एनएच-2 पर शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है। मणिपुर को नागालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवनरेखा एनएच-2, मई 2023 में राज्य में भड़के जातीय तनाव के कारण अवरुद्ध हो गई थी। मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच संघर्ष के कारण व्यापक हिंसा, जान-माल की हानि, हजारों लोगों का विस्थापन और गहराता मानवीय संकट उत्पन्न हुआ है।

राजमार्ग को फिर से खोलना विश्वास बहाली और हिंसा प्रभावित राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इंफाल और नई दिल्ली के अधिकारियों का मानना है कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति आसान होने से विस्थापित परिवारों और राहत शिविरों में रह रहे लोगों की कठिनाइयां कम होंगी।

गृह मंत्रालय ने बताया कि गुरुवार को नई दिल्ली में गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार, केएनओ और यूपीएफ के प्रतिनिधियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक हुई। इस बैठक का समापन त्रिपक्षीय परिचालन निलंबन (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षर के साथ हुआ, जिसमें फिर से बातचीत की गई शर्तों और नियमों (आधारभूत नियमों) को हस्ताक्षर की तिथि से एक वर्ष के लिए प्रभावी माना जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि संशोधित आधारभूत नियमों में दो प्रमुख बिंदुओं पर बल दिया गया है। मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता और मणिपुर में स्थायी शांति व स्थिरता के लिए बातचीत के माध्यम से समाधान की आवश्यकता।

साथ ही, गृह मंत्रालय ने बताया कि केएनओ और यूपीएफ ने संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से सात निर्दिष्ट शिविरों में स्थानांतरण, शिविरों की संख्या कम करने, हथियारों को निकटतम सीआरपीएफ और बीएसएफ शिविरों में स्थानांतरित करने, और सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों का कठोर भौतिक सत्यापन करने पर सहमति जताई है, ताकि विदेशी नागरिकों (यदि कोई हों) को सूची से हटाया जा सके।

 

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